Dr. Shashikant Sharma / डॉ.शशिकांत शर्मा


हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षरडॉ. शशिकांत शर्मा

राष्ट्रपति के शुभहस्ते राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित  

आदर्श शिक्षक के रूप में तत्कालीन राष्ट्रपति माननीय प्रतिभा पाटिल के शुभहस्ते "राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार" डॉ. शशिकांत शर्मा एवं उनके पिताजी बड़े चाचाजी को भी प्राप्त हुआ एक परिवार में तीन सदस्यों को राष्ट्रीय सन्मान मिलना सचमुच गौरव की बात हैं.डॉ. शशिकांत शर्मा को अनेक संस्थाओं,संगठनों ने भी पुरस्कार से भी सम्मानित किया है,अनेक काव्य संग्रह,काव्य संकलन,ललित निबंध,व्यंग्य संग्रह,शैक्षणिक साहित्य,इत्यादि लेखन व संपादन की विशाल सूचि उनकी पहचान है .

एक छोटे से गांव में जन्मे व्यक्ति का साहित्य का सशक्त हस्ताक्षर बन जाना अपने आप में समाज के लिए मिसाल है| शिक्षा और हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में देशभर में नागपुर का नाम रोशन करने वाले डॉ. शशिकांत शर्मा का व्यक्तित्व अनायास ही किसी को भी आकर्षित कर देता है| अपने गीतों और कविताओं के जरिये शशिकांतजी बड़े ही सहजता से समाज को आईना दिखाते हैं| उनकी लघुकथाएं, कहानियां और व्यंग्य वर्तमान युग की मनोदशा को कुरेदते हैं|हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार में लगा उनका जीवन और व्यक्तित्व वास्तव में आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है| 

पारिवारिक पृष्ठभूमि
पिता की १४  वर्ष की उम्र में ही शशिकांतजी के पितामह (दादाजी) को लकवा मार गया,आधा शरीर बेकार हो गया| पिताजी उस समय की परिस्थितियाँ ठीक न होने के कारण अपने नानाजी के यहाँ शिक्षा प्राप्त कर रहे थे.इस संकट की घड़ी में पिताजी के अशक्त कंधों पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ आ पड़ा| किसी तरह हाईस्कूल परीक्षा पास की. शासकीय नॉर्मल अध्यापक विद्यालय से शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त किया और फिर कोविंद, विशारद आदि परीक्षाएं भी उत्तीर्ण की और प्रशिक्षित होते ही अध्यापक की नौकरी मिल गई. पिताजी बड़े गर्व से बताते हैं कि उन्हें पहले वेतन के रूप में मात्र ४  रुपये प्राप्त हुए थे. उसी आय से परिवार के प्रति फर्ज निभाना शुरू किया| वैसे थोड़ी बहुत खेती-बाड़ी से भी घर की खाद्यान्न संबंधी जरूरतें पूरी हो जाती थी.

परिवार के ३  सदस्यों को राष्ट्रीय सम्मान 
परिवार में तीन भाई, एक बहन, माता-पिता कुल मिलाकर भरा पूरा परिवार था .पिताजी ने उसी छोटीसी आय में अपने भाई-बहनों को पढ़ाया-लिखाया| | माताजी श्रीमती राम मूर्ति शर्मा को पढ़ाया- विद्या विनोदनी आर.बी.टी.सी. कराकर शिक्षिका की नौकरी पर लगाया, जो मुख्याध्यापिका पद से सेवानिवृत्त हुई| बड़े चाचा श्री रक्षपाल शर्मा और उनकी पत्नी को बी.टी.सी. (शिक्षक प्रशिक्षण) कराया और वे दोनों भी मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए| सबसे छोटे चाचाजी श्री नंदकिशोर शर्मा सहायक निर्वाचन अधिकारी, आगरा से सेवानिवृत्त हुए| इस तरह पिताजी के आदर्शों पर चलकर ही मुझे कर्तव्यबोध हुआ और संस्कार बीजारोपित पल्लवित हुए| उसी का सुपरिणाम है शशिकांतजी के पिताजी, बड़े चाचाजी और शशिकांतजी को शिक्षा क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु आदर्श शिक्षक के रूप में तत्कालीन राष्ट्रपति के शुभहस्ते राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त हुए| एक परिवार में ३  सदस्यों को राष्ट्रीय सम्मान मिलना सचमुच गौरव की बात है|

