घनश्याम मेहता
बहुआयामी व्याक्तित्व
अनाथ सेवा, अंध सेवा, जीवदया ,रक्तदान, नेत्रदान, दीप नृत्य, अनेक सामाजिक संस्था में सक्रियता , ३५०+ अवार्ड
मानव जीवन का यह कटु सत्य है कि देह नश्वर है । दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों को भोगते हुए प्राय: हर इंसान अपना पूरा जीवन खुद के स्वार्थ के लिए ही गुजार देता है ,तो कुछ ऐसे विरले भी लोग होते हैं जो दूसरों की पीड़ा को स्वपीड़ा व दूसरों की खुशी में ही अपनी खुशी समझते हैं। घनश्याम मेहता, इन्हीं विरले लोगों में शामिल हैं।
घनश्याम मेहता के सामाजिक कार्यों की फेहतरिश्त इतनी लम्बी है कि उन्हें एक संस्था कहना ही उपयुक्त होगा। उन्हें अब तक ३५० से भी अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने सम्मानित किया है।
घनश्याम मेहता बहुआयामी व्याक्तित्व है. उन्हे सुख दूख का साथी भी कहा जाता है. किसी भी जरुरतमंद व्याक्ति की मदद के लिए घनश्याम मेहता दौडे आते है.मेहता के प्रेरणा फलस्वरूप अनेक लोगो अपना जन्म दिवस होटल नही मनाते हुए अनाथ आश्रम, अंध विद्यालय, दिव्यांग स्कुल मे मनाना प्रारंभ किया है. अंध दिव्यांगगो के साथ भोजन मिठाई या अन्य उपयोगी साहित्य देकर अपनी खुशी का इजहार करते है. घनश्याम परोपकारी, जीवदया और समाजसेवा के प्रति समर्पित है.
मंजे हुए कलाकार
कलाप्रेमी घनश्यामभाई भांगड़ा, गरबा, दीपनृत्य के ऐसे सिध्दहस्त कलाकार हैं हाथों पर जलती हुई मोमबत्तियाँ एवं एक थाल के किनारों पर खड़े रहकर व सिर पर मंगलकलश रखकर जब व पूरी तन्मयता से डोलते व नृत्य करते हैं दर्शकों की सांसे थम-सी जाती हैं और उनके समक्ष सिर्फ अग्निकुंड के वलय ही शेष रह जातते हैं। इस नृत्य के दौरान स्टेज पर पड़ा रुमाल इतनी सावधानी व तत्परता से उठाते हैं कि लोग आश्चर्य चकित रह जाते हैं। यह नृत्य उन्होंने प्रसिध्द नृत्यकार मास्टर मून से सीखा है। इसके साथ ही उन्होंने नागिन, मयूर, कत्थक व अन्य नृत्यों में पारंगता हासिल की है व इस कला को हिंदी, मराठी व गुजराती नाटकों में भी प्रस्तुत किया है। हाल ही में "महा नाट्य राष्ट्र पुरुष अटल" में उन्होंने नरेंद्र मोदी की भूमिका निभाई ,इस महा नाट्य की नागपुर एवं लखनऊ में प्रस्तुति की गई
१७ जुन १९५६ को वर्धा में जन्मे घनश्याम मेहता जब १ साल के थे तब उनके पिता श्री. मोहनलाल मेहता का देहांत हो गया. पूरे परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। पिताजी की औषधि दुकान को बेचना पड़ा और परिवार का खर्च बीमा राशि के मिलने वाले ब्याज से चलाना पड़ा। १० वी के बाद घनश्यामभाई ने कॉलेज में प्रवेश लिया और किराना दुकान में बैठने लगे। इस कारण उनकी पढ़ाई में व्यवधान होता। अंतत: वे २२ नवम्बर १९७६ को वर्धा छोड़कर नागपुर अपनी मौसी के पास आ गए। यहां मेयो अस्पताल के पास एक चाय दुकान में। ६० /- रुपये माहवार से चाय पहुंचाने का कार्य शुरु कर दिया। इसी दौरान उनका परिचय एक कम्पनी के मालिक से हुआ, तो उन्हे २०० रुपये माह की नौकरी का प्रस्ताव मिला। कुछ अर्से बाद वे मुंबई गए, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न रहने से वे पुन: नागपुर लौट आए। इसके बाद इंश्युरेंस एजेंट, कमीशन एजेंट, कंस्लटिंग व सोशल वर्क के प्रति समर्पित हो गए।
