Mahesh chandra Gupta

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में वर्षो तक सक्रिय भूमिका

डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन,अखिल भारतीय ओमर उमर वैश्य महासभा,

नाग. विदर्भ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स, फेडरेशन ऑफ़ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज,

इत्यादि अनेक संस्थाओ से सम्बद्ध,अधिवक्ता वक्ता के रूप में ५७ वर्षो का दीर्घ अनुभव

महेशचंद्र गुप्ता अधिवक्ता के रूप में ५७ वर्षो के दीर्घ अनुभव के साथ आज भी ८३ वर्ष की उम्र में भी वकालत कर रहे है ,जीवन के अनेक उतार चढ़ाव को सहजता ,धैर्य और समाज के लिए कुछ कर गुजरने के जोश के साथ उन्होंने अनेक संगठनो, सामाजिक संस्थाओ ,में अपनी सक्रिय भूमिका दर्ज की है .आज उनकी तीन पीढ़िया साथ-साथ वकालत कर रही है . 

अधिवक्ता वक्ता महेशचंद्र गुप्ता का जन्म कामठी में ११ जून १९३६ में हुआ .उनके पिता स्व. श्री नारायणजी गुप्ता, चाचाजी शिवनारायण गुप्ता कृषक व व्यवसायी थे .अधिवक्ता वक्ता महेशचंद्र गुप्ता ने कामठी के लोहिया हाईस्कूल में अपनी शिक्षा पूर्ण की .उसके बाद उन्होंने कानपुरके DAV कॉलेज से इंटर तक की शिक्षा ग्रहण की .कानपुर से इंटर तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद नागपुर आकर बी.कॉम., एल. एल. बी. तक की शिक्षा प्राप्त की १० जुलाई १९५६ को अधिवक्ता. महेशचंद्र गुप्ता का विवाह सरला गुप्ता के साथ हुआ.

बचपन से ही महेशचंद्र गुप्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा से जुड़े रहे साथ ही पिताश्री नारायणजी गुप्ता कामठी में खेती व्यवसाय से भी जुड़े रहे .चाचाजी शिवनारायणजी गुप्ता कामठी में संघ चालक थे .वकालत आरंभ करते समय अधिवक्ता महेशचंद्र गुप्ता का परिचय पं. बच्छराज व्यास से हुआ .पं. बच्छराज व्यास विधानसभा में विरोधी पक्ष के नेता और सुप्रीमकोर्ट के जाने माने वकील भी थे .महेशचंद्र गुप्ता वर्ष १९६२ से वकालत का पेशा शुरू किया और पं. बच्छराज व्यास के साथ सहयोगी बन कार्य प्रारम्भ किया .इससे पूर्व महेशचंद्र गुप्ता संघ के प्रथम वर्ग की ओटीसी में भी रहे. उस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ संस्थापक गोलवलकर गुरुजी से भी उनका घनिष्ठ संबंध रहा .पं. बच्छराज व्यास और प. पु. गोलवलकर गुरूजी के मृत्यु पर्यंत अधिवक्ता महेशचंद्र गुप्ता को उनका सानिध्य और मार्गदर्शन मिलता रहा और आज भी वे उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते है.१९६२ से १९७३ तक पं. बच्छराज व्यास के सहयोगी के रूप में दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी शास्त्री, जगन्नाथराव जोशी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कार्य करने का अवसर मिला .

आगे चलकर उन्हें संघ के मानवाधिकार समिति में उपाध्यक्ष का कार्यभार प्राप्त हुआ .१९७८-१९८१ तक दो बार डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन नागपुर के उपाध्यक्ष भी रहे .१९८४ में महेशचंद्र गुप्ता ने नाग विदर्भ चेंबर ऑफ़ कॉमर्स द्वारा जारी  चुंगी दरों की वृद्धि विरोध आंदोलन में सक्रियता से हिस्सा लिया. वर्ष १९९१ से १९९४ तक डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन नागपुर के बतौर अध्यक्ष रहे . १९८६ से १९९७ तक अखिल भारतीय वैश्य महासभा कानपुर के अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे .वर्ष २००६ मे समाज की और से उन्हें स्वजातीय रत्न की उपाधि से अलंकृत किया गया. .साथ ही इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल फॉर नॉर्थन प्लेन लखनऊ में बतौर सदस्य के रूप में उन्हें एग्रीकल्चरल मिनिस्टर बलराम जाखड़ ने नॉन ऑफिसियल मेंबर के लिए नामांकित किया .नाग. विदर्भ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स के सचिव के रूप में पदासीन रहे .डायरेक्टर जनरल, सप्लायर &डिस्पोजल वेस्टर ज़ोन, मुंबई तथा फेडरेशन ऑफ़ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज नई दिल्ली के टेक्सेशन (Taxation )समिति में ३ वर्ष तक रहे .

१९७७ में  इमरजेंसी  के दौरान सक्रिय भूमिका

वकालत के अतिरिक्त उनके मन में हमेशा सेवा का भाव जाग्रत था वे अधिवक्ता रूप में पं. बच्छराज व्यास के साथ सहयोगी रूप में कार्य करने को वे अपने जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य मानते है .समय के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में उनकी सक्रियता बढ़ने लगी रज्जु भैया ,बालासाहेब देवरस से भी उनके निकट संबंध स्थापित हो गए १९७७ में इमरजेंसी के दौरान संघ के महत्वपूर्ण कार्य करने की जिम्मेदारी उन्हें दी गई ,जो उन्होंने बखूबी निभाई .२००६ से २०१८ तक मानवाधिकार कमेटी मुंबई में महेश गुप्ताजी को अध्यक्ष के बतौर कार्यरत रहने का मौका मिला .

अनेक संस्थाओं से जुड़े

पं. बच्छराज व्यास के रहते हुए उनका संपर्क पं. दीनदयाल उपाध्याय पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी, जगन्नाथ जोशी, गोलवलकर गुरूजी, बालासाहेब देवरस आदि से भी रहा .पं. बच्छराज व्यास के विधानसभा कार्यो को करने का अवसर भी उन्हें मिला . नागपुर के नाग विदर्भ चेंबर ऑफ़ कॉमर्स, किराना मर्चेंट एसोसिएशन,ऑइल एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन, यार्न मर्चेंट्स एसोसिएशन, के वैधानिक सलाहकार के रूप में भी काम करने का अवसर मिला .

गुरुदक्षिणा-जरुरत मंद, गरीबों को न्यायिक सहायता

अपने गुरु पं. बच्छराज व्यास को उन्होंने गुरुदक्षिणा स्वरूप वचन दिया कि जरुरत मंद, गरीबों को न्यायिक सहायता वे निःशुल्क देंगे और उसे उन्होंने पूरे भाव के साथ निभाया वकालत के दौरान देशभर के अनेक न्यायालय  मुंबई उच्च न्यायलय व ,सर्वोच्च न्यायलय में भी पैरवी करने का अवसर मिला .

कार्यकुशल पारिवारिक नेतृत्व

वर्त्तमान में अधिवक्ता . महेशचंद्र गुप्ता ८३ वर्ष की दीर्घायु पर भी अपने पुत्र अधिवक्ता शरद गुप्ता, पौत्र अधिवक्ता  रोमल गुप्ता, छोटे भाई अधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता, भतीजे अधिवक्ता पंकज गुप्ता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वकालत कर रहे है .उनकी प्रथम पुत्री श्रीमती सिंधु गुप्ता ओमर उमर वैश्य महिला परिषद् की अध्यक्ष रही.गत ५५ वर्ष से वकालत कर रहे अधिवक्ता . महेशचंद्र गुप्ता का मानना है की मेहनत, लगन , कार्यकुशलता की अनोखी मिसाल उन्होंने गोलवलकर गुरूजी, स्व. पं. बच्छराज व्यास, बालासाहेब देवरस, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी जैसे महापुरुषों से ली है .

Dr.Hemant Sonare

डॉ. हेमंत सोनारे एक अग्रणी शिक्षाविद्, प्रतिष्ठित कपड़ा-परिधान प्रौद्योगिकीविद्, कृषक, प्रख्यात वक्ता और प्रसिद्ध सामाजिक वैज्ञानिक हैं.उनका कपड़ा-वस्त्र, कृषि और शिक्षा उद्योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान है .

