Dr.Praween Narayan Mahajan / डॉ. प्रवीण नारायण महाजन


डॉ.प्रवीण नारायण महाजन

IOFS,B.E (Civil),MBA,BA-Marathi Literature,MA-Marathi,BA.Vedang-Jyotish,Ph.D (Film Screenplay),M.Sc.(Applied-Psychology),PGD (Electronic Media Management & Film Production),PG (Yoga),

अपर महाप्रबंधक आयुध निर्माणी, भंडारा (महाराष्ट्र), साहित्य, फिल्म, नाटक ,ज्योतिष, अभियांत्रिक, अभिनय, मानसशास्त्र, पटकथा लेखन,संपादन, निर्देशन, गायन क्षेत्र के ज्ञाता सुविख्यात कवि लेखक कला और साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर    

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी जीवन शैली को विविध आयामों में ऐसी तरह से ढालते हैं कि सुनने वाले व्यक्ति को  बेहद आश्चर्य होता है, इतना सब एक वयक्ति में कैसे हो सकता है कुछ ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी आयुध निर्माणी, भंडारा (महाराष्ट्र) के अपर महाप्रबंधक डॉ प्रवीण महाजन के बारे में भी की जा सकती है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डॉ. प्रवीण महाजन अपने पेशे से जुड़े कार्यों के बारे में जितनी गहरी जानकारी रखते हैं, उससे कहीं ज्यादा जानकारी इन्हें साहित्य, फिल्म, ज्योतिष, अभिनय क्षेत्र की भी है। डॉ. प्रवीण महाजन का जन्म एक बहुत समान्य परिवार में हुआ था। अमरावती जिले की अचलपुर तहसील के समरसपुरा में २२ जुलाई, १९६० को नारायण महाजन तथा जानकी बाई के सबसे छोटे पुत्र के रूप में जन्मे बच्चे का नाम प्रवीण रखा गया। अत्यंत अनुशासित पिता तथा संस्कार कुशल माता के सानिध्य में बालक प्रवीण की परवरिश की गई। पिता का अनुशासन तथा संत साहित्य के अध्ययन के कारण प्रवीण महाजन के जीवन की धारा साहित्य की ओर बढने लगी, लेकिन पिता की चाहत के कारण इंजीनियरिंग क्षेत्र में जाने का मन बनाया और प्राथमिक दौर की शिक्षा में अव्वल रहने वाला बालक आगे चलकर इंजीनियर बन गया। इंजीनियर बनने के बाद पिता को लगा कि अब प्रवीण की रूचि से साहित्य से कहीं ज्यादा इंजीनियरिंग के प्रति रहेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और प्रवीण के मन में साहित्य के प्रति जो लगाव था, वह उनके मन में बना रहा। 

पटकथा को साहित्य का दर्जा
अपनी मां के फिल्मों के प्रति रूझान के कारण प्रवीण जब बचपन में अपनी मां के साथ पिक्चर देखने जाते थे, तद्हेतु मां को जो कटाक्ष वहन करने पड़े उससे बेहद दुखी प्रवीण महाजन ने उसी समय यह तय किया था कि वे मां की इस उपेक्षा को समाज में इस रूप में सामने लाएंगे कि फिल्म खराब नहीं होती, उनसे भी बहुत कुछ जाना तथा समझा जा सकता है, उसी वक्त प्रवीण महाजन ने यह तय किया कि मैं पटकथा को साहित्य का दर्जा दिलवाऊंगा। अपने संकल्प को पूरा करते हुए डॉ. महाजन ने पटकथा में डॉक्टरेट हासिल की और "मराठी साहित्य आणि चित्र पटकथा शतकीय वाटचाल (१९१३ -२०१३ ") नामक पुस्तक १० वर्षों के अथक प्रयासों के बाद लिखी और उसे अपनी मां जानकी बाई महाजन को समर्पित किया है।

