
श्रीमती चेतना राजू टांक
नारी शक्ति की विशिष्ट पहचान
प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान ललिता पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर,भाजपा पार्षद व अनेक सामाजिक संघटनो में सक्रियता
मधुरभाषी बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी श्रीमती चेतना टांक अनेक दायित्वों का निर्वहन बड़े ही संयमित ढंग से करती है। स्कूल का प्रबंधन, मनपा के कार्य, समाजसेवा से जुड़े कार्य, विविध संस्थाओं व संगठनों की जवाबदारी के साथ ही समाज व पारिवारिक धार्मिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाकर सबको संतुष्टि प्रदान करना उनकी विशिष्ट कार्यशैली को दर्शाता है । उनका कहना है समाज सेवा ही मेरा प्रथम ध्येय है ,राजनीत तो अभिष्ट ध्येय प्राप्ति का साधन है और यह परिवार के सहयोग के बगैर संभव नहीं था परिवार के हर सदस्य का आशीर्वाद ही मेरी यात्रा का सम्बल है ।
समाजसेवा की खातिर चुनी राजनीति की राह
आमधारणा है की महिलाओं का काम घर की चारदीवारी तक सीमित है , वहीं बदलते परिवेश में अनेक महिलाएं शिक्षित होने के बाद इस धारणा को तोड़कर डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, वकील, जज, पायलट, पुलिस अफसर तक के पदों पर जा पहुंची हैं और अपने परिवार के साथ ही देश का नाम ऊँचा कर रही हैं, लेकिन इन सबसे परे ऐसी महिलाओं की संख्या विरली ही है, जिन्होंने समाजसेवा व राजनीति को अपने जीवन का करियर बनाया हो, और श्रीमती चेतना राजू टांक ने अपने कार्यो से एक विशिष्ट पहचान को स्थापित कर दिखाया ।
बस एक जिद...और ले लिया फैसला
शैक्षणिक व अन्य संस्थाओ से जुडी श्रीमती चेतना टांक कहती है कि जब कोई महिला यह ठान ले कि समाज के लिये कुछ ऐसा कर गुजरना है कि जिसे लोग याद करें और अपने इस संकल्प पर पूरे प्राणोपण से अमल किया जाए तो ईश्वर भी आपके लिए हर रास्ते खोल देता है।बस मैंने भी कुछ ऐसा ही ठाना और अमल किया तो राह आसान हो गई। सच तो यह है कि समाज के लिए कुछ काम करने व सेवाभाव से जो मन को सुकून और शांति मिलती है, उसका आनंद ही अलग है। वे अपने अतीत के पृष्ठ पलटते हुए कहती हैं कि जब वे एक गृहिणी के रुप में अपना घर-परिवार सम्भालती थी तो उन्होंने रोजमर्रा की जिंदगी में आनेवाली परेशानियों को काफी करीब से देखा। उन्होंने जमीनी धरातल पर देखा कि समाज में सैकडों ऐसे परिवार है, जो अभाव की जिंदगी काटने पर विवश हैं। बस दिन-रात मन में यही ख्याल आता था कि काश ! मैं भी समाज के हर वर्ग की भलाई व उनके चेहरे पर मुस्कान बांटने के लिए कुछ कर सकूं। मन में यह भी विचार आया कि नहीं, यह बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा। अंत: काफी ऊहापोह के बाद सोचा कि क्यों न चुनौती को स्वीकार ही कर लिया जाए? चुनौती भी आसान नही थी क्योंकि सुबह-शाम लोगों की शिकायते सुनकर उनका समाधान भी करना था क्योंकि मेरा फैसला एक पार्षद बनने का था। परिवार के सदस्यों और समाजबंधुओं से इस बारे में बात की तो सभी ने मेरी हौसला अफजाई की और हिम्मत दी।
रखे राजनीति में कदम....
