Justice Sharad Arvind Bobde / जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े


न्यायमूर्ति  शरद अरविंद बोबड़े

भारत  के  मुख्य  न्यायाधीश

The Chief Justice of India (CJI)

जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भारत के ४७ वें मुख्य न्यायाधीश होंगे.१८ नवंबर को वे मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे.उनका कार्यकाल २३ अप्रैल २०२१ तक होगा

नागपुर में जन्मे ,पले-बढ़े जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद पर आरूढ़ होने जा रहे है निसंदेह विदर्भ कि माटी को उन्होंने गौरवान्वित किया है .उनके के संघर्ष एवं उत्थान की गाथा ने विदर्भ वासियो के लिए प्रेरणा का अद्भुत इतिहास रच दिया है ...........

२४ अप्रैल १९५६ को जन्मे न्यायाधीश बोबडे नागपुर में पले-बढ़े। शरद जी की प्रारंभिक शिक्षा St. Francis De'Sales High School (SFS School) में सम्पन हुई.१८७० में स्थापित यह स्कूल अनेक विभूतियों की पाठशाला रही है सी. के. नायुडु , क्रिकेटर ,राजकुमार  हिरानी ,डॉ .श्रीकांत जिचकर ,डॉ.जमशेद जी ईरानी (टाटा स्टील X -MD), इत्यादि इसी शाला के कभी छात्र रहे है .एस.एफ.एस. कॉलेज से उन्होंने बी.ए. किया। साल १९७८ में  डॉ अम्बेडकर कॉलेज ऑफ़ लॉ -नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की. नागपुर विश्वविद्यालय से कला एवं कानून में स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद बोबडे ने १९७८ में महाराष्ट्र विधिज्ञ परिषद में बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में २१  साल तक वकालत करने के बाद १९९८  में वो सीनियर एडवोकेट बनाए गए. शरद जी को अपने महविधायलय  डॉ अम्बेडकर कॉलेज ऑफ़ लॉ से सदा विशेष लगाव रहा ,इस महविधायलय अनेक कार्यक्रमों में उन्होंने सक्रियता से भाग लिया.२०१४ में महविधायलय  के जस्टा काजा  समारोह में वे मुख्य अतिथि के तोर पर उपस्थित थे तब शरद जी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पद पर थे .   

१३ सितंबर १९७८ को उन्होंने वकील के तौर पर अपना नामांकन कराया और बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की। साल १९९८ में उन्हें सबसे काम उम्र में सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया। २९ मार्च २००० को उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया। १६ अक्तूबर २०१२ में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बनने के बाद अगले ही वर्ष साल २०१३ में उन्हें उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनाया गया। उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख २३ अप्रैल २०२१ है। न्यायाधीश बोबडे का संबंध वकीलों के परिवार से रहा है। उनके दादा एक वकील थे जिन्होंने शायद कभी कल्पना नहीं की होगी कि उनका पोता एक दिन सर्वोच्च न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश होगा.उनके पिता श्री अरविंद बोबडे १९८० और १९८५ में महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) थे .उन्होंने अनेक मामलो में राज्य सरकार का पक्ष मजबूती से रखा था में उनकी छबि विधि क्षेत्र में अति सन्माननीय थी .जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े के दादा अधिवक्ता श्रीनिवास रामचंद्र बोबड़े व अधिवक्ता मनोहर बोबड़े (पिता के चाचा) अपने समय के नामी अधिवक्ता थे .नागपुर के आकाशवाणी चौक पर अधिवक्ता मनोहर बोबड़े की प्रतिमा लगाई गई है .जस्टिस बोबडे के परदादा रामचंद्र पंत बोबडे १८८०  से १९००  के बीच चंद्रपुर (तत्कालीन चांदा) में ख्यात वकील थे। बाद में उनका परिवार नागपुर आ गया। बाद की पीढ़ी में एमआर उपाख्य भैयासाहब बोबडे और श्रीनिवास बोबडे भी प्रसिद्ध वकील हुए। १९३४  में एमआर बोबडे मध्य प्रांत के महाधिवक्ता भी हुए। इसके बाद वे तत्कालीन मध्य भारत प्रांत के काउंसिल के पहले अध्यक्ष भी थे.

जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े के बड़े भाई दिवंगत विनोद बोबडे भी सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ व मशहूर वकील थे.उन्होंने कई बड़े बड़े केस लड़े और उन्हें जीते .सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सबसे काम उम्र में सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया था .उनकी बेटी रुक्मणि भी दिल्ली में वकालत कर रही हैं। बेटा श्रीनिवास भी मुंबई में पेशे से वकील है। जस्टिस बोबडे ने प्रधान न्यायाधीश बनने की खबर सबसे पहले अपनी मां को दी और उनका आशीर्वाद लिया। बाइक चलाने के शौकीन जस्टिस बोबडे बुलेट चलाना पसंद करते है .शरद जी को वन्य जीवो में उस्तुकता व जंगलो में घूमना हमेशा पसंद रहा है. जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े टेनिस के बेहतरीन खिलाड़ी भी रहे और डॉग के शौकीन है. इसके अलावा उन्हें खाली समय में किताबें पढ़ना पसंद है। वे घर पर बेहद सादगी से रहते हैं और यही सादगी उनकी हर जगह देखने को मिलती है

Sharad Arvind Bobde takes oath as the 47th Chief Justice of India  https://youtu.be/rLRKdR9ZRj0

Principal Secretary to Prime Minister PK Mishra presents the warrant of appointment to Chief Justice of India-designate Justice Sharad Arvind Bobde in New Delhi, Tuesday, Oct. 29, 2019.(PTI Photo)

Shri Bobde loves playing cricket and plays whenever he has a chance. He is also one of the players of the "CJI XI" team.

He is an active participant in the annual cricket game between the Supreme Court of India XI and the Supreme Court Bar Association XI.                                                                                                           

                                      

उल्लेखनीय निर्णय

  • माननीय जस्टिस शरद अरविंद बोबडे कई महत्वपूर्ण बेंचों में रहे हैं.
  • माननीय न्यायमूर्ति बोबड़े सबसे लंबे समय तक चलने वाले अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों वाली संविधानिक पीठ का हिस्सा थे। 
  • भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों वाली बेंच, जिसमें बोबडे, जस्ती चेलमेश्वर और चोककलिंगम नागप्पन शामिल थे, ने सर्वोच्च न्यायालय के पहले के आदेश की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि आधार कार्ड के बिना कोई भी भारतीय नागरिक मूल सेवाओं और सरकारी सब्सिडी से वंचित नहीं हो सकता है। जस्टिस शरद उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने आदेश दिया कि आधार कार्ड न रखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता.
  • डाउन संड्रोम से पीड़ित एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसने अपने भ्रूण को समाप्त करने की याचिका दायर की थी. जस्टिस बोबड़े ने इस याचिका को खारिज कर दिया था, क्योंकि, तब तक भ्रूण 26 हफ्ते का हो गया था. डॉक्टरों ने कहा था कि जन्म के बाद नवजात के जीवित रहने की संभावना है.
  • सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जनवरी 2018 में. जस्टिस बोबडे ने जस्टिस गोगोई, जे चेलमेश्वर, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ के बीच मतभेदों को निपटाने में अहम भूमिका निभाई थी.
  • मई, 2018 में जब कर्नाटक में चुनाव हुए और किसी को बहुमत नहीं मिला, तो राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए बुलाया. कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. रात 2 बजे से सुनवाई शुरू हुई और फैसला येदियुरप्पा के पक्ष में आया. येदियुरप्पा के पक्ष में फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबडे.
  • सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन को लेकर जो फैसला दिया था, उस फैसले वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबडे.
  • कर्नाटक की लेखिका मेट महादेवी की किताब बसावा वाचना देवी पर कर्नाटक सरकार ने बैन लगा दिया था. मेट महादेवी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, जहां उनकी याचिका खारिज़ हो गई. याचिका खारिज़ करने वाले जजों की बेंच में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे.
  • चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे. सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने ये आरोप लगाए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन हाउस पैनल बनाया था. इस पैनल ने जस्टिस गोगोई को क्लिनचिट दे दी थी. जस्टिस बोबड़े उस हाउस पैनल का हिस्सा थे. उनके अलावा इस पैनल में एन वी रमन और इंदिरा बनर्जी शामिल थीं.

