
डॉ.दिलीप अर्जुने
MBBS, MD(Path), PG Diploma(Diabetes)
Phd , MBA (Hospital Management), LLB
डॉ.दिलीप अर्जुने एक चिकित्सक के अतिरक्त एक कवि भी है.अब तक उनके ३ काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन नागपुर के पूर्व पदाधिकारी, अनेक संस्थाओं से सम्बद्ध ,सामाजिक न्याय व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की मदद उनकी पहचान है.
इंसान के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण होते है उसे मिले बचपन के संस्कार ये संस्कार ही उसकी दशा और दिशा को निर्धारित करते है एवं उसे एक व्यक्तित्व भी प्रदान करते है. बचपन में अपने कर्मठ पिता और दूरदर्शी माता से मिले संस्कारों व उनकी शिक्षाओं पर अमल करते हुए नागपुर शहर के चुनिंदा चिकित्सकों में शुमार डॉ. दिलीप अर्जुने ने चिकित्सा के माध्यम से समाजसेवा की राह चुनी है अमूमन आज लोग डॉक्टरी पेशे को व्यवसाय की तरह मानते है.लेकिन समाज के दीन- दुखी , आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की निःशुल्क अथवा अत्यल्प राशि में चिकित्सा करने वाले डॉक्टर्स में एक डॉ अर्जुने का समावेश है . उनका मानना है कि शांति व सुकून के लिए सबसे सुंदर मार्ग है जनसेवा.
अमरावती जिले के धामनगांव रेलवे -दत्तापुर नामक गांव में १४ अप्रैल १९६८ को जन्मे डॉ. दिलीप अर्जुने के पिताजी स्व. गणपतरावजी पश्चिम रेल्वे में बतौर रेलवे सुपरिंटेंडर काम करते थे व माताजी स्व. इंदिराबाई गृहिणी थी. उनकी प्राथमिक शिक्षा ओंकारदास केला नगर परिषद् शाला, दत्तापुर में एवं मिडिल व हाईस्कूल तक का शिक्षण सेठ फत्तेलाल लाभचंद हाईस्कूल, धामनगांव रेल्वे में हुआ. ११ वी व १२ वी तक की पढ़ाई उन्होंने आदर्श महाविद्यालय धामनगांव रेलवे से पूर्ण की. इसके पश्चात शासकीय महाविद्यालय, नागपुर (GMC ) से १९९२ में एम.बी.बी.एस. व १९९९ में एम.डी. की डिग्री हासिल की तत्पश्चात वर्ष २००० में मेडिकल चौक, नागपुर में खुद की प्रैक्टिस शुरू कर दी. २००६ में संगम कार्निवल सिनेमा एरिया, तिरंगा चौक में छाया पैथोलॉजी कम्प्यूटर डायग्नोस्टिक लैब शुरू की, जो अब भी शुरू है.
डॉ.अर्जुने का पढ़ाई का शौक इस दौरान भी नहीं रुका. चिकित्सा के क्षेत्र में एम.बी.बी.एस. व एम.डी. की डिग्री हासिल करने के बाद उनकी रुचि बिजनेस मैनेजमेंट में जगी और उन्होंने २०११-१२ में भारतीहार यूनिवर्सिटी, कोयम्बतूर से एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की. इसके बाद कानून के क्षेत्र में भी अपनी योग्यता साबित कर दिखाने का जूनून उन पर सवार हुआ और २०१७ से २०१९ के दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी, सागर (म प्र ) से एल.एल.बी. की डिग्री पाकर सिद्ध कर दिखाया कि अगर इंसान मन में कोई बात ठान ले, तो उसे हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं है अपने चिकित्सीय क्षेत्र में उनके अनुभव भी काफी उल्लेखनीय है. अपोलो हॉस्पिटल, कांग्रेस नगर, नागपुर में ५ वर्षो तक तथा क्रिसेंट हॉस्पिटल, धंतोली, नागपुर में ३ वर्षो तक उन्होंने अपनी सेवाएं दी.
अरुणाचल प्रदेश की हिमालयन यूनिवर्सिटी, ईटानगर से उन्होंने पी.जी. डिप्लोमा इन डाइबिटीस की डिग्री पाई और उसके बाद सैकड़ों मधुमेह रोगियों की जांच व चिकित्सा का कार्य शुरू किया, जो अब भी शुरू है. वे एक कुशल मधुमेह विशेषज्ञ भी हैं .उनकी सामाजिक सेवाओं व चिकित्सीय सेवाओं को देखते हुए उन्हें रायपुर की यूनिवर्सिटी से उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चूका है. डॉ अर्जुने ने डेढ़-दो वर्षो तक सिकलसेल की भी प्रैक्टिस की व अब तक अनेक मरीजों की निःशुल्क जाँच की. इस बीमारी के सम्बंध में वे काउंसलिंग भी करते हैं. उनका कहना हैं कि सिकलसेल अपरकास्ट में भी पाया जाता हैं, जिसका प्रतिशत काफी कम अर्थात मात्र दो फीसदी हैं. डॉ. अर्जुने के दिल में बुजुर्गो व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए काफी सम्मान है.
अपने अथवा परिवार के सदस्यों के जन्मदिन के मौके पर वे पंचवटी वृद्धाश्रम में जाकर वहां बुजुर्गो को भोजन कराते है और वहां किसी तरह की सामग्री की जरूरत हुई, तो वे मुहैया कराते है. शालेय विद्यार्थी व बुजुर्गो की रक्त जांच वे निःशुल्क करते है. इसके अलावा उन्हें लायंस क्लब स्मार्ट सिटी सहित अनेक संस्थाओं द्वारा उनकी सेवाओं के लिए आमंत्रित भी किया जाता है. अपनी माताजी को जीवन का मुख्य प्रेरणास्त्रोत मानाने वाले डॉ. अर्जुने अपना आदर्श बाबासाहेब आंबेडकर तथा प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी को मानते है. उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अमृता अर्जुने एक कुशल गृहिणी है. बेटा अनय इस वक्त नीट की तैयारी कर रहा है, तो बेटी वैष्णवी कक्षा नौवीं में अध्ययनरत है. डॉ. अर्जुने ४ बहनों व २ भाइयों में सबसे छोटे है. सभी भाई - बहन ग्रॅज्युएट है. एक बहन ने एम.ए.मराठी में गोल्ड मैडल भी हासिल किया है.
डॉ. अर्जुने को सदा कुछ नया सीखने का जुनून रहता है. उन्हें अलग - अलग विषयो की किताबे पढ़ने का शौक है. इसके आलावा किशोर कुमार व मन्नाडे के गाने सुनने व गाने में काफी रूचि है. उनकी सामाजिक व चिकिस्कीय सेवाओं के कारण करीब २० संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. हिंदी, मराठी व अंग्रेजी भाषाओं का उन्हें अच्छा ज्ञान है. बचपन से ही उन्हें कविताएं लिखने का शौक रहा है. वे समाज को संदेश देते हुए कहते है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दें ताकि वे काबिल बने और जो भी कार्य करे, वह सेवाभाव से करे. समाजसेवा से बढ़कर अच्छा कोई कार्य हो ही नहीं सकता. अब तक उनकी ३ काव्य पुस्तिकाएं क्रमशः प्रतिबिंब व इंद्रधनुष्य (मराठी) व परछाई (हिंदी ) प्रकाशित हो चुकी है .
IMA Nagur Jt. Secretary (2014)
2013 -Health Excellence Award -Indian Achievers Forum New Delhi
2014-Award For Social Work-Indian Achievers Forum New Delhi
2015-Award for Extra Ordinary Performance -Lions Club Smart City Nagpur