स्वर सम्राज्ञी भारतरत्न लता मंगेशकर से भेट 
१० वीं कक्षा में "पगला कहीं का"  तथा १२ वीं कक्षा में "विद्या विनयेन शोभते" नामक नाटकों का निर्माण करके यह संकेत दे दिया था कि प्रवीण महाजन आगे चलकर फिल्म, नाटक अभिनय जगत का एक बड़ा नाम बनेगा। डॉ. प्रवीण नारायण महाजन ने १० वर्ष के अथक प्रयास के बाद जब मराठी साहित्य आणि चित्र पटकथा नामक पुस्तक लिखी और उसकी प्रति दिखाने के डॉ प्रवीण महाजन स्वर सम्राज्ञी भारतरत्न लता मंगेशकर से मिलने के लिए मुंबई के प्रभुकुंज स्थित आवास पर १ जनवरी, २०१८ को गए और लता दीदी ने डॉ महाजन की पुस्तक देखकर उनकी सराहना की । डॉ प्रवीण महाजन कहते हैं कि लताजी से उनके घर पर हुई मुलाकात मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। डॉ महाजन ने दीदी से सिर्फ दस मिनट का वक्त मांगा था, लेकिन पुस्तक को लेकर ऐसी चर्चा छिड़ी कि डेढ़ घंटे कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। डॉ महाजन ने कहा कि लता दीदी से बातचीत करते समय मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं उनके ही परिवार का ही एक सदस्य हूं। पहली मुलाकात में दीदी का मेरे प्रति अपनत्व देखकर में अभिभूत हो गया ।

संघर्ष पूर्ण जीवन 
डॉ प्रवीण महाजन का बचपन बहुत ही गरीबी तथा कठिन परिस्थितियों में व्यतीत हुआ। चौथी तथा सातवीं में रहते हुए छात्रवृत्ति की परीक्षा में सफल होने के बाद नारायणजी  महाजन को पूरा भरोसा हो गया था कि उनका सबसे छोटा पुत्र सफलता के नव आयाम स्थापित करेगा। प्रवीण महाजन ने एक तरफ अपने पिता से संत साहित्य की जानकारी ली तो दूसरी तरफ उसने अपनी मां के साथ हिंदी और मराठी फिल्मों की बारिकियों को बड़ी गंभीरता से सीखा। कृषि कार्य तथा बुनाई करके जिवोपार्जन करने वाले परिवार में प्रवीण ने गरीबी को बड़े करीब से देखा ।महाजन परिवार के बच्चों ने कई रातें भूखे रहकर भी व्यतीत की थी,पर प्रवीण ने पढ़ लिखकर ऊंचे पद पर जाने की हरसत सदा अपने  मन में रखी । डॉ प्रवीण महाजन बड़े फक्र से कहते हैं कि मैं आज जो कुछ भी हूं, उसमें मेरे विद्वान तथा दूरदर्शी सोच वाले माता पिता का अहम योगदान है। डॉ प्रवीण कहते हैं कि बदहाल आर्थिक स्थिति होने के बावजूद अपने बच्चों को पढ़ाने की मेरे माता-पिता की लालसा ने हम सभी भाई बहनों को भीड़ में एक अलग चेहरा बना दिया। प्रवीण महाजन अपने सभी भाई बहनों में सबसे छोटे हैं, इसलिए माता-पिता का उनके प्रति विशेष स्नेह रहा।वे अपने जीवन काल में १०० पुस्तकें लिखने का लक्ष्य रखते है ।

अपने पुराने दिनों को याद करते हुए डॉ प्रवीण महाजन कहते हैं कि हमने अपनी प्राथमिक शिक्षा नगर परिषद की धूल माटी से भरे गांव के स्कूल में लिया, इस स्कूल में सुविधाओं की किल्लत तो थी ही साथ ही शिक्षकों की भी बेहद कमी थी, लेकिन पिता ने स्कूली शिक्षा की कमी को पूरा कर दिया। किसी भी कक्षा में कभी ट्यूशन नहीं लिया। पिता द्वारा मार्गदर्शन करने के कारण हर बार स्कूल की परीक्षा में पहला स्थान मिलता रहा। इतना ही चौथी तथा सातवीं कक्षा की छात्रवृत्ति परीक्षा में अमरावती जिले के शहरी क्षेत्र में पहला स्थान आया। इसके बाद एसएससी बोर्ड की परीक्षा में मेरिट लिस्ट में आठवां स्थान प्राप्त हुआ। शिक्षा का खर्च कक्षा चार से लेकर इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी होने तक स्कालरशिप से ही वहन किया। गोबर उठाने, कंडे थापने, बर्तन मांजने, खाना बनाने, मां को उसके काम में हाथ बंटाने इन कार्यों के बीच १२ वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी हुई। श्री जगदंब विद्यालय में पढ़ाई करते समय वहां के शिक्षकों का आशीर्वाद तथा प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के कारण प्रवीण महाजन की सर्जनशीलता को हर बार अलग आयाम ही मिलता रहा।

