Dr.Hemant Sonare / डॉ.हेमंत सोनारे


डॉ. हेमंत सोनारे

B.Tech(Textile) MBA. D.F.D. PhD. IELTS. 

Director-Wanjari Group Of Institutions,

x-National ChairmanTextile Associations of India

डॉ. हेमंत सोनारे एक अग्रणी शिक्षाविद्, प्रतिष्ठित कपड़ा-परिधान प्रौद्योगिकीविद्, कृषक, प्रख्यात वक्ता और प्रसिद्ध सामाजिक वैज्ञानिक हैं.उनका कपड़ा-वस्त्र, कृषि और शिक्षा उद्योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान है .

महत्वाकांक्षी,बहुमुखी,स्वयं संचालित,उत्साहित,मधुर भाषी व्यक्तित्व "टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया TAI के पूर्व राष्ट्रीय चैयरमेन" कॉटन विदर्भ " के संस्थापक अनेक संस्थाओ से सम्बद्ध ,अनेक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित डॉ.हेमंत सोनारे कृषको के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है   

डॉ. श्याम सोनारे एव श्रीमती प्रतिभाताई सोनारे के सबसे छोटे पुत्र डॉ. हेमंत सोनारे का जन्म वरुड (जिला अमरावती ) में हुआ`शुन्य से शिखर`पर पहुंचने वाले डॉ. हेमंत सोनारे के दो बड़े भाई है डॉ. शशांक सोनारे व डॉ. प्रशांत सोनारे जो इस समय क्रमशः अमरावती व मुंबई में है .डॉ.हेमंत सोनारे के परिवार में सभी Phd डॉक्टर है .पिताश्री महात्मा फुले कॉलेज वरुड में ४४ वर्षो तक मराठी के प्राध्यापक रहे व माताजी भी पार्वती कन्या शाला वरुड में शिक्षिका थी.

पिताश्री का संधर्षमय जीवन 

पिताजी के संघर्ष को याद करते हुए डॉ, हेमंत बताते है कि वे जब वरुड आये थे तब वे खाली हाथ आये थे.अत्यंत कठिन परिस्थिति में वे जीरो से हीरो बने. बचपन में एक पड़ोसी ने उनका एडमिशन स्कूल में करा दिया. उन्होंने स्कूल के हेड मास्टर से कहा कि वे श्रमदान करेंगे, तो ही पढ़ाई करेंगे क्योकि फीस के पैसे थे ही नहीं ४ थी क्लास में ,इतनी कम उम्र में भी उनकी यह विचारधारा व सिद्धांत वादी व्यक्तित्व जीवन पर्यन्त था और यह एथिक्स ही उनके जीवन को आयाम देने वाला बना.पिताश्री श्याम सोनारे ने १० वी क्लास में एक कविता संग्रह `गण मन भवरी` लिखा जिसमे उन्होंने अपने गरीबी के संघर्ष का यथार्थ चित्रण किया था. कविता संग्रह से वे सम्पूर्ण महाराष्ट्र में प्रसिद्ध हो गए.और डॉ. श्याम सोनारे को सुप्रसिद्ध मराठी कवी बाळ सीताराम मर्ढेकर का प्रतिरुप माना जाने लगा .

१० वी पास करने पर शिक्षक का काम मिल गया फिर डबल एम. ए. व बी .एड. किया इस दौरान उन्होंने घर-घर जाकर पेपर बांटे, गेटकीपर कार्य भी किया व चलती-फिरती लाइब्रेरी का भी काम किया. उपरांत उन्होंने "एकनाथ और तुलसीदास तुलनात्मक अध्ययन "विषय पर थीसिस लिखी,यह करीब साढे तीन हजार पन्नो की थी, जिस पर उन्हें `डॉक्टरेट` की उपाधि हासिल हुई.पिताश्री श्याम सोनारे अपनी तकलीफों के बावजूद सामाजिक कार्यो में सक्रियता से शामिल होते थे पिताजी का कांग्रेस के प्रति रुझान था. उनके सम्पर्क श्रीमती इंदिरा गाँधी ,पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हराव से लेकर तत्कालीन अनेक बड़े-बड़े नेताओं से था . जब नरसिम्हराव जी रामटेक से चुनाव लड़े थे तब डॉ. श्याम सोनारे ने सक्रिय भूमिका निभाई थी इंदिरा गांधी के विपरीत समय के दौरान उन्होंने जेल भरो आंदोलन की अगुवाई की. डॉ. श्याम सोनारे अनेक वर्षो तक वरुड ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे वे मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन में सलाहकार भी रहे .उन्हें दो बार कांग्रेस पार्टी द्वारा विधायक की भी टिकट मिली, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया.उन्होंने हमेशा किंग मेकर की भूमिका निभाई अनेक युवाओ को मूल्यों पर आधारित राजनीती में अग्रसर किया .जीवन पर्यन्त नैतिकता पर वे अटल रहे . 