दादी सुनाती थी शिक्षाप्रद कहानियां
शशिकांतजी की माताजी नौकरी में थी अतः समय-समय उनका स्थानांतरण स्वाभाविक था| अतः उनका लालन-पालन उनकी दादीजी के सानिध्य में हुआ | दादी के व्यक्तित्व की भी उनके जीवन पर अनगिनत छाप पड़ी है| दादी रात को सोने से पहले पहाड़े और गिनती सुनाने के बाद ही मुझे शिक्षाप्रद कहानी सुनाती थी| उनकी प्राथमिक शिक्षा पिताजी जहाँ मुख्याध्यापक थे प्राथमिक पाठशाला अम्बारी, एटा (उ.प्र.) में हुई| पिताजी के साथ ३ -४  किमी पैदल ही शाला जाते थे| प्रकृति की गोद में पले, गर्मी सर्दी धूप-वर्षा उनके लिए सब एक समान थे, क्योंकि उनसे बचने का कोई साधन ही नहीं था| उस समय पाँचवीं की परीक्षा जिला परिषद की केंद्रीय समिति लिया करती थी| उन्होंने पाँचवीं की बोर्ड परीक्षा में जिलास्तर पर प्रथम स्थान अर्जित किया| कक्षा छठवीं में उन्हें गांव से लगभग ४-५ किमी दूर आदर्श जूनियर हाईस्कूल कैलाश मंदिर एटा में दाखिला दिलवा दिया गया| 

याद आते हैं बचपन के दिन
अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए शशिकांतजी कहते हैं, ‘मै कभी भूल नहीं सकता वो बचपन के दिन जब गाँव के खेतों की मेड़ पर खेलते-खालते शाला जाया करता था| जूते होते नहीं, हवाई चप्पल, खाकी हाफ पेंट, सफ़ेद शर्ट, कपड़े का बना हाथ थैला कंधे पर लटका कर शाला जाना मेरे विद्यार्थी जीवन का  हिस्सा थे | शशिकांतजी कहते हैं, " कक्षा सातवीं में मेरे बाएं हाथ में एक दुर्घटना में फ्रैक्चर हो गया था| प्लास्टर चढ़े हाथ पर बस्ता लटकाकर चप्पल और हाफ पेंट दूसरे हाथ में पकड़ कर तालाब पार करके सड़क पर भीगे बदन आ जाता और उन्हीं भीगे कपड़ों पर हाफ पेंट चप्पल पहन कर समय पर शाला पहुँच जाता| उसके अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं था| गाँव में शाला नहीं और शहर जाने का कोई साधन नहीं| उस समय आठवीं की परीक्षा भी बोर्ड की होती थी |" उन्होंने बताया कि आठवीं कक्षा के सभी छात्रों को वहाँ के मुख्याध्यापक श्री ब्रम्हाचरन कुलश्रेष्ठ रात को ठहराते थे | साथ ही २  शिक्षकों की ड्यूटी भी रहती थी | तीनों शिक्षक मिलकर रात को ७  से १०  बजे तक तथा प्रातः ४  से ७  बजे तक नि:शुल्क शिक्षा दिया करते थे | सुबह सात बजे हर मौसम में उठकर गाँव जाते थे, घर से खाना खाकर शाम का खाना लेकर १० बजे तक वापस स्कूल आ जाते | उन्हीं कठिन नियमों ने मुझे अनुशासित जीवन जीने की कला सिखाई| फलस्वरूप आठवीं की बोर्ड परीक्षा में जिले में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान अर्जित किया|