महत्वाकांक्षी,बहुमुखी,स्वयं संचालित,उत्साहित,मधुर भाषी व्यक्तित्व "टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया TAI के पूर्व राष्ट्रीय चैयरमेन" कॉटन विदर्भ " के संस्थापक अनेक संस्थाओ से सम्बद्ध ,अनेक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित डॉ.हेमंत सोनारे कृषको के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है   

डॉ. श्याम सोनारे एव श्रीमती प्रतिभाताई सोनारे के सबसे छोटे पुत्र डॉ. हेमंत सोनारे का जन्म वरुड (जिला अमरावती ) में हुआ`शुन्य से शिखर`पर पहुंचने वाले डॉ. हेमंत सोनारे के दो बड़े भाई है डॉ. शशांक सोनारे व डॉ. प्रशांत सोनारे जो इस समय क्रमशः अमरावती व मुंबई में है .डॉ.हेमंत सोनारे के परिवार में सभी Phd डॉक्टर है .पिताश्री महात्मा फुले कॉलेज वरुड में ४४ वर्षो तक मराठी के प्राध्यापक रहे व माताजी भी पार्वती कन्या शाला वरुड में शिक्षिका थी.

पिताश्री का संधर्षमय जीवन 

पिताजी के संघर्ष को याद करते हुए डॉ, हेमंत बताते है कि वे जब वरुड आये थे तब वे खाली हाथ आये थे.अत्यंत कठिन परिस्थिति में वे जीरो से हीरो बने. बचपन में एक पड़ोसी ने उनका एडमिशन स्कूल में करा दिया. उन्होंने स्कूल के हेड मास्टर से कहा कि वे श्रमदान करेंगे, तो ही पढ़ाई करेंगे क्योकि फीस के पैसे थे ही नहीं ४ थी क्लास में ,इतनी कम उम्र में भी उनकी यह विचारधारा व सिद्धांत वादी व्यक्तित्व जीवन पर्यन्त था और यह एथिक्स ही उनके जीवन को आयाम देने वाला बना.पिताश्री श्याम सोनारे ने १० वी क्लास में एक कविता संग्रह `गण मन भवरी` लिखा जिसमे उन्होंने अपने गरीबी के संघर्ष का यथार्थ चित्रण किया था. कविता संग्रह से वे सम्पूर्ण महाराष्ट्र में प्रसिद्ध हो गए.और डॉ. श्याम सोनारे को सुप्रसिद्ध मराठी कवी बाळ सीताराम मर्ढेकर का प्रतिरुप माना जाने लगा .

१० वी पास करने पर शिक्षक का काम मिल गया फिर डबल एम. ए. व बी .एड. किया इस दौरान उन्होंने घर-घर जाकर पेपर बांटे, गेटकीपर कार्य भी किया व चलती-फिरती लाइब्रेरी का भी काम किया. उपरांत उन्होंने "एकनाथ और तुलसीदास तुलनात्मक अध्ययन "विषय पर थीसिस लिखी,यह करीब साढे तीन हजार पन्नो की थी, जिस पर उन्हें `डॉक्टरेट` की उपाधि हासिल हुई.पिताश्री श्याम सोनारे अपनी तकलीफों के बावजूद सामाजिक कार्यो में सक्रियता से शामिल होते थे पिताजी का कांग्रेस के प्रति रुझान था. उनके सम्पर्क श्रीमती इंदिरा गाँधी ,पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हराव से लेकर तत्कालीन अनेक बड़े-बड़े नेताओं से था . जब नरसिम्हराव जी रामटेक से चुनाव लड़े थे तब डॉ. श्याम सोनारे ने सक्रिय भूमिका निभाई थी इंदिरा गांधी के विपरीत समय के दौरान उन्होंने जेल भरो आंदोलन की अगुवाई की. डॉ. श्याम सोनारे अनेक वर्षो तक वरुड ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे वे मिनिस्ट्री ऑफ़ सिविल एविएशन में सलाहकार भी रहे .उन्हें दो बार कांग्रेस पार्टी द्वारा विधायक की भी टिकट मिली, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया.उन्होंने हमेशा किंग मेकर की भूमिका निभाई अनेक युवाओ को मूल्यों पर आधारित राजनीती में अग्रसर किया .जीवन पर्यन्त नैतिकता पर वे अटल रहे . 

डॉ, हेमंत बताते है कि उनकी मातुश्री प्रतिभाताई सोनारे ने दायित्वबोध,कर्तव्य परायणता के साथ पिताश्री और परिवार के उत्थान में महत्तम भूमिका निभाई .मातुश्री प्रतिभाताई अपने मायके में अति धनाढ्य परिवार से थी फिर भी बिना किसी क्षोभ के सदैव पिताश्री के सभी सामाजिक राजनैतिक गतविधियों में समर्पण भाव से सम्मिलित होती रही तत्कालीन सभी लोग उन्हें "अन्नपूर्णा "के नाम से सम्बोधित करते थे .उन्होंने ४० वर्षो तक शिक्षिका एवं पर्वेक्षक के रूप में कार्य किया . 

माता-पिता ही हैं मेरी युनिवर्सिटी 
TAI के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, वंजारी ग्रुप के डायरेक्टर, रायसोनी ग्रुप के पूर्व उपाध्यक्ष, `कॉटन विदर्भ` के संस्थापक व संचालक सहित अनेक संस्थाओं से जुड़े डॉ. हेमंत सोनारे अपने माता-पिता को सर्वस्व मानते है. उनका मानना है कि वे ही उनकी वास्तविक युनिवर्सिटी है .जब वे कक्षा चौथी-पांचवी में थे तब उन्होंने श्री गोविंद प्रभु की कथा लिखकर सबको हतप्रभ कर दिया था. `कथाकथन` में उन्होंने अपनी मौलिक प्रतिभा का परिचय देकर कई बार जीत दर्ज की. खेल, नाटक,एकांकी, अभिनय, वक्तृत्व कला उनमे कूट-कूट कर भरी है. हर फन में माहिर डॉ. सोनारे शालेय जीवन में कई बार क्लास कैप्टन रहे. हर तरह की गतिविधयों में भाग लेना मानो उनका जूनून ही रहा. डॉ. हेमंत सोनारे की शिक्षा १० वी तक न्यू इंग्लिश स्कूल वरुड , १२ वी तक की शिक्षा महात्मा फुले महाविद्यालय वरुड ,अकोला से टेक्सटाइल  इंजीनियरिंग ,तत्पश्चात मुंबई आइ.आइ.टी.सी. से फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा तथा नागपुर विधापीठ से एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की. टेक्सटाइल्स में रुचि रहने के कारण डाक्टरेट की उपाधि भी व्यवस्थापन शास्त्र में विदर्भ टेक्सटाइल्स विकास विषय लेकर हासिल की. डॉ. हेमंत सोनारे एक कुशल नेता, अच्छे वक़्ता व लेखक भी है.जीवन में उन्होंने कई प्रयोग किये और सफलताएं पाईं, लेकिन अपनी गरीबी को हमेशा ईमानदारी से जिया.

संघर्षों में रखा हौसला बरक़रार
अपने संघर्ष के दिनों का एक दिलचस्प वाकया सुनाते हुए डॉ.सोनारे कहते हैं कि जिस समय वे टेक्सटाइल इंजीनीयरिंग की पढाई कर रहे थे तब कबाड़ से एक-एक हजार रुपये में एक विजय सुपर व एक लेम्ब्रेटा खरीदी.दो स्कूटर से खुद ही रिपेयर कर एक स्कूटर बनाई .उनका यह मानना था कि गरीबी को दिखाने से अच्छा, है की उसे स्वीकार करो और निम्नता के भाव से मुक्त रहो .डॉ. सोनारे ने टेक्सटाइल इंजीनियरिंग करने के बाद मुंबई का रुख लिया और वहां विक्टोरिया मिल में इंटर्नशिप की तदुपरांत कॉन्टेक्स्ट इंडिया एवं क्लॉथ लाइन ग्रुप में प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर कार्य किया ,इस पद पर रहते उन्हें टेक्सटाइल व फ़ैशन जगत के प्रख्यात फ़ैशन डिज़ाइनर एवं टेक्सटाइल उद्योगपतियों के साथ कार्य करने का अवसर मिला . १९९४ में अपनी मातुश्री के नाम से "प्रतिभा फेब आर्ट" के नाम से अपना प्रथम व्यवसाय मुंबई में प्रारम्भ किया.कुछ समय पश्चात "पेज लिंक" कंपनी के पेजर का डिस्ट्रीब्यूशन किया . १९९५ में लोगों के हाथों में मोबाइल आ गया, इसलिए उन्होंने मैक्सटच की डिस्ट्रीब्यूटरशिप ले ली. इसके बाद अपने बड़े भाई प्रशांत सोनारे के साथ "सेलटेल इंडिया " शुरू की, जो करीब १९९७ तक चली. तत्पश्चात "फैशन कॉन्सेप्ट" शुरू किया और खुद के डिजाइन्स बनाकर मुंबई में सप्लाई करने लगें. वहां के अनेक प्रसिद्ध बुटिक से भी आर्डर मिलने लगे. इसके बाद उन्होंने गारमेंट यूनिट शुरू की. एक्सपोर्ट यूनिट्स के जॉब वर्क आने लगे. डॉ.सोनारे बताते हैं कि उस वक्त काफी नुकसान भी बर्दाश्त करना पड़ा. उन्होंने हौसला नहीं हारा बल्कि नये उत्साह से काम में जुटे रहे . कम लागत में अधिक उत्पादन की कला उन्हें आ गई . सिर्फ पैसा कमाना ही उनका मकसद कभी नहीं रहा .