डॉ, हेमंत बताते है कि उनकी मातुश्री प्रतिभाताई सोनारे ने दायित्वबोध,कर्तव्य परायणता के साथ पिताश्री और परिवार के उत्थान में महत्तम भूमिका निभाई .मातुश्री प्रतिभाताई अपने मायके में अति धनाढ्य परिवार से थी फिर भी बिना किसी क्षोभ के सदैव पिताश्री के सभी सामाजिक राजनैतिक गतविधियों में समर्पण भाव से सम्मिलित होती रही तत्कालीन सभी लोग उन्हें "अन्नपूर्णा "के नाम से सम्बोधित करते थे .उन्होंने ४० वर्षो तक शिक्षिका एवं पर्वेक्षक के रूप में कार्य किया . 

माता-पिता ही हैं मेरी युनिवर्सिटी 
TAI के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, वंजारी ग्रुप के डायरेक्टर, रायसोनी ग्रुप के पूर्व उपाध्यक्ष, `कॉटन विदर्भ` के संस्थापक व संचालक सहित अनेक संस्थाओं से जुड़े डॉ. हेमंत सोनारे अपने माता-पिता को सर्वस्व मानते है. उनका मानना है कि वे ही उनकी वास्तविक युनिवर्सिटी है .जब वे कक्षा चौथी-पांचवी में थे तब उन्होंने श्री गोविंद प्रभु की कथा लिखकर सबको हतप्रभ कर दिया था. `कथाकथन` में उन्होंने अपनी मौलिक प्रतिभा का परिचय देकर कई बार जीत दर्ज की. खेल, नाटक,एकांकी, अभिनय, वक्तृत्व कला उनमे कूट-कूट कर भरी है. हर फन में माहिर डॉ. सोनारे शालेय जीवन में कई बार क्लास कैप्टन रहे. हर तरह की गतिविधयों में भाग लेना मानो उनका जूनून ही रहा. डॉ. हेमंत सोनारे की शिक्षा १० वी तक न्यू इंग्लिश स्कूल वरुड , १२ वी तक की शिक्षा महात्मा फुले महाविद्यालय वरुड ,अकोला से टेक्सटाइल  इंजीनियरिंग ,तत्पश्चात मुंबई आइ.आइ.टी.सी. से फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा तथा नागपुर विधापीठ से एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की. टेक्सटाइल्स में रुचि रहने के कारण डाक्टरेट की उपाधि भी व्यवस्थापन शास्त्र में विदर्भ टेक्सटाइल्स विकास विषय लेकर हासिल की. डॉ. हेमंत सोनारे एक कुशल नेता, अच्छे वक़्ता व लेखक भी है.जीवन में उन्होंने कई प्रयोग किये और सफलताएं पाईं, लेकिन अपनी गरीबी को हमेशा ईमानदारी से जिया.

