
प्यारे खान
Chairman (Cabinet Minister Status) Maharashtra State Minority
Chairman Of Tajabad Trust.
Member National Road Safety Council
ऑटो से शुरू किया था सफर, आज सालाना टर्न ओवर ४०० करोड़
कोरोना संक्रमितों तक मुफ्त में पहुंचाई १ करोड़ ३५ लाख की ऑक्सीजन
वर्ष २००९ में डैनी बायल द्धारा निर्देशित फिल्म स्लमडॉग मिलिनयर आई थी, जिसमें झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लड़के की किस्मत बदलने की कहानी थी। यह रील लाइफ स्टोरी थी, मगर उसी दौरान रियल लाइफ में झुग्गी झोपड़ी में पैदा होने वाला शख्स खुद की कामयाबी की पटकथा लिख रहा था। आज वो ४०० करोड़ रुपए की कम्पनी के मालिक हैं..........नाम है प्यारे खान।
लाखों युवा सपने देखते है कोशिशें करते है मेहनत करते है पर मंजिल तक कुछ लोग ही पहुंच पाते है। सफलता के परिमाण या पैमाने उन्हीँ के आगे झुकते है जो सची लगन के साथ ऊपरवाले पर भी भरोसा रखते है ।
रेलवे स्टेशन पर संतरे बेचना शुरू किया
प्यारे खान बताते हैं कि इनका जन्म झुग्गी झोपड़ी में हुआ। मां किराना की दुकान चलाती थी। पिता गांव-गांव जाकर कपड़े बेचते थे। समझने लगे तो घर की खराब आर्थिक की स्थिति को देखते हुए रेलवे स्टेशन पर संतरे बेचना शुरू कर दिया। इस बीच प्यारे खान ने पढ़ाई भी जारी रखी, मगर दसवीं पास नहीं कर पाने के कारण स्कूल से मोह छूट गया। फिर मां के गहने बेचकर ११ हजार रुपए का डाउन पेमेंट दिया और ऑटो खरीदा। यह सिलसिला वर्ष २००१ तक चला। वर्ष २००१ के बाद लगा कि कुछ बड़ा करना चाहिए, मगर दिक्कत यह थी कि पैसे नहीं थे। रिश्तेदार से ५० हजार उधार मांगे तो वह घर के कागज रखवाना चाहता था।
बैंकों और संस्थानों ने इंकार कर दिया
उन्होंने मामा की सहायता से ऑटो चलाना सीखा। १९९४ में एक निजी कंपनी की आर्थिक सहायता से ऑटो खरीदा। अतिरिक्त आय के लिए आर्केस्ट्रा कंपनी में की-बोर्ड भी बजाते थे। यहीं से खुद का व्यवसाय आरंभ करने की प्रेरणा मिली। ऑटो बेचकर सेकंडहैंड बस खरीदी। आगे बढ़ने की इच्छा से २००४ में ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में हाथ आजमाने का इरादा किया। प्रतिस्पर्धा और झूठे प्रचार से कई बार उनके हौसलों को तोड़ने की कोशिश की गई लेकिन खान जिद पर डटे रहे। लोन पर ट्रक लेने के लिए कई बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से संपर्क किया लेकिन अनुभवहीनता और गारंटी नहीं होने से ८ बैंकों और संस्थानों ने इंकार कर दिया। घर स्लम एरिया में होने के कारण कोई बैंक लोन नहीं दे रहा था। आखिर वर्ष २००४ में आईएनजी वैश्य बैंक से ११ लाख का लोन मिला। बैंक की क़िस्त के रूप में प्यारे खान को प्रतिमाह २२ ,००० रुपए का भुगतान करना होता था लेकिन वे ५० ,००० रुपए ६ माह तक भुगतान करते रहे।
छह माह बाद ट्रक का एक्सीडेंट
हालांकि यहां भी उनकी किस्मत ने पलटी खाई। ६ माह बाद ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया । ८० ,००० रुपए खर्च कर ट्रक को सड़क पर वापस लाए। उस दौर में खराब रास्तों के चलते ज्यादा रकम मिलने के बाद भी कोई ट्रक चालक नागपुर से संभलपुर जोड़ा माइन नहीं जाना चाहता था। प्यारे खान ने इस रास्ते पर चलने का जोखिम उठाया और आगे दो नए ट्रक खरीदे। इसके बाद खान सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए।
ट्रक को ठीक करवाकर फिर आए मैदान में
ट्रक एक्सीडेंट के बाद प्यारे खान ने उसकी मरम्मत करवाई और फिर से उसे सड़क पर लेकर आए। बैंकों से आग्रह करके लोन की किश्त देरी से दी। कुछ समय बाद प्यारे खान का धंधा पटरी पर लौट आया। वर्ष २००७ में अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट नाम से अपनी कम्पनी बनाई।
कार्यप्रणाली को मिली सराहना