विदर्भ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर आये अपने गांव 

मुंबई की चकाचौंध छोड़ कर विदर्भ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर डॉ सोनारे ने १९९८ में अपने पैतृक गावं वरुड की ओर रुख किया व कुछ दिन रहने के बाद नागपुर आए . २००० में वे टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया TAI के विदर्भ रीजन के ज्वाइन सेकेटरी चुने गए .तभी लॉर्ड्स वेयर के किशोर ठुठेजा से मिले . दोनों ने साथ में काम करने का निर्णय लिया.रविनगर में लॉर्ड्स फैशन एकैडमी शुरू की व दो वर्षो के बाद वहां से हटकर खुद की एकैडमी "Texcellence Institute Of Design "शुरू की . वर्धा रोड पर इस एकैडमी को मात्र एक कुर्सी व टेबल से शुरू किया और यहाँ फैशन डिजाइनिंग के कोर्स सिखाये जाने लगे .यह एकेडमी विदर्भ की अपने तरह की एक मात्र एकेडमी थी .१६ फरवरी २००५ में नागपुर के राठौड़ परिवार की सुकन्या रचना से उनका विवाह हुआ .श्रीमती रचना टेक्सटाइल फैशन डिज़ाइनर है .यह एकैडमी आज भी चालू है जिसे श्रीमती रचना सोनारे चला रही है .इस दौरान V IA से भी जुड़े रहे .वरुड में उनकी पैतृक खेती थी, अत: उस पर भी ध्यान देना शुरू किया व साथ में सोशल वर्क भी शुरू रखा . खेती को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाया . इस दरम्यान २००७ में हैद्राबाद की यूनिवर्सिटी आइ.सी.एफ. ए .आई से जुड़े. डॉ. सोनारे को तीन राज्यों की जवाबदारी बतौर रीजनल डेवलपमेंट मैनेजर सौंपी गई. इस संस्था के द्वारा मनेजमेंट के प्रोग्राम प्रमोट करना होता था. २००८ में वे टेक्सटाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया TAI के विदर्भ रीजन के सेकेटरी चुने गए .तत्पश्चात रायसोनी ग्रुप में २०११ से २०१६ तक वाईस प्रेजिडेंट के रूप में सेवाएं दी. २०१६ से विदर्भ के सुप्रसिद्ध शिक्षण संस्थान वंजारी ग्रुप में डायरेक्टर पद पर कार्यरत है. २०१७ में डॉ सोनारे को TAI का नेशनल चैयरमेन चुने गए .२०१७ से २०१९ तक वे पदेन रहे . 

डॉ.हेमंत सोनारे बहुमुखी प्रतिभा के धनी है ,हरित क्रांति के जनक डॉ एम. एस. स्वामीनाथन के साथ उन्होंने युवा एवं किसान संशोधक के अनेक प्रोजेक्ट किये , इंडियन युथ साइंस कांग्रेस का सफल नेतृत्व किया . विदर्भ स्टूडेंट पार्लियामेंट की संकल्पना और एक सशक्त युवा लीडरशिप तैयार करने का उनका अभियान गत चार वर्षो से जारी है जिसमे उन्हें भारी प्रतिसाद भी मिल रहा है. "डिसेबिलिटी टू एबिलिटी"अभियान के तहत विकलांग बंधुओ के समग्र उत्थान हेतु अनेक तरीको से वे सक्रिय है ,कारगृह में कैदियों को मुख्य धरा से जोड़ने हेतु वे कार्यरत है ,कला के क्षेत्र में "अक्षर सुधार "के तहत अनेक शालाओ में सेमिनारों का आयोजन ,धार्मिक क्षेत्र में हर वर्ष साईबाबा पालखी उत्सव का आयोजन ,क्रिडा क्षेत्र में महाराष्ट्र चेस(शतरंज) एसोसिएशन के पूर्व निदेशक रहते हुए अनेक शालाओ में "Chess in Schools" प्रोग्राम के तहत चेस (शतरंज) को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान ,महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में विदर्भ की करीब ४००० महिलाओ को गांव गांव जाकर कंप्यूटर के माध्यम से शिक्षित करना डॉ.हेमंत सोनारे की उपलब्धियों में से एक है .युथ एम्पावरमेंट ,युथ लीडरशिप,करियर डेवलपमेंट व उद्योजकता विकास के विभिन्न प्रोजेक्ट वे निरंतर सक्रीय है.    

विदर्भ की सामाजिक आर्थिक क्रांति का अग्रदूत  " कॉटन विदर्भ "
डॉ हेमंत सोनारे " कॉटन विदर्भ " संस्था के अंतर्गत विदर्भ के कृषकों ,युवाओं के सर्वांगीण विकास हेतु दूरगामी लक्ष्य के साथ एक ऐसे प्रोजेक्ट पर निरंतर कार्य कर रहे हैं .जिससे कृषको की आत्महत्या, युवाओं के रोजगार व गांव की समृद्धि के लक्ष्य को सुनियोजित तरीके से हासिल किया जा सकता है .विदर्भ भारत का सर्वाधिक कपास उत्पादक क्षेत्र है ,यहाँ कॉटन की उत्पादकता ,गुणवत्ता का सुधार कर टेक्सटाइल वैल्यू चैन निर्मित करना याने जिनिंग ,प्रेसिंग,विविंग से लेकर फैशन के अंतिम छोर तक विदर्भ के कृषकों को ले जाना " कॉटन विदर्भ " का दिवास्वप्न है . डॉ हेमंत सोनारे  FARM TO FASHION  के अभियान में राष्ट्रीय ,अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से आगे बढ़ रहे है .

आज भारत का कॉटन अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में लगभग ७ % सस्ते दर पर बिक रहा है जबकि विदर्भ के कॉटन की गुणवत्ता बेहतर है और विदर्भ के कॉटन को वैश्विक बाजार में मानक स्तर उपलभ्ध हो सकता है और विदर्भ का कृषक को सही मायने में पुनः राजा बन सकता है .साथ ही विदर्भ का कृषक को आत्महत्या के भवर से बाहर निकाला जा सकता है यह विश्वास डॉ सोनारे को है . कॉटन विदर्भ के महत्तम उपक्रम “लेबोरेटरी ऑन व्हील” के तहत कृषक के खेत तक जा कर आधुनिक तंत्र ज्ञान के साथ सभी आयामों से अवगत कराया जा रहा है.    

डॉ.हेमंत सोनारे बताते है कि विदर्भ की सबसे बड़ी फसल कपास है कपास 'सफ़ेद सोना ' कहलाता है व इसका पौधा 'कल्पतरु' है फिर भी हम दुनिया की पंक्ति में सब से आखिरी नंबर पर है .हमारे यहां का किसान गरीब और उनका परिवार बेरोजगार है.आज विदर्भ में कपास उत्पादन प्रति हेक्टर ३०० किलो ,सम्पूर्ण राष्ट्र में ५०० किलो,तो ऑस्ट्रेलिया में २१०० किलो औसतन है.आज विदर्भ में कपास की ३५ लाख गठान पैदा होती हैं, जिसमे मात्र ७ लाख गठान यहाँ प्रोसेस होती है व शेष बाहर जाती है.

कॉटन विदर्भ के महत्तम उपक्रम “लेबोटरी ऑन व्हील” के तहत कृषक के खेत तक जा कर आधुनिक तंत्र ज्ञान के साथ सभी आयामों से अवगत कराया जा रहा है. विदर्भ की नववारी साड़ी एवं कॉटन आधरित कपड़ो को पुनः प्रतिस्थापित करना , विदर्भ में टेक्सटाइल पार्क,टेक्सटाइल यूनिवर्सिटी की स्थापना ,कॉटन विदर्भ की प्राथमिकता है . “थिंक ग्लोबली ॲक्सट लोकली” के मूल मन्त्र के साथ डॉ सोनारे प्रयासरत है .