रक्षा विभाग के प्रथम श्रेणी के अधिकारी की  जिम्मेदारी के साथ साहित्य साधना 
प्रवीणजी के जीवन का सच्चा संघर्ष इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के बाद शुरु हुआ। उस दौर में लोगों की मानसिकता यही थी कि इंजीनियरिंग, मेडिकल में प्रवेश मिलना सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी, ऐसे में मेरे अंदर के कलाकार का दम घुटने लगा। दोस्तों, घर के बड़े लोगों के विचारों के विपरीत फिल्म तथा साहित्य में अपना रुझान बढ़ाने वाले डॉ प्रवीण महाजन कहानी, कवि तथा फिल्म की समीक्षा लिखने लगे, इस वजह से प्रवीण महाजन में अच्छे लगने वाले सभी विषयों से संबंधित पुस्तकों के अध्ययन करने की रूचि पैदा हो गई।डॉ. प्रवीण महाजन ने यू.पी.एस.सी.की इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेस की परीक्षा पहले प्रयास में ही पास की। खास बात यह है कि यह परीक्षा प्रवीण महाजन ने ऐसे समय पास की थी, जब प्राइवेट ट्यूशन की कोई व्यवस्था नहीं थी। इंडियन ऑर्डनन्स फैक्टरी सर्विसेस याडीफैन्स के क्लास वन अधिकारी के कैडर पर आने के बाद नया संघर्ष शुरु हुआ। रक्षा विभाग के प्रथम श्रेणी के अधिकारी की सेवा पूरी जिम्मेदारी के साथ करते हुए डॉ. प्रवीण महाजन ने कई पुरस्कार प्राप्त किए। वरिष्ठ पद की जिम्मेदारी पूरी करने के बीच कुछ समय निकाल कर अपनी साहित्यिक अभिरुचि का जतन करते हुए मराठी साहित्य, फिल्म तथा कला की रक्षा के लिए डॉ प्रवीण महाजन अपना कुछ वक्त निकालने लगे, हालांकि प्रारंभ में यह सब करना डॉ प्रवीण महाजन के लिए आसान नहीं था, लेकिन धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो गया। व्यवस्थापन के सूत्र समझ में आने लगे। जीवन की अनावश्यक बातों को दूर करके शिक्षा जारी रखी। डॉ. प्रवीण महाजन कभी अपनी पढ़ाई, फिल्म, कला, साहित्य से दूर नहीं हुए। अपनी अब तक की जिदंगी में विदर्भ भूमि से बहुत कुछ प्राप्त करने वाले डॉ प्रवीण महाजन ने अपने जीवन का कुछ वक्त यवतमाल में व्यतीत किया, लेकिन इनके जीवन का अधिकांश समय अमरावती, नागपुर, चंद्रपुर तथा भंडारा में ही व्यतीत हुआ है। 