संघर्षों में रखा हौसला बरक़रार
अपने संघर्ष के दिनों का एक दिलचस्प वाकया सुनाते हुए डॉ.सोनारे कहते हैं कि जिस समय वे टेक्सटाइल इंजीनीयरिंग की पढाई कर रहे थे तब कबाड़ से एक-एक हजार रुपये में एक विजय सुपर व एक लेम्ब्रेटा खरीदी.दो स्कूटर से खुद ही रिपेयर कर एक स्कूटर बनाई .उनका यह मानना था कि गरीबी को दिखाने से अच्छा, है की उसे स्वीकार करो और निम्नता के भाव से मुक्त रहो .डॉ. सोनारे ने टेक्सटाइल इंजीनियरिंग करने के बाद मुंबई का रुख लिया और वहां विक्टोरिया मिल में इंटर्नशिप की तदुपरांत कॉन्टेक्स्ट इंडिया एवं क्लॉथ लाइन ग्रुप में प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर कार्य किया ,इस पद पर रहते उन्हें टेक्सटाइल व फ़ैशन जगत के प्रख्यात फ़ैशन डिज़ाइनर एवं टेक्सटाइल उद्योगपतियों के साथ कार्य करने का अवसर मिला . १९९४ में अपनी मातुश्री के नाम से "प्रतिभा फेब आर्ट" के नाम से अपना प्रथम व्यवसाय मुंबई में प्रारम्भ किया.कुछ समय पश्चात "पेज लिंक" कंपनी के पेजर का डिस्ट्रीब्यूशन किया . १९९५ में लोगों के हाथों में मोबाइल आ गया, इसलिए उन्होंने मैक्सटच की डिस्ट्रीब्यूटरशिप ले ली. इसके बाद अपने बड़े भाई प्रशांत सोनारे के साथ "सेलटेल इंडिया " शुरू की, जो करीब १९९७ तक चली. तत्पश्चात "फैशन कॉन्सेप्ट" शुरू किया और खुद के डिजाइन्स बनाकर मुंबई में सप्लाई करने लगें. वहां के अनेक प्रसिद्ध बुटिक से भी आर्डर मिलने लगे. इसके बाद उन्होंने गारमेंट यूनिट शुरू की. एक्सपोर्ट यूनिट्स के जॉब वर्क आने लगे. डॉ.सोनारे बताते हैं कि उस वक्त काफी नुकसान भी बर्दाश्त करना पड़ा. उन्होंने हौसला नहीं हारा बल्कि नये उत्साह से काम में जुटे रहे . कम लागत में अधिक उत्पादन की कला उन्हें आ गई . सिर्फ पैसा कमाना ही उनका मकसद कभी नहीं रहा .

विदर्भ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर आये अपने गांव 

मुंबई की चकाचौंध छोड़ कर विदर्भ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर डॉ सोनारे ने १९९८ में अपने पैतृक गावं वरुड की ओर रुख किया व कुछ दिन रहने के बाद नागपुर आए . २००० में वे टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया TAI के विदर्भ रीजन के ज्वाइन सेकेटरी चुने गए .तभी लॉर्ड्स वेयर के किशोर ठुठेजा से मिले . दोनों ने साथ में काम करने का निर्णय लिया.रविनगर में लॉर्ड्स फैशन एकैडमी शुरू की व दो वर्षो के बाद वहां से हटकर खुद की एकैडमी "Texcellence Institute Of Design "शुरू की . वर्धा रोड पर इस एकैडमी को मात्र एक कुर्सी व टेबल से शुरू किया और यहाँ फैशन डिजाइनिंग के कोर्स सिखाये जाने लगे .यह एकेडमी विदर्भ की अपने तरह की एक मात्र एकेडमी थी .१६ फरवरी २००५ में नागपुर के राठौड़ परिवार की सुकन्या रचना से उनका विवाह हुआ .श्रीमती रचना टेक्सटाइल फैशन डिज़ाइनर है .यह एकैडमी आज भी चालू है जिसे श्रीमती रचना सोनारे चला रही है .इस दौरान V IA से भी जुड़े रहे .वरुड में उनकी पैतृक खेती थी, अत: उस पर भी ध्यान देना शुरू किया व साथ में सोशल वर्क भी शुरू रखा . खेती को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाया . इस दरम्यान २००७ में हैद्राबाद की यूनिवर्सिटी आइ.सी.एफ. ए .आई से जुड़े. डॉ. सोनारे को तीन राज्यों की जवाबदारी बतौर रीजनल डेवलपमेंट मैनेजर सौंपी गई. इस संस्था के द्वारा मनेजमेंट के प्रोग्राम प्रमोट करना होता था. २००८ में वे टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया TAI के विदर्भ रीजन के सेकेटरी चुने गए .तत्पश्चात रायसोनी ग्रुप में २०११ से २०१६ तक वाईस प्रेजिडेंट के रूप में सेवाएं दी. २०१६ से विदर्भ के सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थान वंजारी ग्रुप में डायरेक्टर पद पर कार्यरत है. २०१७ में डॉ सोनारे को TAI का नेशनल चैयरमेन चुने गए .२०१७ से २०१९ तक वे पदेन रहे . 