पिताजी ने दिलाई पुरानी साइकिल
शशिकांतजी ने बताया कि कक्षा नौवीं में राजकीय इंटर कॉलेज एटा में प्रवेश मिल गया| उस साल पिताजी ने पुरानी साइकिल दिलवा दी जिससे आने जाने में सुविधा हो गई|  उस समय हमारे यहाँ से ११७  छात्रों में से सिर्फ १४  छात्र उत्तीर्ण हुए थे, उनमें से मैं भी एक छात्र था|  शशिकांतजी ने बताया कि गर्मी की छुट्टियां हमारे लिए आनंददायक नहीं होती थी| इन छुट्टियों में कच्चे घर की लिपाई-दोपाई छान-छपरिया ठीक करना, खेती बाड़ी के काम में हाथ बटाना जैसे काम करना अनिवार्य था|  उसी समय उच्च शिक्षा के लिए मै सेंट जोंस कॉलेज आगरा आ गया जहाँ से मैंने एम.ए. (भूगोल) परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की| पीएच.डी. के लिए शोध कार्य चार वर्षो तक किया साथ ही वहाँ स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं का अध्यापन कार्य भी किया| किसी परिस्थितिवश भूगोल विषय में पीएच.डी का शोध प्रबंध जमा करने का अवसर नहीं मिल पाया| विवाह के पश्चात शशिकांतजी नागपुर स्थानांतरित हो गए, यहाँ उनकी सहधर्मिणी पत्नी श्रीमती सुरेखा शर्मा दयानंद आर्य कन्या विद्यालय में गणित की शिक्षिका थी और शशिकांतजी बाबा नानक सिंधी हिंदी हाईस्कूल में भूगोल के शिक्षक नियुक्त हो गये| 

६  महीनों तक जमीन पर सोये 
८  माह तक वेतन न मिलने के कारण आर्थिक तंगी तो थी किन्तु स्वाभिमानवश किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया|  लगभग ६  महीनों तक जमीन पर सोये| अक्टूबर में बोर्ड की पूरक परीक्षा में उनकों पर्यवेक्षक का काम मिला जिसके बदले एकमुश्त ६५  रुपये मिले|  उन्होंने उसी अवधि में कमाल चौक छोड़कर कस्तूरबा नगर में २  कमरों का कवेलू का घर किराये से ले लिया| ८  महीनों का वेतन एक साथ मिला|  इस तरह गृहस्थी ठीक से चलने लगी |बच्चे धीरे-धीरे कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला| दोनों को इंजीनियरिंग कराई ,ब्याह शादी की| बेटा-बेटी दोनों अच्छे से जीवनयापन कर रहे हैं | इस तरह सेवानिवृत्ति से दो-तीन वर्ष पूर्व तक जीवन आर्थिक दृष्टि से संघर्षपूर्ण रहा, किन्तु शशिकांतजी ने कभी भी स्वाभिमान नहीं बेचा, इज्जतदारी से रहे|नागपुर उनके लिए अनजान शहर था| सामाजिक दायरा व परिचय क्षेत्र से भी बहुत कम, न के बराबर था, किन्तु नये सिरे से अपना क्षेत्र तैयार करना पड़ा| परिचय क्षेत्र बढ़ाना पड़ा, नए संबंध बनाने पड़े| फलस्वरूप कुछ ही दिनों में नागपुर ने उनको अपना लिया और प्रगति करने के सारे रास्ते खुल गए| 

शाला आने पर मिलता था प्रेमपत्र 
शिक्षा व साहित्य दोनों ही क्षेत्रों में अपनी सक्रियता महत्वपूर्ण रही| शिक्षा के क्षेत्र में नागपुर विद्यापीठ से एमए (हिंदी में) उत्तीर्ण  की| दिन में स्कूल की ड्यूटी, घर आकर बोर्ड का समीक्षण, उधर, किस एक घर का मरम्मत कार्य और फिर सुबह स्कूल, दोपहर को खुद परीक्षा देने जाना| इस प्रकार श्रम से कभी जी नहीं चुराया फिर हिंदी विषय में ही पीएच.डी. का कार्य पूर्ण किया| नगर की कोई भी ऐसी सामाजिक-सांस्कृतिक शैक्षणिक संस्था नहीं थी जहां उनका सम्मान न किया गया हो| किन्तु अपने लोगों द्वारा मानसिक यातना मिलती थी| शोध कार्य के लिए पीएच.डी. मिलने पर उन पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने बिना अनुमति के अपनी शिक्षा जारी रखी| उन्होंने तत्कालीन प्राचार्य का जब अनुमति पत्र प्रस्तुत किया और शिक्षा प्राप्त करना मौलिक अधिकार है, की बात रखी तब जाकर अपनों के चक्रव्यूह से बाहार निकल पाये| वरना आए दिन समाचार पत्रों में अभिनंदन की खबर और शाला आने पर प्रेमपत्र (मेमो) मिलना निश्चित था|