मोबाइल, इंटरनेट का सकारत्मक उपयोग करना चाहिए
सन् १९६७ से अब तक लगातार अपनी ज्ञान साधना बढ़ा रहे डॉ प्रवीण महाजन के आदर्श स्वामी विवेकानंद हैं। डॉ महाजन का मानना है कि देश से अंधविश्वास को दूर करके युवाओं में चैतन्य भरने का जो काम स्वामी विवेकानंद जी ने किया, वह काम कोई और नहीं कर सका। युवाओं की प्रगति के प्रति विशेष रूप से जागरूक डॉ. महाजन का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी की वाचन संस्कृति समाप्त सी हो गई है। युवा वर्ग ने मोबाइल, इंटरनेट का सकारत्मक उपयोग करना चाहिए । रक्षा क्षेत्र के उत्पादन तथा साहित्य साधना के बीच अपने अब तक के जीवन में डॉ प्रवीण महाजन ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मेरी कोशिशों के कारण आज यूनिट में RDX की आत्मनिर्भरता बढ़ गई है। अपने जीवन के लक्ष्य को विषद करते हुए डॉ महाजन ने बताया कि साहित्य, सिनेमा, संत साहित्य को समृद्ध करने के साथ साथ खुद का सिनेमा बनाने की इच्छा जतायी। डॉ महाजन का कहना है कि वे जो कुछ कर रहे हैं, उसके पीछे धन कमाने की लालसा नहीं है। गीता प्रेस गोरखपुर पुस्तकें तथा कल्याण पत्रिका को नियमित रूप से पढ़ने वाले डॉ. प्रवीण महाजन को विनोबा भावे लिखित पुस्तकें भी खूब भाती हैं, इसके अलावा गुरुदेव प्रकाशन की गुरुकुंज पुस्तकों का अध्ययन भी किया। मराठी साहित्य, संत साहित्य, ज्योतिष समेत अन्य क्षेत्रों की लगभग ५००० से ज्यादा पुस्तकों की अपने घर में लाइब्रेरी रखने वाले डा. महाजन अपने व्यस्त जीवन में पुस्तके पढ़ने के लिए समय निकालने वाले डॉ प्रवीण महाजन जीवन में दोस्तों की बहुत जरूरत होती है। 

अच्छे मित्र जीवन के प्राण होते है
डॉ. महाजन का मानना है कि अच्छे मित्र जीवन के प्राण होते है,और उनकी  सलाह जीवन को सही मार्ग पर ले जाती है।  दीपक देशमुख, प्रदीप बहुरुपी ,सतीश पखाले ,मनोज वाघ,विजय जिराफ़े  ,चंद्रकांत बहुरूपी व उमाकांत शूरकर को अपना अच्छा मित्र मानते है .ईश्वर की सत्ता को मानने वाले डॉ प्रवीण महाजन की धारणा है कि ईश्वर के बिना यह सृष्टि चल ही नहीं सकती। शिक्षा के प्रति युवा पीढ़ी के बढ़े रुझान से डॉ महाजन प्रसन्न तो हैं, लेकिन आचरण के स्तर में आई गिरावट से वे बहुत क्षुब्द हैं। राजनीति से खुद को बहुत दूर रखने वाले डॉ महाजन को साहित्य सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। ताड के वृक्ष की तरह सिर्फ अपनी ऊंचाई बढ़ाने की जगह ज्ञान प्राप्ति के लिए वट वृक्ष बनने जैसे विचार ही हमें भीड़ में एक अलग चेहरा बनाते है,अगर ऐसी मानसिकता सभी रखें तो इस धरा का हर व्यक्ति हर विधा में पारंगत हो जाएगा। 

ज्योतिष विद्या से पिछले कई दशकों से जुड़े डॉ महाजन का कहना है कि ज्योतिष को समझने के लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है, कुंडली हमारे आपके प्रारभ्ध पर आधारित होती है, हमें अपने पुरुषार्थ के बल पर जीवन आगे बढ़ना चाहिए। 

महत्वपूर्ण कार्य
१ .भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संस्था नेशनल अकादमी ऑफ डिफेन्स प्रोडेक्शन नागपुर में डिप्टी डायरेक्टर के रूप में १९९२  से १९९५  तक काम करने के बाद देश की विभिन्न चर्चित संस्थाओं के डिफेंस वर्ग एक के अधिकारियों की कक्षाएं, कार्यशालाएं, सेमिनार आयोजित किए।२ .प्राध्यापक के रूप में आभियांत्रिकी, प्रशासन, ऑडिट और एकाउंट्स, गुणवत्ता, इतिहास, मानसशास्त्र जैसे कई विषयों पर व्याख्यान दिए हैं।
३ . ऑडनन्स फैक्टरी इस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग, ऑर्डनन्स फैक्टरी प्रशिक्षण संस्था में विविध विषयों पर व्याख्यान। 
४ . बी. डी. काले महाविद्यालय घोडेगांव, पुणे में मराठी साहित्य  पटकथा लेखनः स्वरूप और उपाय इस राष्ट्रीय परिचर्चा की अध्यक्ष पद का गौरव प्राप्त हुआ। इसी दौरान मराठी साहित्य आणि चित्रपट कथा शतकी वाटचाल-१९१३  ते २०१३  नामक ग्रंथ का कई शोधकर्ताओं ने संदर्भ देकर उचित गौरव किया।