डॉ.हेमंत सोनारे बहुमुखी प्रतिभा के धनी है ,हरित क्रांति के जनक डॉ एम. एस. स्वामीनाथन के साथ उन्होंने युवा एवं किसान संशोधक के अनेक प्रोजेक्ट किये , इंडियन युथ साइंस कांग्रेस का सफल नेतृत्व किया . विदर्भ स्टूडेंट पार्लियामेंट की संकल्पना और एक सशक्त युवा लीडरशिप तैयार करने का उनका अभियान गत चार वर्षो से जारी है जिसमे उन्हें भारी प्रतिसाद भी मिल रहा है. "डिसेबिलिटी टू एबिलिटी"अभियान के तहत विकलांग बंधुओ के समग्र उत्थान हेतु अनेक तरीको से वे सक्रिय है ,कारगृह में कैदियों को मुख्य धरा से जोड़ने हेतु वे कार्यरत है ,कला के क्षेत्र में "अक्षर सुधार "के तहत अनेक शालाओ में सेमिनारों का आयोजन ,धार्मिक क्षेत्र में हर वर्ष साईबाबा पालखी उत्सव का आयोजन ,क्रिडा क्षेत्र में महाराष्ट्र चेस(शतरंज) एसोसिएशन के पूर्व निदेशक रहते हुए अनेक शालाओ में "Chess in Schools" प्रोग्राम के तहत चेस (शतरंज) को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान ,महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में विदर्भ की करीब ४००० महिलाओ को गांव गांव जाकर कंप्यूटर के माध्यम से शिक्षित करना डॉ.हेमंत सोनारे की उपलब्धियों में से एक है .युथ एम्पावरमेंट ,युथ लीडरशिप,करियर डेवलपमेंट व उद्योजकता विकास के विभिन्न प्रोजेक्ट वे निरंतर सक्रीय है.    

विदर्भ की सामाजिक आर्थिक क्रांति का अग्रदूत  " कॉटन विदर्भ "
डॉ हेमंत सोनारे " कॉटन विदर्भ " संस्था के अंतर्गत विदर्भ के कृषकों ,युवाओं के सर्वांगीण विकास हेतु दूरगामी लक्ष्य के साथ एक ऐसे प्रोजेक्ट पर निरंतर कार्य कर रहे हैं .जिससे कृषको की आत्महत्या, युवाओं के रोजगार व गांव की समृद्धि के लक्ष्य को सुनियोजित तरीके से हासिल किया जा सकता है .विदर्भ भारत का सर्वाधिक कपास उत्पादक क्षेत्र है ,यहाँ कॉटन की उत्पादकता ,गुणवत्ता का सुधार कर टेक्सटाइल वैल्यू चैन निर्मित करना याने जिनिंग ,प्रेसिंग,विविंग से लेकर फैशन के अंतिम छोर तक विदर्भ के कृषकों को ले जाना " कॉटन विदर्भ " का दिवास्वप्न है . डॉ हेमंत सोनारे  FARM TO FASHION  के अभियान में राष्ट्रीय ,अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से आगे बढ़ रहे है .

आज भारत का कॉटन अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में लगभग ७ % सस्ते दर पर बिक रहा है जबकि विदर्भ के कॉटन की गुणवत्ता बेहतर है और विदर्भ के कॉटन को वैश्विक बाजार में मानक स्तर उपलभ्ध हो सकता है और विदर्भ का कृषक को सही मायने में पुनः राजा बन सकता है .साथ ही विदर्भ का कृषक को आत्महत्या के भवर से बाहर निकाला जा सकता है यह विश्वास डॉ सोनारे को है . कॉटन विदर्भ के महत्तम उपक्रम “लेबोरेटरी ऑन व्हील” के तहत कृषक के खेत तक जा कर आधुनिक तंत्र ज्ञान के साथ सभी आयामों से अवगत कराया जा रहा है.    

डॉ.हेमंत सोनारे बताते है कि विदर्भ की सबसे बड़ी फसल कपास है कपास 'सफ़ेद सोना ' कहलाता है व इसका पौधा 'कल्पतरु' है फिर भी हम दुनिया की पंक्ति में सब से आखिरी नंबर पर है .हमारे यहां का किसान गरीब और उनका परिवार बेरोजगार है.आज विदर्भ में कपास उत्पादन प्रति हेक्टर ३०० किलो ,सम्पूर्ण राष्ट्र में ५०० किलो,तो ऑस्ट्रेलिया में २१०० किलो औसतन है.आज विदर्भ में कपास की ३५ लाख गठान पैदा होती हैं, जिसमे मात्र ७ लाख गठान यहाँ प्रोसेस होती है व शेष बाहर जाती है.