समाजसेवा का व्रत लेकर श्रीमती चेतना टांक ने वर्ष २००२ के मनपा चुनाव में काँग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और अपने पारिवारिक सदस्यों व कार्यकर्ताओं के साथ प्रभाग के हर मतदाताओं के घरों तक जाकर दस्तक दी। क्वेटा कॉलोनी जैसे भाजपा के गढ़ में उस वक्त भाजपा के उम्मीदवार को पराजित कर विजय हासिल की।
उस वक्त पहली मर्तबा प्रभाग पध्दति अपनाई जा रही थी. कांग्रेस की ओर से चेतना बेन को प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला. क्वेटा कॉलोनी जैसे भाजपा के गढ़ में भाजपा उम्मीदवार को शिकस्त देकर बाजी मारी. उस प्रभाग में दो अन्य सहयोगी भाजपा की टिकट पर विजयी हुए थे. इसमें वर्तमान विधायक कृष्णा खोपड़े तथा राजू धकाते का समावेश था ।
अपने पहले कार्यकाल में उन्हे पूरे प्रभाग की जनता की सेवा करने का अवसर मिला। कतिपय कारणों से कुछ समय के लिए चेतना बेन ने राजनीति से विश्राम लिया,और पुन: २००९ में लोकसभा चुनाव के वक्त केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरिमामयी उपस्थिति में भाजपा के साथ अपने राजनीतिक सफर को आगे जारी रखने का फैसला लिया। वर्ष २०१२ में हुए मनपा चुनाव में चेतना बेन टांक ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा। उस वक्त दो वार्डो को मिलाकर एक वार्ड बनाया गया था। नया धर्मसंकट यह था कि जिन क्षेत्रों में उन्होंने विकास कार्य किए थे वे क्षेत्र नई प्रभाग रचना के तहत या तो अलग हो गए थे अथवा कुछ नये क्षेत्र जुड़ गए थे। इस बार इनके प्रभाग में वर्धमाननगर व भांडेवाडी क्षेत्र का समावेश था। इस बार भी जनता ने उनका साथ दिया और वे भारी बहुमतों से विजयी हुई। उन्हें मनपा में शिक्षण सभापति की जवाबदारी सौपी गई, जिसे उन्होने बखूबी निभाया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मनपा की खस्ता हाल शालाओं का पुनर्उद्धार करवाया तथा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं’ अभियान को पूरे नागपुर शहर में चलाकर बेटियों का सम्मान बढ़ाया।
वर्ष २०१७ में पुन: नई प्रभाग पध्दति घोषित की गई और ४ वार्डों को मिलाकर एक प्रभाग बनाया गया। इस बार मनपा चुनाव लड़ना अर्थात मिनी विधानसभा का चुनाव लड़ने जैसा था। सम्पूर्ण प्रभाग का दौरा कर जनता का आशीर्वाद लिया और पुन: जीत दर्ज कर मनपा सदन पहुंचीं।
अपने कार्यकाल में श्रीमती चेतना बेन ने अपने प्रभाग में करोडों रुपयों के विकास कार्य कर क्षेत्र का चेहरा-मोहरा ही बदल डाला। महिलाओं को रोजगार देने का प्रयास, शालेय विद्यार्थियो के लिए स्वास्थ्य शिविर, मनपा शालाओं में पढ़ने वाले बच्चों को गणवेश व नोटबुक्स का वितरण, बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ अभियान में सक्रिय सहभागिता, प्रभाग अंतर्गत बगीचों का सौंदर्यीकरण, गटर, पानी की आपूर्ति, स्ट्रीट लाईट सहित अनेक मूलभूत समस्याओं का निराकरण, सीमेंट सडकों का निर्माण, फ्लोरिंग के कार्य, नागरिकों को आराम करने के लिए विविध स्थानों पर लोहे की बैंचेस की उपलब्धता, शौचालयों का निर्माण सहित इत्यादि कार्य किये।उनके अब तक के कार्यकाल में उन पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा। जरुरत पड़ने पर उन्होने खुद के पास की निधि देने से भी परहेज नहीं किया।
बचपन के संस्कारों ने बदल दी जीवन की दिशा
प्रभाग ३६ की नगरसेविका श्रीमती चेतना टांक की शिक्षा-दीक्षा जबलपुर के जॉनसन गर्ल्स सेकेंडरी हाईस्कूल एवं हवाबाग कॉलेज जबलपुर व महर्षि वेद विद्यालय से हुई। बचपन मे माता मुक्ताबेन व पिता अम्बालालजी चौहान से मिले धार्मिक व सामाजिक संस्कारों का ही फल था कि उन्होने न केवल समाजसेवा का व्रत ले लिया बल्कि अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाजशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री भी हासिल की। वे दो बहनें व एक भाई में सबसे बड़ी है, अत: जवाबदारी की क्षमता क्या होती है, वे इसे बखूबी जानती है। उनका विवाह रीति-रिवाजों के साथ नागपुर शहर के प्रतिष्ठित उद्योजक घराने के श्री पुरुषोत्तम टांक के द्वितीय पुत्र राजुभाई टांक से हुआ। परिवार की सहमति पाकर उन्होंने समाजसेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और यह सफर नि:स्वार्थ भाव से सतत जारी है ।