वर्ष २०१३ में भूटान के काम ने बदली किस्मत अब प्यारे खान की कम्पनी अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट को काम मिलना शुरू हो गया।करीब एक साल पहले आयकर विभाग ने भी प्यारे जिया खान की कंपनी को १० ० प्रतिशत टीडीएस कटौती वाली कंपनी के रूप में मान्यता दी है। उनके हौसलों और नीतियों की कार्पोरेट घरानों ने भी सराहना की है। काम को हर हाल में बेहतरीन बनाने की उनकी जिद को देखते हुए उन्हें अवसर भी बड़े दिए गए। ७ सितंबर २०१६ को सीमावर्ती इलाके में भूटान पावर कार्पोरेशन का थर्मल पावर प्लांट बनाने का काम आरंभ हुआ था। तीस्ता नदी के किनारे पर डोकलाम सीमा से जुड़े रास्ते में बोडो आतंकियों के साथ ही पड़ोसी देशों की सेना की गोलियों का खतरा भी बना हुआ था। अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े हेरिटेज द्वार के समीप से निर्माणकार्य की सामग्री को ट्रकों में लेकर जाने की समस्या खड़ी हो गई दिक्कत यह थी कि रास्ते में एक दरवाजा था, जो साढ़े १३ फीट ऊंचा था। जबकि ट्रक की ऊंचाई साढ़े १७ फीट हो रही थी। ऐसे में भारत के अधिकांश ट्रांसपोर्ट वालों ने वो काम लेने से मना कर दिया था।
सामान भूटान पहुंचाकर ही लिया दम
प्यारे खान ने उस काम को चैलेंज के रूप में लिया। खुद भूटान गए और वो दरवाजा देखा। फिर तय किया कि उनकी कम्पनी अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट का ट्रक यह सामान लेकर भूटान जाएगा। प्यारे खान तरकीब लगाई और जब ट्रक उस दरवाजे के नीचे उतनी ही जमीन खोदी गई जितनी में ट्रक से आसानी से निकल सके।
प्यारे खान की कम्पनी में हो गए १७०० कर्मचारी
भूटान वाला यह काम सफलतापूर्वक करने के बाद प्यारे खान की कम्पनी के मानों पंख लग गए। भूटान के साथ-साथ नेपाल और दुबई तक में प्यारे खान की कम्पनी के ट्रक ट्रांसपोर्ट का काम कर रहे हैं। कम्पनी में अब ४०० ट्रक हो चुके हैं। १७०० से ज्यादा कर्मचारी हैं। सालाना टर्न ओवर ४०० करोड़ तक पहुंच चुका है।कंपनी के ११ टोल भी पुरे भारत में है ,ट्रांसपोर्ट-क्षेत्र में काम करने वाली देश की तीन बड़ी कंपनियां जो ६५,००० टन सामग्री का परिवहन करती हैं, इनमें खान की कंपनी की भागीदारी ८० प्रतिशत है। सामान्य ट्रकों की खरीद के बाद साल २०१० में लंबी छलांग लगाने के संकल्प के साथ शहर में पहली बार ढाई करोड़ की कीमत वाला १६० चक्कों वाला वाल्वो ट्रक खरीदा। इस ट्रक में भारी वजन की मशीनरी की आवाजाही की जाती है।
शिक्षा का हौसला, उम्र नहीं बाधा
इसके बाद खान ने नये व्यवसाय में हाथ आजमाने का निर्णय लिया। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनी का पेट्रोल पंप राष्ट्रीय महामार्ग पर शुरू करने का इरादा किया लेकिन लाइसेंस मिलने में शैक्षणिक योग्यता आड़े आ गई। रोटी-रोटी की जद्दोजहद में शिक्षा का समय ही नहीं मिल पाया था। दो बार असफलता हाथ लगी, आखिरकार तीसरे प्रयास में १० वीं उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद, नोटबंदी की मंदी के बावजूद दिसंबर २०१६ में विहिरगांव परिसर में दो एकड़ में जिले का सबसे बड़ा पेट्रोल पंप आरंभ किया है
IIM में हो रहा अध्ययन
प्यारे खान के मैनेजमेंट-गुर को समझने का प्रयास अब अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान भी कर रहा है। उन्होंने जुलाई माह में खान को आमंत्रित कर चर्चा की। अंग्रेजी भाषा से होने वाली दिक्कतों के चलते IIM के शिक्षकों और विशेषज्ञों ने पूरा सत्र हिंदी में संचालित किया। उनकी कार्यप्रणाली पर भी अध्ययन किया जा रहा है। अगले सत्र में, दिसंबर में IIM ने प्यारे खान को दोबारा आमंत्रित किया ।
मल्टीमॉडल इनोवेशन