कॉटन विदर्भ के महत्तम उपक्रम “लेबोटरी ऑन व्हील” के तहत कृषक के खेत तक जा कर आधुनिक तंत्र ज्ञान के साथ सभी आयामों से अवगत कराया जा रहा है. विदर्भ की नववारी साड़ी एवं कॉटन आधरित कपड़ो को पुनः प्रतिस्थापित करना , विदर्भ में टेक्सटाइल पार्क,टेक्सटाइल यूनिवर्सिटी की स्थापना ,कॉटन विदर्भ की प्राथमिकता है . “थिंक ग्लोबली ॲक्सट लोकली” के मूल मन्त्र के साथ डॉ सोनारे प्रयासरत है .

हर गांव में कॉटन इकोनॉमिक्स

डॉ सोनारे का स्वप्न है कि विदर्भ के हर गांव में कॉटन इकोनॉमिक्स उन्नत हो कपास की खेती से फ़ैशन तक का सफर हर गांव में ही हो ताकि हर गांव उन्नत व प्रगतिशील बने इसके लिए कृषि की वैज्ञानिक पद्धति,हथकरघा व हस्तकला को पुन: जिवंत करना ,कपास के अवशेष के उद्योगों की स्थापना ,वस्त्र निर्माण उद्योगों की स्थापना और वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता के साथ उत्पादों का विपणन करना होगा .आज विदर्भ का कपास औसतन ४०००/-  क्विंटल है जबकि मात्र एक शर्ट ३००० /- तक बिकता है डॉ सोनारे कहते है की कॉटन इकोनॉमिक्स लाते है तो यह मूल्यवर्धित स्थिति का लाभ विदर्भ के किसान को प्राप्त हो सकता है और विदर्भ का पुराना वैभव वापस आ सकता है.विदर्भ में पहले करीब १४००० के लगभग हेंडलूम्स थे आज करीब ५०० रह गए है " कॉटन विदर्भ " इस दिशा में भी काम कर रहा है ताकि हतकरघा हस्तशिल्प को पुनर्जीवित कर ग्रामीण विदर्भ में स्वरोजगार के नए आयाम स्थापित हो सके. 

परिवार पिताश्री -श्याम सोनारे ,माताजी प्रतिभा सोनारे , श्रीमती रचना सोनारे ,पुत्र-अध्ययन ,भाई -डॉ शशांक सोनारे डॉ प्रशांत सोनारे
जन्म तिथि 10/12/1971
जन्मस्थल वरुड जिला अमरावती
जिला नागपुर
शहर नागपुर
शैक्षिक विस्तार PhD ( Degree of Doctor of Philosophy,) Awarded in the Year 2015 by Rashtrasant Tukadoji Maharaj, Nagpur university under the faculty of Commerce in the discipline of Business Management. Master of Business Administration (MBA)(Marketing and HR) Degree from Dr. Ambedkar Management College, Nagpur, Nagpur University in 1998 Bachelor of Textile Engineering (B. Text)from the College of Engineering & Technology, Akola, Amravati University in1994. Diploma in Fashion Designing(D.F.D.) from IITC, Mumbai in 1994. ( IELTS )International English Language Testing System
कॉलेज राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ,नागपुर यूनिवर्सिटी डॉ . आंबेडकर मैनेजमेंट कॉलेज , नागपुर कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी , अकोला IITC, मुंबई
बिज़नेस / प्रोफेशन डायरेक्टर ऑफ़ वंजारी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स
विवाह तिथि 16 Feb 2005
श्रीमान / श्रीमती श्रीमती रचना सोनारे
प्रेरणा स्त्रोत / आदर्श व्यक्ति श्रीमती इंदिरा गाँधी ,डॉ ए.पी.जे .अब्दुल कलाम
पुरस्कार / उपलब्धियां