संघर्ष एवं कार्यप्रणाली
श्रीमती चेतना टांक ने वर्ष २००२ ,२०१२ व २०१७ तीन बार म. न. पा. में नगरसेविका का चुनाव जीता ,खास बात यह है की की हर बार वार्ड -प्रभाग में परिवर्तन होता रहा हर बार नया क्षेत्र रहा फिर भी उन्होंने हर बार विजयश्री प्राप्त की ,साथ ही शिक्षा क्षेत्र में ०७ बच्चो के प्ले ग्रुप से प्रारम्भ ललिता पब्लिक स्कूल आज १००० + छात्र छात्रों का विशाल प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान है । निरंतर संघर्ष एवं कार्यप्रणाली उनकी सफलता का कारण है हर कार्य का पूर्ण आंकलन कर ही निर्णय लेना ,अपने बुजुर्गों, सहयोगियों की हर अच्छी सलाह को महत्व देना श्रीमती चेतना टांक के व्यक्तित्व का हिस्सा है। और इसके चलते ही उन्होंने सफलता के हर सोपान को प्राप्त किया
सेमिनार ,वर्कशॉप का आयोजन :
कराटे वर्कशॉप "निर्भया" का आयोजन ,शिक्षक सेमिनार, शिक्षण मूल्य के महत्व पर छात्रों के वर्कशॉप का आयोजन ,छात्रों एवं पालकों का फ्री मेडिकल कैंप , प्रमुख वक्ता नेशनल वुमन कॉन्फ्रेंस ,म.न.पा. शिक्षक सेमिनार का आयोजन ,यंग गर्ल चाइल्ड वर्कशॉप का आयोजन , कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज में गर्ल चाइल्ड शिक्षण वर्कशॉप का आयोजन , आदि अनेक सेमिनार ,वर्कशॉप के आयोजन श्रीमती चेतना टांक ने किये
विकास कार्य : विगत २०१२ से लेकर २०१८ तक उन्होंने अपने कार्यकाल में करीब १ करोड़ रुपये विकास कार्य अपने प्रभाग में सफलतापूर्वक किये । सन् २०१८-१९ चालू वित्त वर्ष में करीब २ करोड़ के विकास कार्य हो चुके है एवं अभी विकास कार्य प्रगति पर है ।
पदाधिकारी :
- डायरेक्टर ललिता पब्लिक स्कूल, वर्धमान नगर रिंग रोड नागपुर
- पार्षद डिप्टी सिग्नल कलमना
- चेयरपर्सन चेतना किड्स पैराडाइज (प्ले ग्रुप)
- पूर्व कोषाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी, नागपुर शहर
- उपाध्यक्ष श्री कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज ऑल इंडिया.
- पूर्व उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी, नागपुर शहर
- सचिव मा. श्री ललिता प्रज्ञा प्रतिष्ठान
- सचिव श्री कमल शिक्षण संस्थान
- सचिव बसंतबेन पुरुषोत्तम भाई टांक मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर
- ट्रस्टी राधा कृष्ण हॉस्पिटल
- सदस्य विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान
- सदस्य मेट्रो रीजन कमिटी
- पूर्व सदस्य नागपुर महानगर नियोजन समिति
- पूर्व सभापति नागपुर महानगरपालिका शिक्षण सभापति
- पूर्व सभापति समाज कल्याण व प्रधानमंत्री आवास योजना म. न. पा .
- पूर्व पार्षद प्रभाग 36 वर्धमान नगर, भांडेवाड़ी
- पूर्व पार्षद प्रभाग 36 क्वेटा कॉलोनी
- पूर्व अध्यक्ष श्री कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज महिला मंडल नागपुर
- ट्रस्टी श्री कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज महासभा
- डायेरक्टर महेश नागरिक बैंक, नागपुर.
- सचिव ऑल इंडिया गुजराती समाज (वेस्ट जोन)
पुरस्कार :
- राष्ट्रीय उमंग अवार्ड कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज महासभा
- राष्ट्रीय गौरव अवार्ड कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज महासभा
- बेस्ट एजुकेशन अवार्ड ऑफ़ सिटी
- नेशनल एजुकेशनल एक्सीलेंस अवार्ड
- इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स द्वारा सन्मान चिन्ह