कार्य क्षेत्र का विस्तार बढ़ता गया 
इसके बाद उनके कार्य क्षेत्र का विस्तार बढ़ता ही गया| शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक उदबोधन वर्ग, प्रशिक्षण कार्यक्रम, विषय तज्ञ मार्गदर्शक, सेवांतर्गत प्रशिक्षण मार्गदर्शक, माध्यमिक व उच्च माध्य शिक्षण मंडल की हिंदी विषय अभ्यास समिट का सदस्य लेखक व संपादक पाठ्यपुस्तक निर्मिति सदस्य, एस.सी.ई.आर.टी. पुणे का बोर्ड ऑफ स्टडी मेंबर, बालभारती, राष्ट्रीय प्रज्ञा शोध परीक्षा राष्ट्रीयत शिक्षा अभियान आदि में खूब जमकर काम किया, नाम कमाया ख्याति प्राप्त की| इस प्रकार संघर्षो के उबड़- खाबड़ रास्तों से गुजरते हुए उन्होंने जीवन के हर लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास किया और बहुत हद तक अपने प्रयासों में सफल भी रहे| हताशा, निराशा व परावलंबन को कभी अपने जीवन का अंग नहीं बनने दिया| यथा संभव यथाशक्ति साहित्यिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक सामाजिक क्षेत्र में कार्य अनवरत जारी है| उनके जीवन का यही मूलमंत्र है -

                  धरा को नाप सकते हो अगर हिम्मत का जज्बा हो
                  गगन को चूम सकते हो अगर पक्का इरादा हो |
                  समुन्दर लाँघ सकते हो जो चट्टानों सी चाहत हो
                  बदल सकते हो किस्मत को करम करने की आदत हो||    

प्रकाशित  पुस्तके - 
शोध प्रबंध :- आधुनिक हिंदी पद्य नाटकों का अनुशीलन- (ज्ञान प्रकाशन, कानपूर -२००२)

काव्य संग्रह ( स्वतंत्र )

  • गीत - गजल - आस्था का कलश -( वरुण साहित्य सदन नागपुर -२००५)
  • व्यंग्य - कविता - -न बॉस न बॉसूरी - ( वत्स विनायक प्रकाशन , पुणे -२०१३)
  • गीत - गजल - काव्यांकुर -(अर्पित प्रकाशन, नागपुर -२०१५)
  • गीत - गजल- आस्था का सूरज - ( वरुण साहित्य सदन नागपुर -२०१६)
  • गीत - गजल-काव्य वाटिका - ( डी .नेट . प्रकाशन ,. नागपुर -२०१९)

काव्य संकलन ( साझा )

  • नवरंग - ( अक्षेय प्रकाशन , नागपुर -१९९८)
  • क्षितिज - ( आलोक प्रकाशन , नागपुर - २०००)
  • नवरस - ( प्रक्षेय प्रकाशन , नागपुर - २००१)   
  • काव्य लतिका - ( अजय प्रकाशन , वर्धा -२००६)
  • काव्य वर्तिका -( अजय प्रकाशन ,वर्धा -२००७)

ललित निबंध ( व्यंग्य संग्रह ) -        

  • " मखमली जूते "- (वरुण साहित्य सदन , नागपुर - २००७)(महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत - मुंबई )
  • " बूढ़ा बैल "- (वरुण साहित्य सदन , नागपुर - २०११)(महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी , मुंबई द्वारा  पुरुस्कृत )
  • " पंडित जी मेरे मरने के बाद "- ( वत्स विनायक प्रकाशन , पुणे -२०१३) 
  • " मुर्गी की डेढ़ टाँग " - (डी . नेट . प्रकाशन , नागपुर -२०१८)