पदाधिकारी 

  • पूर्व चेयरमैन -द टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (2017-2019) 
  • ग्रुप डायरेक्टर फॉर वंजारी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स  
  • पूर्व वाईस प्रेजिडेंट राइसोनी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशन्स
  • नॉमिनेटेड मेंबर ऑफ़ कॉटन एडवाइजरी कौंसिल गवर्नमेंट ऑफ़ महाराष्ट्र 
  • नॉमिनेटेड मेंबर मेयर इनोवेशन कौंसिल ,नागपुर 
  • पूर्व सेक्रेटरी -टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ,विदर्भा यूनिट  
  • एडिटर -न्यूज़ लेटरटेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया -विदर्भा   
  • पूर्व निदेशक-महाराष्ट्र शतरंज एसोसिएशन
  • टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया-सेक्रेटरी' के रूप में नामित
  • महाराष्ट्र विकलांग क्रिकेट एसोसिएशन के 'मुख्य संरक्षक' 
  • वाईस  प्रेजिडेंट “स्वरसाधना ” (प्रमोट -विदर्भा ’टैलेंट )
  • टेक्सटाइल एसोसिएशन पत्रिका के कार्यकारी संपादक
  • विदर्भ के स्कूली बच्चों के हैंड राइटिंग इम्प्रूवमेंट मूवमेंट आर्गेनाइजेशन मधुकरराव भाकरे प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष
  • लाइफ मेम्बरशिप ऑफ़ टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (Taxgar) 
  • लाइफ मेम्बरशिप ऑफ़ विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Taxgar) 
  • पूर्व सेक्रेटरी ऑफ़ इंडियन जूनियर चैम्बर -गोल्डन 

पुरस्कार 

  • सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए "वरुड गौरव पुरस्कार" 
  • कृषि में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन व इंजीनियरिंग के लिए "कृषिभूषण" ’पुरस्कार से सम्मानित
  • राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट सेवा के लिए श्री जे जे रांदेरी TAI एक्सीलेंस पुरस्कार
  • ASOCON सोशल इम्पैक्ट अवार्ड
  • "सकाळ" एक्सीलेंस अवार्ड
  • नागपुर ब्रांडिंग अवार्ड  
  • रियलिटी किंग अवार्ड       

उप्लब्धिया 

  • कपड़ा और परिधान पार्क परियोजनाओं के लिए व्यावसायिक सलाहकार
  • १२ वें अंतर्राष्ट्रीय और ७० वें अखिल भारतीय टेक्सटाइल कांफ्रेंस का सफल आयोजन सम्मेलन अध्यक्ष के रूप में 
  • मुख्य वक्ता फॉर वर्ल्ड टेक्सटाइल कांग्रेस १६ व १७ 
  • शिक्षा, वस्त्र और वस्त्र उद्योग के विभिन्न प्रतिष्ठित प्लेटफार्मों पर कई व्याख्यान 
  • कपड़ा / फैशन / इंजीनियरिंग / प्रबंधन क्षेत्र में शैक्षणिक और तकनीकी विशेषज्ञता
  • यूनाइटेड किंगडम बैंकाक व मलेशिया के १६ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में Collaborative & Associate Project 
  • विभिन्न राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रकाशित शोध पत्र और लेख
  • विभिन्न गारमेंट्स और टेक्सटाइल ट्रेड मेलों में भाग 
  • पूरे महाराष्ट्र में करियर गाइडेंस कैंपों की शुरुआत 
  • नागपुर आकाशवाणी में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विषय पर व्याख्यान
  • ५०० से अधिक राष्ट्रीयऔरअंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, प्रदर्शनी और कार्यशालाएं में सक्रिय भागेदारी .
  • वर्ल्ड  टेक्सटाइल कांग्रेस की इंटरनेशनल  कॉन्फरेन्सेस में कांफ्रेंस एडवाइजर  
  • साउथ वर्ल्ड टेक्सटाइल समिट-भारत एवं  ग्लोबल टेक्सटाइल कांग्रेस - बैंकाक व थाईलैंड में सक्रिय भागीदारी
  • SAARC देशो के किसानों की आय दोगुनी करने हेतु काठमांडू, नेपाल में कार्यशाला  
  • ग्लोबल इनोवेटर्स एंड रिसर्चर्स कॉन्क्लेव -अध्ययन यात्रा बांग्लादेश के वस्त्र और वस्त्र उद्योग परिदृश्य पर 
  • 4th इंडियन युथ साइंस कांग्रेस व  विदर्भ स्टूडेंट पार्लियामेंट का आयोजन    
वर्ग प्रोफेशनल
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