हर गांव में कॉटन इकोनॉमिक्स

डॉ सोनारे का स्वप्न है कि विदर्भ के हर गांव में कॉटन इकोनॉमिक्स उन्नत हो कपास की खेती से फ़ैशन तक का सफर हर गांव में ही हो ताकि हर गांव उन्नत व प्रगतिशील बने इसके लिए कृषि की वैज्ञानिक पद्धति,हथकरघा व हस्तकला को पुन: जिवंत करना ,कपास के अवशेष के उद्योगों की स्थापना ,वस्त्र निर्माण उद्योगों की स्थापना और वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता के साथ उत्पादों का विपणन करना होगा .आज विदर्भ का कपास औसतन ४०००/-  क्विंटल है जबकि मात्र एक शर्ट ३००० /- तक बिकता है डॉ सोनारे कहते है की कॉटन इकोनॉमिक्स लाते है तो यह मूल्यवर्धित स्थिति का लाभ विदर्भ के किसान को प्राप्त हो सकता है और विदर्भ का पुराना वैभव वापस आ सकता है.विदर्भ में पहले करीब १४००० के लगभग हेंडलूम्स थे आज करीब ५०० रह गए है " कॉटन विदर्भ " इस दिशा में भी काम कर रहा है ताकि हतकरघा हस्तशिल्प को पुनर्जीवित कर ग्रामीण विदर्भ में स्वरोजगार के नए आयाम स्थापित हो सके. 

Pradip Padole

संघर्ष नहीं तो सफलता नहीं के मूल मन्त्र को आत्मसात कर शून्य से शिखर तक की यात्रा का जुझारू व्यक्तित्व.महाराष्ट्र इंजीनियर्स एसोसिएशन के संस्थापक,भंडारा जिला भाजपा अध्यक्ष,तुमसर नगर परिषद् अध्यक्ष

अण्णा हजारे प्रणित-भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन न्यास प्रदेश अध्यक्ष,रेडक्रास सोसाइटी .जे.एफ.के आजीवन सदस्य 

साइकिल की दुकान पर पंचर बनाने वाला व्यक्ति देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा के भंडारा जिला अध्यक्ष के साथ साथ तुमसर नगर परिषद् के अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन होता है तो इसके पीछे उसकी लग्न, निरंतर काम करते रहने की प्रवृत्ति, समाज प्रेम, देशप्रेम, सर्वधर्मसम्भाव, स्वतंत्रता, समता, न्याय, बधुत्व तथा मानवता जैसे शब्दों की अहम भूमिका है। तुमसर नगर परिषद् के नगराध्यक्ष तथा भंडारा भाजपा जिला अध्यक्ष इंजीनियर प्रदीप पडोले ने एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर तुमसर में जो अपनी पहचान बनायी है, उसके पीछे उनके बहुआयामी व्यक्तित्व का अहम योगदान है। 

देश के पूर्व प्रधानमंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की 80 प्रतिशत समाजसेवा तथा 20 प्रतिशत राजनीति को महत्व देने वाले प्रदीप पडोले ने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री जरूर ली, लेकिन उनका लक्ष्य दूसरा ही था।भंडारा जिले के अंतर्गत आने वाले तुमसर में २३ जनवरी, १९७० का जन्म को मोतीराम पडोले तथा अंजनाबाई के घर हुआ ,प्रदीप पडोले ने अपने जीवन को संघर्ष से चमकदार बनाया। अपनी नज़रों में सदा नई दिशा रखने वाले प्रदीप पडोले ने गरीब परिवार में जन्म लिया, लेकिन अच्छी शिक्षा ग्रहण करने के कारण उन्होंने एक अच्छा मकाम प्राप्त कर लिया। प्राथमिक शिक्षा के दौरान प्रदीप पडोले को धनाड्य वर्ग के बच्चों द्वारा की गई उपेक्षा का सामना भी करना पड़ा। महज पांच वर्ष की आयु में अपने पिता मोतीराम पडोले को खो देने वाले प्रदीप पडोले की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां अंजनाबाई, दो बड़े भाई शिवशंकर तथा दिलीप पर आ गई।  

जीवन के उत्कर्ष में मां की अहम भूमिका
गरीबी और संघर्ष के बीच जीवन-यापन करने वाले प्रदीप पडोले की अब तक की सफलता में उनकी मां अंजना बाई का अहम योगदान रहा है। बचपन में पिता के देहांत के बाद मां ने पिता की भी भूमिका निभाई। प्राथमिक शिक्षा के दौरान आने वाली सभी परेशानियों को दूर करने में मां की द्वारा निभाई गई भूमिका को प्रदीप पडोले अभी तक भूले नहीं हैं। भंडारा भाजपा जिला अध्यक्ष या फिर तुमसर नगर परिषद् के नगराध्यक्ष समेत अन्य सभी पदों की जिम्मेदारी निभाते वक्त अपनी मां तथा परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में अग्रणी रहने वाले प्रदीप पडोले में देशप्रेम, समाज सेवा, मानवतावादी दृष्टिकोण का भाव उनकी मां के कारण ही आया है। समाज के गरीबी तबकों के प्रति दया का भाव भी उनमें उनकी मां के कारण ही आया है। गरीब तथा जरूरतमंद लोगों की मदद हो या फिर किसी दुखयारी महिला द्वारा लगायी गई गुहार हो, सभी ओर ध्यान देकर उनकी समस्या के निराकरण की प्रवृत्ति यह सब कुछ मां द्वारा दिए गए अच्छे संस्कारों का ही नतीजा है। प्रदीप पडोले की मां ने २० वर्ष बीडी बांधने का काम किया है। प्रदीप पडोले बताते हैं कि उनकी मां चाहती थी कि उनके बच्चों को कहीं मोल मजदूरी न करनी पड़े और वे वे पढ़ लिखकर दूसरों की मदद करने योग्य बनें। 

शून्य से शिखर  
प्रदीप पडोले यह मानते हैं कि उनके शून्य से शिखर तक पहुंचने में मां के बाद जिनका अहम योगदान रहा है, उनमें उनके दो बड़े भाई शिवशंकर पडोले तथा दिलीप पडोले ने भी अहम भूमिका निभाई है।एक अति साधारण परिवार की संतान के रूप में प्रदीप पडोले ने अपनी स्कूली शिक्षा शुरु की। पहली से चौथी कक्षा तक की पढ़ाई ढंगारे प्राथमिक विद्यालय तुमसर से पूरी करने के बाद पाचवीं से १२ वीं कक्षा तक की पढ़ाई आर. एस. जी. के अग्रवाल कॉलेज तुमसर से पूरी करने के बाद गर्वनमेंट कॉलेज साकोली से १९९२ में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इंजीनियरिंग की डिग्री मिलने के बाद प्रदीप पडोले ने कला संकाल में दाखिला लिया और राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा रोजगार का माध्यम बने इस बात को बड़ी बुलंदी से कहने वाले प्रदीप पडोले १९९५  में सरकारी कांट्रैंक्टर बने। सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी के बाद भी जब प्रदीप जी को रोजगार नहीं मिला तो उन्होंने कई वर्षों तक साइकिल की दुकान में पंचर बनाने का काम किया। काम करने की लगन के कारण खुद का व्यवसाय शुरु करने का साहस प्रदीप पडोले में आया और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कई बार उनके समक्ष भूखे रहने की नौबत भी आई, पर प्रदीप पडोले दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे

महाराष्ट्र इंजीनियर्स एसोसिएशन
बेरोजगार अभियंताओं के उत्थान के लिए तथा स्वाभिमानी जीवन जीने के लिए इंजीनियरों को जागृत करके अनेक आंदोलन किए तथा महाराष्ट्र इंजीनियर्स एसोसिएशन की स्थापना की। इस एसोसिएशन के सदस्य के रूप में कुछ समय तक काम करने वाले प्रदीप पडोले वर्तमान में महाराष्ट्र इंजीनियर्स एसो. के अध्यक्ष तो हैं, साथ ही पडोले जी स्नेही इंजीनियर्स एसो. के भंडारा जिला उपाध्यक्ष भी हैं। सन् १९९२ में जिस इंजीनयर्स एसो. में केवल छह हजार इंजीनियर थे, इस एसो. में वर्तमान में ६० हजार इंजीनियरों का समावेश है। इंजीनियर्स एसो. हर साल १ .५ करोड़ रुपए का रजिस्ट्रेशन तथा १ करोड़ रूपए का काम दिलवा कर बेरोजगार अभियंताओं के जीवन में स्थिरता तथा खुशी का संचार किया है। इंजीनियर्स एसो. का कामकाज ३२ जिलों में प्रदीप पडोले के कारण फैला हुआ है। राज्य सम्मेलन, विरोध कार्यक्रम तथा १९९९ में शीतकालीन अधिवेशन के दौरान अभूतपूर्व राज्यस्तरीय मोर्चा निकाला गया, जिसमें विदर्भ की जिम्मेदारी प्रदीप पडोले को सौंपी गई। मोर्चे में इंजीनियर्स एसो. की कई मांगें स्वीकार कर ली गईं।   
बावनथड़ी संघर्ष समिति तुमसर के अध्यक्ष रह चुके प्रदीप पडोले ने प्रकल्पग्रस्त बरोजगार संघर्ष संमिति भंडारा जिला के मुख्य सलाहकार की जिम्मेदारी संभाल चुके प्रदीप पडोले अण्णा हजारे प्रणित भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन न्यास के सदस्य की जिम्मेदारी निभा चुके प्रदीप पडोले १९९५ में भंडारा गोंदिया संयुक्त जिले के उपाध्यक्ष बने, इसके बाद १९९७ से २००३ में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई। २००३ से २००५ तक प्रदेश कार्याध्यक्ष रहे, उसके बाद २००५ से प्रदीप पडोले प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा को प्रगति का मूलाधार मानने वाले प्रदीप पडोले को भंडारा जिला भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी के साथा साथ तुमसर नगर परिषद् के अध्यक्ष की भी कुर्सी मिली हुई है। 