शैक्षणिक साहित्य - (लेखन  संपादन-

  • " हिंदी सुबोध व्याकरण (कक्षा ५ से ७ वी ) - ( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामंडल पुणे - २००४ व २०१०)
  • " निबंध मंजुषा " (प्राचार्य, श्री राम सिंह, नागपुर -२००२)
  • " हिंदी सुलेखन अभ्यास(कक्षा ५ से ७ वी )-( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक  महामंडल पुणे - २००४ व २०१० )
  • " हिंदी अभिव्यक्ति (कक्षा ८ से १२वी ) -( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक  महामंडल पुणे -  २००४ व २०१०)
  • " हिंदी कौशल (कक्षा ८ से १२ )
  • " हिंदी शिक्षक अध्यापन पुस्तिका - (लोकभारती -कक्षा -दसवीं )  ( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक  महामंडल पुणे  २००४ व २०१3)
  • " हिंदी शिक्षक अध्यापन पुस्तिका - (लोकभारती - कक्षा -दसवीं ) - राष्ट्रीय शिक्षा अभियान पुणे - २०१3) 
  • " कुमारभारती - कक्षा नवमी - ( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक मंडल पुणे )
  •  लोकभारती - कक्षा नवमी - ( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक मंडल पुणे )  

 
लेखन व  संपादन :- 

  • हिंदी अध्यापक मित्र- ( महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामंडल ,पुणे - २००० से २०१२ तक ) (त्रैमासिक पत्रिका ) 
  • भजन संग्रह-" आस्था के स्वर- (अंजलि पुरोहित व अन्य )- ( अमित एडवरटाइजिंग  एजेंसी ,नागपुर - २०१० ) 
  • गीत संग्रह- " गीतों का बंजारा " ( वत्स विनायक प्रकाशन पुणे - २०१३) 
  • जीवन - परिचय -" सिंधी हिंदी विद्या समिति के भगीरथ - काका तिलोक - चंद रूघवानी - प्रकाशक –( सिंधी हिंदी विद्या समिति , नागपुर - २०१२) 
  • " पथिक प्रवाह " - शांति लाल बड़जात्ये - (अमित एडवरटाइजिंग एजेंसी ,नागपुर - २०१3 ) 
  • साहित्यकाश के दैदीप्यमान नक्षत्र - डॉ . हरभजन सिंह हंसपाल (प्रकाशक  अर्चना साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था , नागपुर - २०१४)
  • अनुभव -राज्य पुरुस्कृत शिक्षक श्री . नेत्रपाल शर्मा ( प्रकाशक - राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ , लखनऊ - २०१८)