उन्होंने समाज में व्याप्त सभी रूढ़ियों व मान्यताओं को परे रखते हुए १९८९ में श्रद्धानन्द अनाथालय की अनाथ युवती इंदिरा से विवाह किया,उन्होंने केवल 32 वर्ष की उम्र थे अपनी धर्मपत्नी इंदिरा के साथ देहदान करने का संपल्प किया रक्तदान, नेत्रदान के लिए जनजागृति उनके जीवन का उद्देश हो गई है अब तक उन्होंने करीब १०० बार हो अधिक रक्तदान कर जरुरत मंदों को जीवनदान दिया है व करीब ४०० से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन कर २० हजार बोतल से अधिक रक्त संग्रहण कर ब्लड बँकों को दिया है।
‘अपेक्षा’ सामाजिक संस्था के माध्यम से संस्थापक अध्यक्ष घनश्याम मेहता ने अब तक १२० से अधिक निराक्षित एवं अनाथ लडकियों की आर्य समाज पद्धती से शादी करवा दी है और स्वयं लडकियों का कन्यादान भी किया
भूकंप, बाढ, सुनामी प्राकृतिक अपदा मे समय-समय स्वय और अन्य संगठनाओं के माध्यम से करते आ रहे है. FM Radio 94.3 द्वारा प्रतिस्ठित अवाई ‘नैशनल जियो दिल से’ नवाजा गया. २३ जनवरी २००० को नेताजी सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय पुरस्कार, २५ जनवरी २००१ को राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार तथा रक्तदान के क्षेत्र मे महत्वपूर्ण कार्य के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्यस्तरीय पुरस्कार से सन्मानित किया गया.
जैन धर्म के अनेक आचार्य भगवन्तो , राष्ट्र के अनेक संघो को वे अपनी सेवा देते है .
(Content till august 2018)
AWARD
National Jiyo Dil Se award from My F.M. Radio 94.3. This is Prestigious award
World international Giants Awards got for monumental project for blind school
350 state National and International Awards
Got Ekta Award 92 from Allahbad, U.P.
Netaji Subhash Chandra Bose National Award, January 25, 2000,
National Goodwill Award, January 25, 2001
ACTIVITIES
Good Artist in Hindi, Marathi, & Gujrathi Dramas
Special item as a Candle Dance performed 78 Times all over India.
visited many times in down trodden areas for poor people’s as donated medicines.
Donated Blood 98 Times Last on at 30/03/02 at Dr. Ravi Wankhede Jiwan Jyoti Blood Bank, Nagpur
Total 100 orphan poor Girls Married to Jain Samaj & Other Family Boys by Kanyadan
Both husband and wife have donated their death bodies to Indira Gandhi Mdical College & Hospital, Nagpur in 1989. This is world records who decide Body Donated at the age of 32
So many Medical Eye, Blood, Donation Camp Organizes.
10000 Cattels save from many disease & So many Camps Organized bye Shri Sukrut Nirman Charitable Trust with Shri Kanakrai Sawadiya
ACTIVE PARTICIPATION IN RENOWNED ORGANIZATIONS:
President Sanjivani Blood Donors Association, Maharashtra
President Apeksha – And Sanjivani Kalyankari Sanstha
Executive Member, Ekta, Allahabad
Life Member – Jain Club – Jain Sewa Mandal & B.J.S.
Executive Member – Lal Bahadur Shastri Social Forum
Ujjwal Gorakshan Trust – Executive Member
Secretary – Late Mohanlal Raghavji Mehta Sansthan, Nagpur
Ex. President – Jain Sewa Mandal
Police Peace Committee Member (Last 20 Years)
Shree Ram Janmotsav Shobhayatra Marg Vyavasrha Committee from so many years
६५ वर्ष की आयु में श्री घनश्याम मेहता ने २०.०२ २०२१ शनिवार को अंतिम प्रयाण किया .