राजनीति में प्रवेश
बहुजन समाज के एक परिवार में टिकट कलैक्टर पिता तथा एक सामान्य ग्रहणी माता की संतान प्रदीप पडोले ने बहुजन समाजवादी पार्टी की टिकट पर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी जंग में उतर कर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरु की। स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की चुनावी जंग में डेढ लाख किलोमीटर क्षेत्र का दौरा करके प्रदीप पडोले ने जो व्यापक जनसंपर्क बनाया, उससे वे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार नितीन गडकरी को अच्छी खासी टक्कर दी, इसका नतीजा यह हुआ कि नितीन गडकरी ने प्रदीप पडोले को भाजपा में आने का निमंत्रण दे दिया, जिसे प्रदीप पडोले ने सहर्ष स्वीकार किया। भाजपा में प्रवेश के बाद संगठन में कई पदों पर काम करके प्रदीप पडोले ने यह संकेत दे दिया कि वे उनको दी गई हर जिम्मेदारी को बड़ी अच्छी तरह से निभाते हैं, शायद यही कारण है कि उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए कुछ वर्ष पूर्व प्रदीप पडोले को भंडारा भाजपा जिला अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई। विधायक बनने की इच्छा रखने वाले प्रदीप पडोले सन् २००९  से लगातार विधानसभा चुनावी जंग में उतरना चाहते हैं, २०१९  में होने वाले विधानसभा से प्रदीप पडोले को टिकट मिलने की पूरी उम्मीद है।

समूचे तुमसर का विकास करना हमारा उद्देश्य
भंडारा भाजपा अध्यक्ष तथा तुमसर नगर परिषद् के नगराध्यक्ष प्रदीप पडोले कहते हैं कि तुमसर नगर परिषद् ११  प्रभागों में भले ही बंटी हो लेकिन हमारा उद्देश्य केवल विभाग निहाय विकास न होकर पूरे तुमसर शहर का विकास करना है। तुमसर नगर परिषद् को विभिन्न योजनाओं से निधि भले ही प्राप्त हो रही हो, तो भी सरकार की ओर से दी गई शर्तो तथा सूचनाओं का पालन करते समय नगर परिषद के लिए जरूरी यथा जलापूर्ति योजना की देखभाल तथा मरम्मत का खर्च, शहर के खराब रास्तों की मरम्मत करना, अस्तित्व में रहने वाले बगीचों की देखरेख का खर्च के अलावा वाहन की देखरेख तथा मरम्मत का खर्च विभिन्न योजनाओं के तहत प्राप्त निधि में करना संभव न होने के कारण यह पूरा खर्च नगर परिषद् को ही करना पड़ा है। सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्राप्त निधि से प्राथमिक स्तर पर विकास कार्यों का नियोजन किया गया है, इसके अलावा शहर के सुंदरीकरण, शैक्षणिक परिसर को विकसित करने नागरिकों को मूलभूत सेवा उपलब्ध कराने तथा सुविधाएं देने पर लगातार जोर दिया गया है।

लगातार मिलता रहा है मुख्यमंत्री का मार्गदर्शन और सहयोग
भंडारा भाजपा जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी मुझे जब दी गई तो मुझे लगा कि मुझे पार्टी ने बेहद महत्वपूर्ण कार्य सौंपा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों बेस्ट नगराध्यक्ष का पुरस्कार जब मुझे प्रदान किया गया और मुख्यमंत्री की ओर से मेरी कार्यों की सराहना की गई तो लगा कि मुझे मेरे द्वारा किए गए कार्यों का ईनाम मिला है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की दूरदर्शी सोच तथा उनके काम तरीका मुझे लगातार प्रेरणा देता रहा है। प्र प्रदीप पड़ोले का कहना है कि मुख्यमंत्री समेत भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर मैं निरंतर भाजपा की ताकत को बढ़ाने में लगा हुआ हूं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र ने पिछले पांच वर्षों में बहुत ऊंची उड़ान भरी है और आने वाले समय में भी राज्य निरंतर प्रगति की ओर बढ़ता ही रहेगा। 

नितीन गडकरी जी का मिला है पग-पग पर सहयोग
नगराध्यक्ष इंजीनियर प्रदीप पडोले ने बेरोजगार अभियंताओं के उत्थान तथा स्वाभिमानी जीवन जीने के लिए उन्हें जागृत करके अनेक आंदोलन किए तथा केंद्रीय मंत्री नितीन जी गडकरी के समक्ष अपनी मांगों की पूर्ति के लिए बड़ी मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा और अंततः इसमें माननीय नितीन गडकरी जी का महत्वपूर्ण सहयोग मिला, इस वजह से अब १.५ करोड़ रुपए का रजिस्ट्रेशन तथा हर वर्ष १ करोड़ रूपए के काम दिला कर अभियंताओं के जीवन में स्थिरता ला दी। सुशिक्षित इंजीनियरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए नितीन गडकरी ने हर संभव मदद की है। भंडारा भाजपा अध्यक्ष का कहना है कि मैं पार्टी की संगठनात्मक रचना के साथ साथ कई विषयों पर नितीन गडकरी जी से मार्गदर्शन लेता रहता हूं और वे सदैव बहुत ही मृदुल भाव से मुझे सहयोग प्रदान करते रहते हैं। पडोले जी कहते हैं कि मेरे राजनीतिक जीवन में मुझे अच्छे काम करने का मार्गदर्शन सदैव ही नितीन जी से मिलता रहता है। इतना ही नहीं नितीन जी प्रदीप पडोले को तुमसर नगर परिषद् की विभिन्न समस्याओं के लिए मार्गदर्शन करते हैं। प्रदीप पडोले कहते हैं कि नितीन गडकरी जी का उन्हें सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं,अपितु जीवन की व्यक्तिगत परेशानियों के निराकरण पर भी वे सलाह देते रहते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं। प्रदीप पडोले जी कहते हैं कि नितीन गडकरी जी मेरे लिए एक आदर्श नेता हैं। महाराष्ट्र के सभी सुशिक्षित बेरोजगार अभियंताओं की नितीन गडकरी जी ने बहुत मदद की है। महाराष्ट्र के सभी सुशिक्षित अभियंताओं का भविष्य नितीन गडकरी जी ने बहुत सुंदर बनाया है, इसके लिए उनका ह्दय से आभार।  