सम्मान  व   पुरस्कार 

  • तत्कालीन राष्टपति माननीय प्रतिभा पाटिल के शुभ हस्ते मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्टीय शिक्षक पुरस्कार-२०१०, ५ सितम्बर 
  • हिमक्षरा राष्टीय साहित्य  परिषद् दार्जिलिंग (प. बंगाल) द्वारा  सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्ण आदर्श शिक्षक पुरस्कार-५ सितम्बर ,२०१५
  • इंडियन सोसाइटी फॉर इंडस्ट्री एंड इंटेलेक्टुअल डेवलपमेंट नई दिल्ली द्वारा राष्टीय शिक्षा रत्न सम्मान -ओक्टोबर २०१२
  • सेंटर फॉर एजुकेशनल डेवलपमेंट एंड रिसर्च , मुंबई द्वारा राष्टीय शिक्षा रत्न सम्मान -फेब्रुअरी २०११
  • द्वितीय  विश्व हिंदी भाषा कुम्भ बैंगलोर द्वारा विशिष्ट हिंदी सेवा सम्मान  -फेब्रुअरी २००७ डॉ. रत्नाकर पांडेय (राज्यसभा सदस्य के शुभ हस्ते )
  • महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा सर्व भारतीय भाषा समेल्लन सम्मान -जुलाई ,२००१
  • महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा मेरी पुस्तक "मखमली जुते"(व्यंग ध्रारा ) के लिए आचार्य रामचंद्र शुक्ल ललित निबंध पुरस्कार  गीतकार गुलजार साहब के शुभहस्ते - २८ मार्च ,२००९
  • महाराष्ट्र राज्य हिंदी हिंदी साहित्य अकादमी  मुंबई  द्वारा मेरी पुस्तक "बूढ़ा बैल " (व्यंग धरा ) के लिए आचार्य रामचंद्र शुक्ल ललित निबंध विधा पुरस्कार तत्कालीन सांस्कृतिक मंत्री जी के शुभहस्ते -२०१२
  • साहित्य संगम ,तिरोड़ी, बालाघाट (म.प.) द्वारा आयोजित राष्टीय साहित्यकार सम्मलेन में साहित्य भास्कर सम्मान -अप्रैल २०११
  • मनुष्य बल विकास लोकसेवा अकादमी, मुंबई द्वारा महाराष्ट्र गुणीजन रत्न गौरव पुरस्कार-२०१३
  • राष्टीय प्रत्यक्ष कर अकादमी भारत सरकार नागपुर द्वारा श्रेष्ठ कवी सम्मान  फेब्रुअरी ,२००६
  • लायंस क्लब ऑफ़ नागपुर द्वारा  गीतकार नीरज जी के शुभहस्ते उत्कृष्ट  समाज सेवी पुरस्कार -जनवरी  २००७
  • अजय प्रकाशन, वर्धा द्वारा श्रीमती चित्रा मुदगल के शुभहस्ते काव्य साधना  पुरस्कार -२००६
  • सिंधी साहित्य सभा, नागपुर द्वारा विशिष्ठ हिंदी सेवा सम्मान -२००४
  • अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद् नागपुर द्वारा  मैथिलि शरण गुप्त सम्मान -दिसंबर २०००
  • नागपुर त्रिशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में साहित्य समिति द्वारा  ग्रन्थ जत्रा सम्मान -मार्च २००७
  • श्री बाबा ताजुद्दीन दरगाह वाकई, सावनेर ,नागपुर नागपुर द्वारा कौमी एकता सम्मान  मार्च-२०१५
  • श्री निराला शिक्षण संसथान समूह, नागपुर द्वारा महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सम्मान -फरवरी १९९९, व फरवरी २०१९ 
  • अहमदनगर जिला हिंदी अध्यापक द्वारा विशिष्ठ हिंदी सेवा सम्मान अप्रैल-२०१३
  • महारष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामण्डल , पुणे द्वारा हिंदी गौरव अध्यापक मित्र पुरस्कार -अप्रैल २०००
  • नागपुर जिला कला अध्यापक संघ द्वारा लब्ध प्रतिष्ठित शिक्षक सम्मान -मार्च २०११
  • सिख एजुकेशन सोसाइटी , नागपुर द्वारा हिंदी सेवा सम्मान -सितम्बर ,२०१४
  • जेष्ठ मित्र मंडल , नागपुर द्वारा विशिष्ठ उपलब्धि सम्मान - अगस्त,२०१५
  • उत्तर भारतीय संघ नागपुर द्वारा उत्कृष्ट समाज सेवा सम्मान  -फरवरी-२०१९ 