केईसी, जिंदल स्टील्स, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, सांगवी क्रेन्स और टाटा स्टील्स समेत कई कार्पोरेट कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। टाटा स्टील्स द्वारा देश की विश्वसनीय ठेका एजेंसी में ३ वें स्थान पर उन्हें रखा गया है। रामझूला की केबल लाने के साथ ही एनटीपीसी मौदा के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी खान की कंपनी ने पूरे किए हैं। जल्द ही जल-यातायात को भी व्यवसाय में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। हर रोज करीब ३००० किराए के ट्रकों से स्टील और पॉवर इंफ्रास्ट्रक्चर के सामान को देशभर के साथ ही विदेशों में भी लाने-ले-जाने का काम करते हैं। बुरे दिनों में सहायता करने वालों को प्यारे खान भूलते नहीं हैं। उन पर विश्वास जताने वाले बैंक मैनेजर भूषणसिंह का मुंबई में बैंक उपाध्यक्ष के रूप में स्थानांतरण हुआ तो उन्हें खान ने अपनी कंपनी में काम करने का ऑफर दिया। और भूषणसिंह ने उनके साथ जुड़ना मंजूर किया।
सफलता-सूत्र के चार बिंदुओं
प्यारे खान का मानना है कि सामान्य तौर पर कच्चा माल ही ट्रक पर ले जाया जाता है लेकिन प्रगति के लिए मल्टीमॉडल इनोवेशन अपनाना जरूरी है। इस लिहाज से, कच्चे माल के साथ ही तैयार माल भी ट्रेन-ट्रांसपोर्ट में ले जाने का प्रयोग किया है। खान के पास कन्स्ट्रक्शन और स्टील इंड्रस्टी में रोजाना होने वाले दामों के उतार-चढ़ाव को पहचानने की कला है। उनका सफलता-सूत्र चार बिंदुओं से बनता है- इनोवेशन, साथियों और स्टाफ पर भरोसा, धैर्य और सकारात्मक नजरिया और चौथा, जोखिम का साहस। छोटी विफलताओं पर निराश होने की युवा-प्रवृत्ति पर खान कहते हैं, ‘इस सूत्र पर मेहनत और लगन से अमल किया जाना चाहिए और भीड़ से हटकर कुछ विशेष करने का ज़ज्बा होना चाहिए।’जरुरत के समय में जिस बैंक मैनेजर भूषण बैस ने प्यारे खान की मदद की, वह बैंक मैनेजर भी अब प्यारे खान की सफलता की इस कहानी में साथ है और वह मौजूदा वक्त में कंपनी के फाइनेंस हेड के तौर पर कंपनी के साथ जुड़े हुए हैं।
यूएई के एक निवेशक बैंक इंपीरियल कैपिटल एलएलसी ने आशमी रोड ट्रांसपोर्ट को ८० करोड़ रुपए का लोन देने की पेशकश की है।प्यारे खान की कंपनी के ग्राहकों में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड,रिलायंस इंडस्ट्रीज,केईसी इंटरनेशनल, जेएसडब्लू स्टील, टाटा और सेल जैसी फर्म के नाम शुमार हैं। खान को यंग ट्रांसपोर्ट एंटरप्रेन्योर का साल २०१८ का अवार्ड भी मिल चुका है। फिलहाल प्यारे खान की नजर आशमी रोड ट्रांसपोर्ट नागपुर शहर के नजदीक ७ करोड़ रुपए की लागत से बने कंपनी के नए कॉरपोरेट ऑफिस में काम कर रही हैं।
टेक्स चुकाना सामजिक कर्तव्य
उसपर भी उनके कारोबार का हर व्यवहार बेंकिंग द्वारा किया जाने के साथ हर तरह से पारदर्शक है । टेक्स की चुकाना वे अपना सामजिक कर्तव्य समझते है और यही वजह है के जिस इलाके में कोई बेंक कर्ज नहीं देती थी जिसे ब्लेक लिस्ट स्लम माना जाता रहा है आज उसी इलाके में कई बेंक कर्ज देने तैयार खड़ी है ।
प्यारे खान ने 'ऑक्सिजन जकात' पर खर्च किए १ करोड़ ३५ लाख रुपये
कोरोना महामारी के दौर में प्यारे खान उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं थे । संकट की घड़ी में उन्होंने १ करोड़ ३५ लाख रुपये खर्च कर ४०० मीट्रिक टन ऑक्सिजन अस्पतालों तक भेजी।नागपुर सहित अन्य जगहों पर अस्पतालों में ऑक्सिजन सिलिंडर्स की सप्लाई की । रायपुर, भिलाई, राउरकेला जैसी जगहों पर भी सप्लाई की । इसके आलावा AIIMS सहित अन्य अस्पतालों में ५० लाख रुपये की कीमत के ११६ ऑक्सिजन कॉन्सेंट्रेटर्स भी दान दिए ।
- Mahindra MPOWAR Award 2018
- Best Transporter Award By IIM Ahmedabad
- Extra Ordinary Achievement Award By Dainik Bhaskar 2018
- Achievement Award By Ashoka Leyland
- Award For Good Relationship Achievement Award
- Best Service Award By Corporation Of India Ltd
- Special Contribution Award By Corporation Of India Ltd
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09 July 2024 :Pyare Khan Appointed Maharashtra Minority Commission Chairman