निर्माण कार्य क्षेत्र में किए गए कार्य
1.तुमसर नगर परिषद् को विशिष्टतायुक्त योजनान्तर्गत प्राप्त २ करोड़ रुपए की निधि में से पांच सभागृहों का निर्माण कार्य तथा ४  स्कूल परिसर के विकास कार्य किए गए। मुख्यतः नगर परिषद की जलापूर्ति योजना के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य प्रस्तावित किया गया है।
2. दलित बस्ती सुधार योजनान्तर्गत तत्काल २ .१३ करोड़ रूपए की ४४ काम प्रस्तावित किए गए हैं, शेष नए कार्यों की नियोजन प्रक्रिया शुरु की गई है। 
3. १४ वां वित्त आयोग के अंतर्गत निर्माण कार्य विभाग की ओर से प्राथमिक स्तर पर मटन मार्केट तथा कोषागार कार्यालय के पास दुकान बनाने का नियोजन किया गया है।
4. हरित पट्टा विकसित करने के लिए प्राप्त पचास लाख रूपए की निधि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित उद्यानों को विकसित करने में खर्च करने का निर्णय लिया गया है। मुख्य रूप से इन बगीचों के लिए शहर की खुली जगह का प्रस्ताव रखा गया है। 
5. विशेष रास्ता अनुदान के अंतर्गत प्राप्त ३ करोड़ की निधि से शहर के लगभग ९५ रास्तों तथा नालियों का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है और इसके तहत विकास कार्यों का आरंभ भी कर दिया गया है। 
6. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर बनाने की दृष्टि से पंचवर्षीय योजना सरकारी स्तर पर मंजूर की गई है। इस येजना के लिए लगभग २५२५  लाभार्थियों को लाभ देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, इसके लिए ३.६५ करोड़ रुपए का डीपीआर स्वीकृत हुआ और काम शुरु हुआ। 
7. नागरी सुविधा योजनार्न्तगत २ .२५ करोड़ रूपए की निधि प्राप्त करनी जरूरी थी और इस संदर्भ के कार्यों का नियोजन अच्छी तरह से किया जा रहा है। इस नियोजन से नागरिकों को रास्ते तथा नालियों के रूप में सुविधाएं देने का मानस तुमसर के नगर परिषद के नगराध्यक्ष प्रदीप पडोले ने व्यक्त किया है। 
8. स्वर्ण जयंती शहरी नगरोत्थान महाभियान योजना के तहत जिला स्तर पर सन् २०१७ -२०१ 8 इस वित्त वर्ष के लिए अभी तक विकास निधि प्राप्त हुई है। नगर परिषद् ने अपने स्तर पर १ .८० करोड़ रूपए का नियोजन करने के साथ साथ मुख्य रूप से इस योजना से सदस्यों द्वारा सुझाए गए विकास कार्य किए हैं। 
9. नागरी दलितेत्तर विकास योजना से सन् २०१७ -२०१८  इस वित्त वर्ष के लिए जिला स्तर पर तय किए गए निकर्ष के आधार पर तुमसर नगर परिषद ने १ .४० करोड़ रूपए के विकास कार्य किए हैं, इन कामों में मुख्य रूप से नगर परिषद् सदस्यों द्वारा सुझाए गए रास्तों व नालों के निर्माण कार्य किए गए तथा अन्य प्रस्ताविक कार्य तेज गति से किए जा रहे हैं। 
10. वर्तमान में अल्पसंख्यक ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत कब्रिस्तान के पास के १० लाख रूपए खर्च करके मार्ग विस्तारीकरण का काम किया जा रहा है।(Data till 31AUG 2019) 

जलापूर्ति क्षेत्र में किए गए कार्य
1.तात्कालिक जलापूर्ति योजना के अंतर्गत शहर के जलसंकट युक्त विभिन्न प्रभागों में कुओं का निर्माण करने के लिए १४  लाख रूपए के बजट का प्रस्ताव भंडारा के जिलाधिकारी के समक्ष रखा गया। 
2. नदी तट पर पर्याप्त पानी उपलब्ध न होने के कारण बावनथडी परियोजना से पानी उपलब्ध कराने संबंधी प्रस्ताव तुमसर विधानसभा क्षेत्र के विधायक तथा भंडारा के जिलाधिकारी के पास पेश किया गया। इतना ही नहीं नगर परिषद् के पास इस तरह के पानी उपलब्ध कराने संबंधी २००६  से प्रलंबित पड़े १८  लाख रूपए की निधि भी संबंधी विभाग को प्रदान की गई।
3.नगर परिषद् के लिए योग्य तरीके से जलापूर्ति की जाए, इस दृष्टिकोण से स्वर्ण जयंती शहरी महाभियान योजना के अंतर्गत राज्य स्तर पर जलापूर्ति योजना की मजबूती, नई कुएं, नई पाइप लाइन की डालने, नए पंप लगाने जैसे विकास कार्यों का प्रस्ताव सरकार की ओर से मंजूर कराने के सतत प्रयास किए गए।

स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत किए गए कार्य
1. स्वच्छ महाराष्ट्र अभियान के अंतर्गत प्रोत्साहन अनुदान योजना के तहत शौच मुक्त हुए क्षेत्रों में आर आर बेंचों, पेवर्स लगाकर परिसर के सुंदरीकरण का कार्य प्रस्तावित किए गए। इसी तरह उन क्षेत्रों के तीन स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय की मरम्मत तथा नवीनीकरण किया गया है।
2.  १४ वें वित्त आयोग के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के लिए ५० हाथगाड़ी तथा घंटागाड़ी खरीदी गईं। इसके अलावा ५० कंटेनर, एक्सकवैटर डोजर, कॉम्पेंक्ट व्हैईकेल, व्हैक्यूम एमटीयर खरीदने के लिए १ ,२३ ,७३ ,६१५ रुपए मंजूर कर कार्य पूर्ण किया।
3. १४ वें वित्त आयोग के अंतर्गत के नागरी वनीकरण के अंतर्गत ६१ ,८१ ,७०३ रूपए का प्रस्ताव भंडारा के जिलाधिकारी के पास सरकारी मान्यता के लिए प्रस्तुत किया गया।  

शिक्षा विभाग के अंतर्गत किए गए कार्य
1.  तुमसर नगर परिषद संचालित ९  प्राथमिक स्कूलों में सेमी अंग्रेजी माध्यम शुरु किया गया है। ये सभी स्कूल डिजिटल श्रेणी के हैं। कुछ स्कूलो में रविवार के उपक्रमों तथा ग्रीष्मकालीन शिविरों के माध्यम से विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास करने की कोशिश की जा रही है।
2. नगर परिषद द्वारा संचालित माधवराव पटेल स्कूल, नगर परिषद बिसेन स्कूल, बांगलकर शाला, रामाजी गणेशा स्कूल में केजी की निशुल्क शिक्षा शैक्षणिक सत्र २०१७ -२०१८ से देनी शुरु की गई है। इसके लिए नगर परिषद के शिक्षकों का सहयोग मिल रहा है।  

तुमसर नगर परिषद कार्यालय परिसर में अत्यंत योग्य तरीके से स्वामी विवेकानंद सार्वजनिक वाचनालय संचालित किया जा रहा है। तुमसर नगर परिषद के नगराध्यक्ष प्रदीप पडोले का मानस है कि बाजार परिसर में मुख्य स्थान पर ई वाचनालय शुरु किया जाए और शीघ्र ही इस परियोजना के तहत काम शुरु होने की पूरी उम्मीद है।

प्रधानमंत्री कौशल्य विकास कार्यक्रम HDFC बैंक तथा तुमसर नगर परिषद् के संयुक्त सहयोग से तुमसर में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से तुमसर शहर के लगभग ६०० सुशिक्षित बेरोजगार युवकों, युवतियों को पहले चरण में उनकी शैक्षणिक योग्यता और कौशल्य के आधार पर देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए,

ग्रीष्मकाल में जल किल्लत पर कार्य 
हर साल ग्रीष्मकाल में तुमसर की जनता को पीने की पानी समस्या परेशान करती रहती है, ऐसे में इस समस्या का निराकरण करने को नगराध्यक्ष प्रदीप पडोले ने पहले स्थान पर रखा। जल समस्या के समाधान के लिए नगर परिषद प्रशासन ने विशेष उपाय योजना करके शहर में जलापूर्ति योजना को सुचारू करने के लिए जिस प्रभाग में पानी की किल्लत थी, वहां प्रतिदिन टैंकर से जलापूर्ति करने की व्यवस्था की। इसी तरह शहर के जिन कुओं का पानी लेना बंद कर दिया गया था, वहां का पानी शुद्ध करके उसे पीने योग्य बनाया गया। शहर के बोरवेल्स की मरम्मत करके १५०  लोगों को बोरवेल उपलब्ध कराए। कोष्टी तथा माडगी पंप हाउस में शहर को जलापूर्ति करने वाले पंप में तकनीकी गड़बड़ी होने पर शहर में पानी के लिए हाहाकार न मचे, इसके लिए प्रशासन ने दोनों पंप हाऊस में अतिरिक्त पंप की व्यवस्था की है। इन पंपों को भी लोगों की सुविधा के लिए उपलब्ध काराया है। भविष्य तुमसर शहर में पानी की किल्लत न हो, इसके लिए वांगी गांव के कवलेवाडा बैरेज से तुमसर शहर तक पाइप लाइन डालने के बारे में  ४७  करोड़ का DPR तुमसर नगर परिषद् ने तैयार कर उसे सरकारी मंजूरी मिल चुकी है। शहर की जल समस्या का समाधान का काम ७०  प्रतिशत पूरा हो गया है और आने वाले पांच माह में शहर की जल समस्या पूरी तरह से हल हो जाएगी। 