५ . देवगिरी महाविद्यालय औरंगाबाद में मराठी साहित्य की साहित्य समीक्षा पर आधारित राष्ट्रीय चर्चासत्र में मराठी चित्रपट समीक्षा विषय पर संशोधन, वाचन तथा उस संशोधन निबंध के संशोधन संग्रह को ग्रंथ में समाविष्ट किया गया। 
६ . विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक तथा साहित्यिक संस्थाओं के कार्यक्रमों में अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, उद्घाटक के रूप में भी डा प्रवीण महाजन ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। इतना ही नहीं, आभियांत्रिकी, फिल्म, साहित्य, कला, मानसशास्त्र जैसे विषयों पर प्रोत्साहन देने के साथ साथ साहित्य तथा फिल्म विशेषज्ञ के तौर पर व्याख्यान भी डा प्रवीण महाजन ने दिए हैं। 

७ . मराठी साहित्य आणि चित्र पटकथा, शतकी वाटचाल, १९१३  ते २०१३  नामक संशोधित ग्रंथ को सावित्रीबी फुले विद्यापीठ, पुणे के एम.ए.(फाइनल) मराठी और मराठी साहित्य बी.ए. द्वतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में समाहित किया गया है।

फिल्म अभिरूचि और कार्य 
१ .अध्यक्ष, निर्झर सिने क्लब, नागपुर (फेडरेशन ऑफ फिल्म सोसाइटीज ऑफ इंडिया संस्था से संलगन)। विभिन्न स्थानों पर फिल्म शो दिखाकर नागपुर में माय मराठी नामक मराठी फिल्म महोत्सव का आयोजन किया जाता है। 
२ .फिल्म समीक्षक-समाचार पत्रों में लेखन कार्य करके, फिल्म पटकथा विषय में नागपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, साथ ही फिल्म निर्माण डिप्लोमा में हिंदी विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान अर्जित किया। राष्ट्रीय चर्चा सत्र के अध्यक्ष के व्याख्यान तथा विभिन्न संशोधक निबंध भी प्रकाशित हुए हैं। 
३ . पटकथा लेखन,संपादन, निर्देशन, रक्षा उत्पादन पर आधारित लघु फिल्म।

रंगमंचीय भूमिका
१ .नाट्य निर्देशन- प्राप्ति चा अर्धा वाटा, पगला कहीं का, भयान थूतरे, विद्या विनयेन शोभते, भक्षक, पहला कदम। 
२ .अभिनय- अनेक नाटकों, एकांकियों का मंचन
३ .गायन- मराठी, हिंदी गाने ,विविध आर्केस्ट्रा में गायन  
४ .कवि सम्मेलन- कई कवि सम्मेलनों में पढ़ी हैं रचनाएं हिंदी और मराठी 
५ . रंगमंच सजावट तथा प्रकाश योजना
६ . कार्यक्रम का संचालन 

७ .क्रिएटिव स्टील फोटोग्राफी व वीडियो ग्राफ़ी में अभीरूचि  

संपादन
स्कूली जीवन में प्रदीप तथा जिनियस का संपादन कार्य किया। प्रदीप को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, जबकि जिनियस को विश्वविद्यालय की ओर से उत्कृष्ट मुख्य संपादक का पुरस्कार प्रदान किया गया। नारायण रामचंद्र महाजन के ग्रहदशा तथा शमिष्ठा देवयानी नामक नाटकों का संपादन। समीक्षा ग्रंथ- श्री. ना. पेंडसे याच्या यशोदा नाटक के माध्यमान्तरा चा प्रवास (मराठी) 

१९८४ से १९८७ तक महाराष्ट्र सरकार के सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के अचलपुर क्षेत्र के कार्यालय में कनिष्ठ अभियंता के रूप में   कार्यरत रहे डॉ प्रवीण महाजन वर्तमान में भंडारा आडनेंस फैक्ट्री में अपर महाप्रबंधक जैसे महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत हैं। डा महाजन को विदर्भ क्षेत्र की नागपुर, चंद्रपुर तथा भंडारा इन तीनों आडनेंस फैक्ट्री में २०  से ज्यादा वर्षों तक काम करने का अवसर मिला है। 