  • नाग-विदर्भ सेंट्रल सिंधी पंचायत एवं विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा दादा चंदीराम वाधवानी  मेमोरियल अवार्ड- मार्च २०१०  
  • प्रवासी मैथिल ब्राह्मण समिति कासगंज (उ. प.) द्वारा मैथिल रत्न सम्मान- अप्रैल २०१६  
  • अखिल भारतीय मैथिल ब्राह्मण महासभा एटा (उ.प.) द्वारा विशिष्ट समाज सेवा सम्मान - जनवरी २०१५  
  • सिंधी हिंदी विद्या समिति, नागपुर द्वारा आदर्श शिक्षक सम्मान - नवम्बर २०११  
  • बाबा नानक सिंधी हिंदी कनिष्ठ महाविद्यालय, नागपुर के भूतपूर्व छात्रों (१९८५ से १९८७) द्वारा प्रेरणा स्त्रोत सम्मान जून- २०१६ 
  • अर्चना साहित्यिक - सांस्कृतिक संस्था , नागपुर द्वारा पदम् श्री डॉ. विक्रम मारवाह के शुभहस्ते साहित्य सृजन सम्मान - फ़रवरी २००३ 
  • अनोखा विश्वास, इंदौर द्वारा आयोजित तृतीय अखिल भारतीय प्रतिभा सम्मान- २००६ के अंतर्गत महात्मा फुले ज्योतिबा फुले शिक्षाविद पुरस्कार- २००६ 
  • अनोखा विश्वास, इंदौर (म.प्र.) द्वारा संत शिरोमणि रविदास महाराज समाज सेवा पुरस्कार- २००७ 
  • श्री लालसोर ब्राह्मण सभा, नागपुर द्वारा श्री परशुराम समाज भूषण सम्मान - २००५ 
  • जीवन विकास विद्यालय वेस्टर्न कोल् फेल्ड, उमरेड, नागपुर द्वारा आदर्श हिंदी शिक्षक सम्मान - २००६ 
  • नागरिक शिक्षण मंडल नागपुर द्वारा स्वर्ण महोत्सव कार्यक्रम में श्रेष्ठ कवी सम्मान- २००५ 
  • जे.सी.आय. कोल पावर द्वारा समाज सेवा सम्मान -२००६ 
  • राष्ट्रवादी शिक्षक संघटना,औरंगाबाद द्वारा उच्च शिक्षण राज्यमंत्री श्री राजेश टोपे के हस्ते यशवंतराव चव्हाण राज्य स्तरीय आदर्श शिक्षक सम्मान- २००८ 
  • दक्षिण क्षेत्रीय गहोई वैश्य सभा, नागपुर द्वारा समाज रत्न सम्मान -२००१ 
  • नागपुर जिला हिंदी अध्यापक मंडल द्वारा राज्य शिक्षा मंत्री श्री अनिल बाबू देशमुख के शुभहस्ते आदर्श हिंदी शिक्षक सम्मान - सितम्बर २००० 
  • विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मलेन, नागपुर द्वारा केंद्रीय राज्य मंत्री श्री विलास मुत्तेमवार के शुभहस्ते साहित्य सृजन सम्मान - नवम्बर २००६ 
  • सुरभि साहित्य- संस्कृति अकादमी खंडवा (म.प्र.) द्वारा मानसरोवर साहित्य शिखर सम्मान- जनवरी-२००६ 
  • चंद्रशेखर आज़ाद जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत सुरभि साहित्य - संस्कृति अकादमी खंडवा (म.प्र.) द्वारा राष्ट्र गौरव साहित्य सृजन सम्मान - अगस्त- २००६ 
  • डॉ. आंबेडकर विचारधारा परिषद् नागपुर द्वारा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर समाजरत्न सम्मान- २००६ 
  • गायत्री परिवार ट्रस्ट नागपुर द्वारा सेवा भावी सम्मान- जनवरी १९९४ 
  • -श्री राम जन्मोत्सव शोभायात्रा समिति, पोद्दारेश्वर राम मंदिर द्वारा उत्कृष्ट उदघोषक सम्मान- अप्रैल- १९९२ 
  • रोटरी क्लब वर्धा तथा जयहिंद सेवा भावी संस्था परभणी द्वारा साहित्य सृजन सम्मान- २००८ 
  • अजय प्रकाशन, वर्धा द्वारा काव्य वर्तिका- सम्मान-२००७ 
  • अंतर्राष्ट्रीय गायत्री परिवार हरिद्वार द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा -२००१ के सफल आयोजन हेतु संस्कार शिल्पी शिक्षक सम्मान -२००१ 
  • ३०वें राज्य स्तरीय विज्ञान प्रदर्शन- २००४-०५ के आयोजन हेतु उत्कृष्ट सेवा सन्मान - फरवरी-२००५ 
  • महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक हिंदी शिक्षक महामंडल पुणे के रौप्य महोत्सव् अवसर पर राष्ट्रभाषा गौरव हिंदी शिक्षक सन्मान - २००६ 