संघर्ष नहीं तो सफलता नहीं
तुमसर नगर परिषद् के वर्तमान नगराध्यक्ष की समाजसेवा सन् १९९२ से ही शुरु हो गई थी। १३ वर्षों से तुमसर में निःशुल्क ट्यूशन क्लालेस चलाने वाले युवा भाजपा नेता प्रदीप पडोले का कहना है कि अगर आज की पीढ़ी शिक्षित है तो अगली पीढ़ी भी निश्चित रूप से शिक्षित होगी। २० वर्ष साइकिल की दुकान में पंचर बनाने वाले प्रदीप पडोले का कहना है कि संघर्ष नहीं तो सफलता नहीं, सफलता ही संघर्ष का दूसरा नाम है। तुडका के साईबाबा मंदिर में सन् २००९ से हर गुरूवार को ४०० लोगों को महाप्रसाद दिया जाता है,जबकि तुमसर के गजानन महाराज मंदिर में १२ अगस्त तथा गजानन महाराज का प्रगट दिवस समारोह मनाया जाता है। इसके अलावा जलशुद्धि केंद्र का कैरिफैग्युरेलेटकर शुरु करने, नगर परिषद कार्यालय में नगर परिषद के कर्मचारियों, आने जाने वाले लोगो, विद्यार्थियों तथा उनके पालकों के लिए वाटर फिल्टर की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा नेहरू नगर के लोगों की जल समस्या का समाधान करने के लिए वहां जलापूर्ति करने वाली पानी की टंकी के नीचे RO प्लांट लगाया गया है। मुख्य बाजार को अतिक्रमण मुक्त करने, तुमसर के सभी मुक्य रास्तों पर हाइमास्ट लगाने, पार्किंग की व्यवस्था, नगर परिषद की ओर से निःशुल्क कोचिंग का संचालन, २००० वृक्षों का रोपण, स्वच्छता मुहिम, प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंभ, डोगरला श्मशान घाट को सर्वसुविधायुक्त बनाने, घनकचरा विलीनीकरण, रुपाली नगर मे लाइटिंग की व्यवस्था, नेहरू नगर पानी टंकी का काम, ये सभी कार्य ऐसे हें, जिनसे नगराध्यक्ष प्रदीप पडोले की छवि कार्य सम्राट के रूप में सामने आयी है.

जागरूकता तथा मानवतावादी दृष्टिकोण
राजनीति में अच्छे तथा सुशिक्षित लोगों को आना चाहिए, ऐसी धारणा रखने वाले प्रदीप पडोले ने तेली समाज के नागपुर, चंद्रपुर, अमरावती, भंडारा. गोंदिया, तुमसर में हुए कार्यक्रम में अतिथि के रूप में मंच साझा किया है। सभी धर्मो के लोगों को एक साथ लेकर चलना प्रदीप पडोले ने बचपन में ही सीखा, उसका अनुपालन वे अब भी कर रहे हैं। लायन्स क्लब इंटरनेशनल क्लब के सर्वोच्च पद से सम्मानित एम.जे.एफ. से सम्मानित प्रदीप पडोले इंडियन रेडक्रास सोसाइटी ए.जे.एफ. के आजीवन सदस्य हैं। 

तुमसर नगर परिषद् की ओर से २०१७ से २०१९  तक किए गए कार्य
1.विशेष रास्ता अनुदान योजना ३  करोड़ रुपए।
2. नागरी सुविधा योजना २  करोड़ रूपए।
3. वैशिष्टपूर्ण योजना ( ४ RO प्लांट , राजाराम से कृषि उत्पन्न बाजार समिति तक डिवाइडर, स्ट्रीट लाइट, स्कूल की कक्षओं के निर्माण कार्य के लिए २  करोड़ रुपए।
4. प्रशासनिक इमारत निर्माण कार्य निधि ४ .२५  करोड़ रूपए।
5. पंडित नेहरू विद्यालय निर्माण कार्य निधि २ .२०  करोड़ रुपए।
6. नगर परिषद् बांगलकर विद्यालय निर्माण कार्य निधि एक करोड़ रुपए। 
7. अतिरिक्त जलापूर्ति योजना निधि ४७ .७०  करोड़ रुपए।
8. नागरी दलित बस्ती सुधार योजना निधि २  करोड़ रुपए। 
9. महाराष्ट्र स्वर्ण जयंती नगरोत्थान योजना निधि ६०  लाख रूपए।
10. नागरी दलितेत्तर बस्ती सुधार योजना निधि ३०  लाख रूपए।  
11. नगर परिषद् की मालिकाना हक वाली खुली जगह पर सुरक्षा दीवार निर्माण निधि ७०  लाख रूपए। 
12. भूमिगत गटर निर्माण कार्य ६५ .७५  करोड़ रूपए, तथा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से भूमिगत गटर के लिए ७०  करोड़ रुपए देने की घोषणा की।

नगर परिषद स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं 
नगर परिषद् के स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरु की गई। नगर परिषद् की ओर से संचालित स्कूलों की हालत सुधारने के लिए नगर परिषद् प्रशासन ने प्राथमिक स्तर पर नगर परिषद् संचालित स्कूलों में  KG1,  KG2 की कक्षाएं अंग्रेजी माध्यम से शुरु करने का निश्चय किया, इसके लिए चैरिटी के माध्यम से स्कूल के लिए डैक्स, बेंच, गणवेश तथा अन्य सामग्रियां उपलब्ध कराकर स्कूल का स्तर सुधारने में नगराध्यक्ष प्रदीप पडोले ने सक्रिय भूमिका निभाई है।

बाढ़ पीड़ितों की मदद     
सांगली, सातारा तथा कोल्हापुर में आई बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए तुमसर के कई संगठन आगे आए हैं। लॉयनेन्स मेन क्लब तुमसर नगरपरिषद के नगराध्यक्ष इंजीनियर प्रदीप पडोले की मुख्य उपस्थिति में 
लॉयनेन्स क्लब की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए  जीवनावश्यक वस्तुएं, कपडे, अनाज, कपडे, ब्लैकेट्स, साड़ियां, बरमुडा, टी शर्ट, छोटे बच्चों के कपडे, टॉवेल, खाने की वस्तुएं जैसे बिस्कुट के पैकेट, जीवनावश्यक वस्तुएं, ब्रश, टुथपेस्ट का समावेश है। 

भावी योजनाएं   
तुमसर को स्मार्ट शहर की सूची में शामिल करने की मंशा रखने वाले प्रदीप पडोले का कहना है कि तुमसर में अंडर ड्रेनेंज बनाने की योजना तो है ही, साथ ही तुमसर में अंडरग्राउंड रीवरेज बनाने की भी योजना है। तुमसर को हरा भरा बनाने का प्रयास लगातार जारी है। तुमसर के सर्वागीण विकास योजनाओं का जो खाका प्रदीप पडोले ने खींचा है, उसमें उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में तुमसर को सामने लाने की योजना भी शामिल है, इतना ही तुमसर को एमपीएससी, यूपीएससी स्पर्धा परीक्षा के केंद्र में रूप में भी विकसित करने की प्रदीप पडोले जी की इच्छा है। उद्योग के क्षेत्र में तुमसर को आगे लाने की आकांक्षा रखने वाले प्रदीप पडोले तुमसर की महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति खासे सक्रिय हैं।  

Sadanand Koche.

Ex. Collector (IAS)

Dr. Sunil Gupta

Consultant:Diabetologist M.D.FACE (USA), FRCP (London,Edinburgh & Glasgow), FACP (USA),FICP, FIAMS, FIACM, FDI, FRSSDI 

हौसला,हिम्मत और आत्मविश्वास की अद्भुत मिसाल-डॉ.सुनील गुप्ता विश्वस्तरिय छवि ,गिनीज बुक,लिम्का बुक, जूनियर चेंबर इंन्टरनेशनल द्वारा “The Outstanding Young Person of the World “ (TOYP) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से अमेरिका में सम्मानित व अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