Links:

Marthi Sahitya Ani Chitra Patkatha Shataki Vatchal (1913 - 2013) 

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मुख्यमंत्री पर्रीकर व अभिनेत्री श्रध्दा कपूर यांच्या हस्ते प्रकाशन

http://www.rangmaitra.com/dr-praveen-mahajan/

Film script a form of Letracer : Dr Praween Mahajan 

http://bit.ly/329oV8G

परिवार पिताश्री -नारायण रामचंद्र महाजन ,माता- जानकी बाई महाजन ,पुत्र चिरंतन महाजन (सिनेमेटोग्राफर) वेदव्रत महाजन (इंजीनियर)
जन्म तिथि 22/07/1960
जन्मस्थल सरमसपुरा ता : अचलपूर, जि : अमरावती
जिला अमरावती
शहर अमरावती
शैक्षिक विस्तार शैक्षणिक विस्तार : एसएससी (१९७७ ) - श्री जगदंब विद्यालय अचलपूर, जिल्हा अमरावती एचएससी (१९७९ ) - सिटी हायस्कूल, अचलपूर जिल्हा अमरावती अभियांत्रिकी स्नातक (१९८४ ) - शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय अमरावती शिक्षण : १९६७ से आज तक जारी (इंजिनीअरिंग, व्यवस्थापन, साहित्य, ज्योतिष, चित्रपट, मानसशास्त्र, योगशास्त्र) इंग्रजी, मराठी व हिंदी में  ४ विद्यापीठ से १० पदविया प्राप्त १ . बी.ई. (सिव्हील) - १९८४ नागपूर विद्यापीठ, नागपूर २ . आय.ओ.एफ.एस.(मानद) - १९८७ संघ लोकसेवा आयोग, दिल्ली ३ . बी.ए.(मराठी साहित्य) - १९८९ नागपूर विद्यापीठ, नागपूर ४ . एम.ए.(मराठी) १९९७  रा.तू.म. नागपूर विद्यापीठ, नागपूर ५ . बी.ए. (वेदांग ज्योतिष) २००९ कवी कालिदास संस्कृत, विद्यापीठ, रामटेक ६ . पी.एच.डी. (चित्रपटकथा - मराठी साहित्य) २०१३ रा.तु.म. नागपूर विद्यापीठ, नागपूर ७  एम. एस.सी. (अप्लाईड सायकॉलाजी) २०१४ भारतीय विद्यापीठ, कोइम्बतूर ८ . स्नातकोत्तर पदविका (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॅनेजमेंट आणि फिल्म प्रोडक्शन) -२०१६ महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा ९ . स्नातकोत्तर पदविका (योग शिक्षण) २०१७ भारतीय विद्यापीठ, कोइम्बतूर १० . एम.बी.ए. २०१९ भारतीय विद्यापीठ, कोईम्बतूर
स्कूल अचलपुर प्राथमिक स्कूल (पहली से चौथी कक्षा तक) , श्री जगदंब विद्यालय, अचलपुर (अमरावती), एसएससी (1977) सिटी हाईस्कूल अचलपुर (अमरावती), एचएससी (1979)
कॉलेज शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय अमरावती ,नागपूर विद्यापीठ, नागपूर ,कवी कालिदास संस्कृत, विद्यापीठ, रामटेक ,महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा
बिज़नेस / प्रोफेशन अपर महाव्यवस्थापक (आयुध निर्माणी भंडार, महाराष्ट्र) IOFS ( इंडियन ऑर्डनेन्स फैक्ट्रीज सर्विस)
विवाह तिथि ११ .अप्रैल १९९०
श्रीमान / श्रीमती सौ. वर्षा प्रवीण महाजन ((ए.जी. आफिस, नागपुर में कार्यरत)
पुरस्कार / उपलब्धियां