  • रसिक राज्य सांस्कृतिक बहुउद्देशीय संस्था, नागपुर द्वारा आयोजित काव्य लेखन स्पर्धा - प्रथम पुरस्कार - २००१ 
  • शिक्षण उपसंचालक कार्यालय नागपुर द्वारा आयोजित काव्यलेखन स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार- २००१ शिक्षण उपसंचालक श्री गोविंद नांदेड़े के शुभहस्ते  
  • अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टिट्यूट ,नॉर्थ केरोलिना द्वारा मेन ऑफ़ द ईयर नॉमिनेशन २००४-युवा लक्ष्य -२००० सबको शिक्षा स्वास्था - नेहरू युवा केंद्र एटा ( उ.प्र.) द्वारा विशेष व्याख्याता एवं उत्कृष्ट प्रशिक्षक सन्मान -१९९५ 
  • संचालनालय जनगणना महाराष्ट्र मुंबई द्वारा भारत की जनगणना १९९१ तथा जनगणना २००१ में पर्यवेक्षक के रूप में विशेष प्रावीण्य पुरस्कार 
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, द्वारा आयोजित विश्व मानवाधिकार दिवस १९९९ के अवसर पर केंद्रीयमंत्री श्री दत्ता मेघे के शुभहस्ते विशिष्ट सन्मान -१९९९  
  • डॉ.राजेंद्र प्रसाद क्रीड़ा मंडल द्वारा विशिष्ट उदघोषक पुरस्कार- अप्रैल ,२००१ 
  • साहित्यिक संस्था शंखनाद एवं दैनिक पत्र युगधर्म द्वारा आयोजित विराट कवी सम्मलेन में काव्य शिरोमणि सन्मान, नवंबर- २०००  
  • प्रजापिता ब्रम्हा कुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित अध्यात्म कवि सम्मेलन में भ्राता सन्मान - फरवरी -२००८  
  • राष्ट्रभाषा संस्थान, मथुरा(उ.प्र) द्वारा लब्ध प्रतिष्ठित साहित्य का सन्मान - नवंबर , १९९८ 
  • हिंदी अध्यापक वरिष्ठ वेतन श्रेणी प्रशिक्षण केंद्र उस्मानाबाद द्वारा शिक्षणाधिकारी एस.टी. नलावडे के हस्ते मार्गदर्शक एवं उत्कृष्ट प्रशिक्षण सन्मान-२००१ 
  • अर्चना साहित्यिक- सांस्कृतिक संस्था नागपुर द्वारा आयोजित -पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं द हितवाद के प्रबंध संपादक बवारीलाल पुरोहित के शुभहस्ते दुष्यंत कुमार सृजन पुरस्कार नवंबर २००५ 
  • महाराष्ट्र कामगार कल्याण मंडल नागपुर द्वारा छत्रपति शिवजी महाराज कुशल संगठन सन्मान अप्रैल २००२
  • अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा द हितवाद के प्रबंध संपादक की बनवारी लाल पुरोहित के शुभहस्ते  आचार्य शिवदत्त शास्त्री स्मृति पुरस्कार - २००३ 
  • जेष्ठ नागरिक मंडल, नरेंद्र नगर, नागपुर द्वारा ज्येष्ठ-श्रेष्ठ नागरिक सन्मान - मई २००५   
  • तकिया मेहबूब शाह लाल साहेब मोमिनपुत्र नागपुर में आयोजित मुशायरा में लब्धप्रतिष्ठित हिंदी गजलकार सन्मान - २००४
परिवार पिताश्री : नेत्रपाल शर्मा (सेवानिवृत्त प्राचार्य, उ,प्र. शासन द्वारा दक्षता एवं राज्य पुरस्कार से सन्मानित),माता:- श्रीमती राममूर्ति शर्मा (सेवानिवृत्त मुख्याध्यापिका )
जन्म तिथि 23/02/1959
जन्मस्थल एटा (उ.प्र.)
जिला नागपुर
शहर नागपुर
शैक्षिक विस्तार एम.ए. (हिंदी ,भूगोल ),पी .एच. डी .( हिंदी ),बी .एड .
पुरस्कार / उपलब्धियां

उपलब्धिया 

  • अध्यक्ष, नागपुर जिला हिंदी अध्यापक  मंडल
  • कार्याध्यक्ष, अर्चना साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था नागपुर
  • हिंदी अभ्यास मंडल सदस्य - म.रा.शैक्षणिक अनु, व् शिक्षक प्रशिक्षण परिषद् , पुणे  व् म.रा.माध्य.व् उच्च माध्य. पाठ्यपुस्तक मंडल, पुणे
वर्ग शिक्षा
Appreciation
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