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल 

देश के आगामी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने न्यायपालिका में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) समेत उन्नत तकनीकों के इस्तेमाल किए जाने की वकालत की है।

उन्होंने कहा, फिलहाल इंसाफ देने की मौजूदा प्रक्रिया अच्छी है, मगर इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक का इस्तेमाल करने समेत कुछ मामूली बदलाव किए जाने की भी जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा, न्याय प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कुछ सुधारों की जरूरत है। इसके लिए कुछ दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपाय होते हैं। लंबी अवधि के सुधार के लिए स्टाफ को कानूनी शिक्षा दी जानी चाहिए और छोटी अवधि के लिए अच्छे कर्मचारियों समेत व्यवस्थाओं में सुधार किया जाना चाहिए।
महिला जजों की संख्या पर बोले, बढ़ाने का रहेगा प्रयास
महिला जजों की कम संख्या को लेकर पूछे जाने पर जस्टिस बोबडे ने कहा, 'मैं इस उद्देश्य से प्रयास करूंगा और बिना किसी पक्षपात के कोशिश करूंगा कि उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों का चयन बढ़े। लेकिन समस्या उनकी उपलब्धता की भी है। हाई कोर्ट में जज के तौर पर उनकी 45 वर्ष आयु होनी चाहिए। इसलिए हम रातोंरात संवैधानिक अदालतों में महिला जजों की संख्या नहीं बढ़ा सकते। यह सिस्टम के साथ ही होगा।' उन्होंने स्पष्ट किया कि महिला जजों की संख्या कम होने की वजह किसी तरह का पूर्वाग्रह नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी बड़ी वजह उनकी कम उपलब्धता रही है। इसके अलावा भी कुछ कारण हो सकते हैं। 

जजों की रिटायरमेंट उम्र को ६५  साल तक करने के प्रस्ताव का समर्थन
मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की ओर से हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य जजों की रिटायरमेंट उम्र को ६५  साल तक करने के प्रस्ताव का उन्होंने समर्थन किया। फिलहाल यह उम्र सीमा ६२  साल की है। उन्होंने कहा, 'इससे सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए प्रतिस्पर्धा में कमी आएगी। इसके अलावा ६२  साल की उम्र में कोई जज रिटायर होता तो यह एक तरह से उसके अनुभव का लाभ न लेने जैसा है।

जजों के चयन की मंत्रणा सार्वजनिक नहींं करने का पक्ष
६३ वर्षीय जस्टिस बोबडे ने कोलेजियम में उच्च न्यायालयों के लिए जजों के चयन की मंत्रणा को सार्वजनिक नहीं करने का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि यह कोई बात गुप्त रखने का मामला नहीं है, बल्कि निजता के लिहाज से निजी रखने का विषय है। उन्होंने कहा कि किसी नकारात्मक बातें बेवजह सबके सामने क्यों लाई जाएं। मेरे विचार से इस संबंध में अनुदार रहना ही ठीक है। 

परिवार पिताश्री -श्री अरविन्द श्रीनिवास बोबडे .
जन्म तिथि 24/04/1956
जन्मस्थल नागपुर
जिला नागपुर
शहर नागपुर
शैक्षिक विस्तार B.A. and LL.B.
स्कूल St. Francis De'Sales High School (SFS School),Nagpur
कॉलेज डॉ अम्बेडकर कॉलेज ऑफ़ लॉ, नागपुर विश्वविद्यालय
प्रेरणा स्त्रोत / आदर्श व्यक्ति पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा, जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण और जस्टिस सीके ठक्कर
वर्ग प्रोफेशनल
अपडेट

18.11.2019

जस्टिस एसए बोबडे ने भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ले ली है। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। 63 वर्षीय जस्टिस बोबडे ने अंग्रेजी में शपथ ली। यह समारोह राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित हुआ। शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस दौरान उपस्थित थे।

17.12.2019

Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray while congratulating Justice Sharad Bobde on his elevation as Chief Justice of India. He moved the resolution of congratulation in the State Assembly 

Devendra Fadnavis, Leader of Opposition commented, “Justice Bobde, a true Maharashtrian, our own Marathi man gave us a proud feeling when he was adorned as Chief Justice of India.

भारत के 47 वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 25.04.2021 शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गए।

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