पुरस्कार, सम्मान 

  • महाराष्ट्र, ओरिसा तथा पश्चिम बंगाल जैसे गांव में रहकर वहां की जीवन शैली, भाषा, संस्कृति के साथ साथ प्रशासन, व्यवस्थापन, मानसशास्त्र तथा आभियांत्रिकी क्षेत्र का जबर्दस्त अनुभव रखने वाले डॉ. प्रवीण महाजन को भारतीय रक्षा उत्पादन की गुणवत्ता, सुरक्षा, नियोजन तथा व्यवस्थापन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तीन बार सरकार की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। २०१२  तथा २०१७  को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सम्मानित किए गए डा महाजन को सन् २०१५  में आयुध निर्माण दिवस पर भी सम्मानित किया जा चुका है। 
  • मुंबई में अमेजिन हिंदी फिल्म संगीत संस्था की ओर से कला, फिल्म तथा साहित्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिए जाने के लिए सम्मानित किया गया। 
  • नागपुर में सूरसप्तक तथा रसिकराज कला संस्था द्वारा संस्कृति, कला, फिल्म तथा साहित्य क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए पुरस्कृत
  • श्री जगदंब महाविद्यालय अचलपुर की ओर से सर्वागीण क्षेत्रों में मिली सफलता के लिए भी सम्मानित ।
  • अचलपुर के श्री बावीशी संस्थान की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए गौरवान्वित । 
  • शाशकीय अभियांत्रिकीय महाविद्यालय अमरावती पूर्व विधार्थी संघठन की और से बहुआयामी व्यक्तित्व सन्मान  
  • मनोहर भाई पटेल इस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भंडारा के स्नेह सम्मेलन अध्यक्ष तथा आंभियांत्रिकी क्षेत्र में नाम रौशन करने के कारण डा प्रवीण महाजन सम्मानित ।
  • मराठी चित्र मंदिर पुणे में आयोजित समारोह में श्री किरण शांताराम के हाथों संवाद संस्था की ओर से मराठी फिल्म क्षेत्र में दिए गए अहम योगदान के लिए सम्मानित । 
  • मराठी दैनिक नवराष्ट्र तथा हिंदी दैनिक नवभारत की ओर से डॉ प्रवीण महाजन को मराठी साहित्य के लिए की गई समर्पित सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया ।
  • स्वरवेद नागपुर की ओर से महिला जीवन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सामाजिक, शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए सम्मानित 
  • बुद्ध विहार जवाहरनगर कोंडी की ओर से जवाहरनगर परिसर में सांस्कृतिक, सामाजिक तथा शिक्षा क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए पुरस्कृत । 
  • मराठी साहित्य संघ की ओर से २०१८ -२०१९  के लिए मराठी साहित्य आणि चित्रपटकथा शतकी वाटचाल (१९१३ -२०१३ ) नामक ग्रंथ के विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया।       
  • बहुआयामी व्यक्तित्व तथा फिल्म, कला, साहित्य, शिक्षा संशोधन इन क्षेत्रों में किए गए योगदान के लिए इंडियन ह्युमन रिसर्च पब्लिकेशन तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से इंटरनेशल इंडियन ह्युमन रिचर्स अवार्ड (२०१९ ) से सम्मानित । 
  • मानव सेवा फाउंडेशन द्वारा प्राइड ऑफ इंडिया गोल्डन इंटरनेशनल अवार्ड (२०१९ )
  • राष्ट्र प्रकाश नागपुर की ओर से शिक्षा, साहित्य, कला, फिल्म इन क्षेत्रों में योगदान देकर युवा पीढी को प्रोत्साहित किए जाने के लिए सम्मानित । 
  • हिंदी साहित्य मंच (नोएडा) नामक साहित्यिक संस्था, दास कबीरा इनेंट बनारस (उत्तर प्रदेश),
  • श्रमजीवी महिला सहयोग, समिति, खरसिया (छत्तीसगढ़),
  • रॉयल फैमिली वेलफेयर सोसाइटी, बेमेतरा (छत्तीसगढ़),
  • काशी महोत्सव-२०१९  में स्व. महंत मिश्र नामक साहित्य पंडित पुरस्कार प्रदान किया गया। 
  • डा प्रवीण महाजन द्वारा मराठी फिल्म की १००  वर्ष की यात्रा पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन गोवा में आयोजित किए गए अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर तथा अभिनेत्री श्रद्धा कपूर की मुख्य उपस्थिति में किया गया।

      

वर्ग कला और साहित्य
अपडेट

12 Dec 2019

Taken Over The Independent Charge as Head of the Department “ Regional Director” Ordnance Factory Board RMC Avadi –Chennai

Appreciation
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