अगर पाना चाहते  हैं  मंजिल ,तो बस एक ' फैसला ' चाहिए |

हर सपने पूरे हो सकते हे ,सिर्फ दिल में ' हौसला ' चाहिए ||

इन पंक्तियों को अक्षरशः साबित करने वाले मध्य भारत ही नहीं बल्कि देश के अग्रणी मधुमेह विशेषज्ञ चिकितकों में शामिल डॉ. सुनील सूरज प्रसाद गुप्ता ने अपने दृढ इरादों, आत्मबल. हौसलों आत्मविश्वास के बलबूते पर सफलता की इच्छित मंजिल को पाकर यह साबित कर दिखाया है कि अगर दिल में जज्बा और जुनून हो तो संम्पूर्ण कायनात आपका साथ देती है। 20 जुलाई 1964 को माता श्रीमती सरोज गुप्ता की कोख से जन्म लेने वाले बालक सुनील के शुरूवाती 1-2 वर्ष बचपन मध्यप्रदेश के आदिवासी बहूल जिला बैतूल की तहसील शाहपूर ग्राम में बीते। प्रारम्भिक शिक्षा वारासिवनी (बालाघाट) में मेन प्राथमिक शाला स्कूल में पूर्ण हुई व बालक मंदिर व कक्षा पहली से पांचवी तक उनकी पढ़ाई हिंदी माध्यम में हुई कुशाग्र बुद्धि सुनील की विशेषता रही कि वे हर कक्षा में अव्वल श्रेणी में ही उत्तीर्ण होते थे । पिताजी श्री सूरज प्रसाद गुप्ता शंकरराव पटेल महाविद्यालय में प्राचार्य थे. अतः घर मे शैक्षणिक वातावरण मिला। नागपुर में रहने वाले सुनील के नानाजी श्री हरिश्चन्द्रजी. उनकी नानीजी श्रीमति रामबाई व मामाजी श्री चंदन कुमार गुप्ता ने सुनील को नागपुर लाकर निर्णय लिया कि अब उसे यहीं पढ़ाएंगे ताकि वह उच्च शिक्षा ले सके। सुनील की उम्र उस वक्त केवल 11 वर्ष की थीं। मामाजी ने उसे सेंट जॉन्स हॉयस्कूल में कक्षा छठवी में प्रवेश दिला दिया, लेकिन बालक सुनील के लिए एक बड़ी दुविधा उत्पन्न हो गई क्योंकि हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले सुनील की अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में अब पढ़ना था. जबकि सुनील को उस वक्त ABCD लिखना पढ़ना भी नहीं आता था।

नई चुनौती ने कर दिया विचलित 

यह अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है कि जिस विद्यार्थी ने कभी अंग्रेजी की ABCD ही न सीखी हो, उसे कभी अंग्रेजी की पुस्तकों से सामना करना पड़ेगा तो उसकी क्या हालत होगी? पुस्तके पढ़ना तो दूर उसके बाद परीक्षा के प्रश्नपत्रों को भी समझ कर उसके उत्तर भी अंग्रेजी में लिखना होंगे यह सब सोचकर ही सुनील के माथे पर बल पड़ गए। हमेशा हर कक्षा में प्रथम आने वाले इस बालक की चिंता यकीनन स्वाभाविक ही थी। माँ ने हौसला दिया बेटा मैं तुझे घर में ही अंग्रेजी सिखाऊंगी, चिंता मत कर। डॉ. सुनील गुप्ता अतीत के पृष्ठ पलटते हुए कहते है कि सुना था हर बालक की प्रथम गुरू माँ होती है, यह बात मुझे उस वक्त पता चली जब मेरी माँ ने अप्रेल-मई 1975 तक मुझे घर में ही ABCD से लेकर अंग्रेजी का बेसिक ज्ञान देना शुरू कर दिया। संयोग से स्कूल की क्लास टीचर मिस एलियास ने मेरी इस परेशानी को देखते हुए मेरा हौसला अफजाई की और मेरी अकेले की ट्यूशन लेना शुरू कर दिया। आगे चलकर मैने न माँ को निराश किया और न ही टीचर को क्योंकि मैंने कक्षा छठवीं में पुनः प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद कक्षा दसवीं तक मेरी सफलता का यही क्रम बरकरार रहा। डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि जिस वक्त में कक्षा नौवी में था. उस वक्त स्कूल में मुझे विभिन्न स्पर्धाओं में नौ अवार्ड हासिल हुए।

मेडिकल क्षेत्र की राह का चुनाव

डॉ. सुनील गुप्ता अपना बाल्यकाल याद कर बताते है कि बात उन दिनों की है, जब मैं टिमकी क्षेत्र में नानाजी के घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा था। पढ़ाई के साथ-साथ मैं अपने नानाजी की अनाज की दुकान में हाथ बंटाता था। दरअसल, मेहनत करना मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता था। 11 वीं व 12 वीं कक्षा के लिए सिंधू महाविद्यालय में प्रवेश लिया। अंग्रेजी का भय पुनः एक बार सताने लगा। क्योंकि दसवीं तक भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, जीवशास्त्र, अंकगणित व बीजगणित पढने वाले सुनील को अब एकाएक 11 वीं में Physics, Chemistry, Biology, Algebra, और Geometry अंग्रेजी में पढ़ना जरूरी हो गया। "किंतु इस दौरान मैं हर चुनौतियों का सामना करने के लिए पूर्णतः सक्षम को चुका था।" वे अपने महाविद्यालय की स्मृतियों को ताजा करते हुए आगे कहते हैं कि 11वीं व 12वीं में मेरा 1st रैंक बरकरार रहा। 12 वीं कक्षा में मैं जिस वक्त अध्ययन कर रहा था। उस वक्त महाविद्यालय का वार्षिक समारोह आयोजित किया गया इस समारोह में ज्युनियर व सीनियर कॉलेज की साथ में स्पर्धा रहती थी। इस स्पर्धा में सुनील को पूर्ण महाविद्यालय के सबसे Prestigious "The Best Student Award" से सम्मानित किया गया कॉलेज में उन्हें प्रोत्साहित करने में डॉ. आर. बी. सिंह व डॉ श्याम वर्धन व अन्य अध्यापकों का विशेष सहयोग रहा। फिर 1982 में उन्हें इंदिरा गांधी मेडीकल कॉलेज में प्रवेश मिला और अंततः डॉ. सुनील ने मेडिसिन में एम. डी. की डिग्री हासिल की।

मेहनत की कमाई से माता -पिता को बांटी खुँशिया  

डॉ. सुनील गुप्ता के हृदय में अपने माता - पिता के प्रति श्रद्धा व आदरभाव काफी कूट-कूट कर भरा है। उनका मानना है कि माता-पिता का आशीर्वाद जिसके सिर पर हो, वह जीवन की हर वांछित सफलता पा सकता है। हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह माता - पिता की न केवल सेवा करे बल्कि उन्हें खुशियाँ भी बाटे। वे एक घटना को याद करते हुए कहते हैं की जब मैं M.B.B.S हो गया तो इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (मेयो) में इंटर्नशिप के साथ अनुभव हेतु 2 अन्य अस्पतालों में मिलाकर 8-8 घंटे की तीन डयुटी करते थे। जहाँ मेहनत के रूप में हर माह 400/- रूपये प्राप्त होते थे। अर्थात 24 घंटे ड्यूटी के हिसाब से 1200/- रूपये प्रति माह मिलते थे उनकी बपचन से ही पैसा जमा करने की आदत थी। दरअसल, डॉ. गुप्ता की हार्दिक इच्छा थी कि वे अपने जमा किए गए पैसो से माता-पिता की शादी की 25th सालगिरह मनाए। अंततः वर्ष 1987 में डॉ. सुनील गुप्ता ने एक सरप्राइज देते हुए अपने माता -पिता की शानदार सिल्वर जुबीली सालगिरह मनाई. लोग मातृ-पितृ भक्ति देख स्तब्ध रह गए। वहीं, माता-पिता की आँखों से खुशी के आंसू बह निकले।

और शुरू कर दी डायबिटीज की प्रैक्टिस 
MBBS व M.D. होने तक सिर्फ साइकिल से सफर करने वाले डॉ. सुनील गुप्ता भले ही आज देश के अग्रणी मधुमेह विशेषज्ञ है. लेकिन यहाँ पहुंचने तक का उनका सफर काफी संघर्षों से भरा व प्रेरणादायी भी रहा है। सन 1988 की एक अविस्मरणीय घटना को स्मरण करते हुए वे बोलते है कि मैं उस वक्त मेयो हॉस्पिटल में था, तब एक अनजान पेशंट को कोमा की हालत में भर्ती कराया गया। यह मरीज ट्रेन में सफर के दौरान जहरखुरानी का शिकार हो गया था विशेष बात यह थी कि इस मरीज के साथ कोई भी परिजन या परिचित नहीं थे। डॉ. सुनील गुप्ता ने अपनी मानवता का परिचय देते हुए अन्य मरीजों की तरह ही इस कोमा में आये अनजान मरीज की सतत 8-10 दिनों तक सेवा की व उपचार किया और इसके बाद उसकी जान बच गई। कहते है. डॉक्टर भगवान का रूप होता है और यह बात वाकई उन्होंने सिद्ध कर दिखाई। 1990 में M.D. होने के बाद 15 अगस्त सन 1991 को डॉ. सुनील गुप्ता ने खुद की प्रैक्टिस टिमकी में अपने नानाजी के घर में शुरू की। 20 नवंबर 1992 में डॉ. सुनील गुप्ता का विवाह कविता गुप्ता से हुआ। श्रीमती डॉ. कविता गुप्ता इस वक्त सुनिल्स डायबिटीज केयर एंड रिसर्च सेंटर में डायरेक्टर व एज्युकेटर है। इसके बाद 1993 में देश में मधुमेह का भीष्म पितामह कह जाने वाले मुंबई के मधुमेह तज्ञ डॉ. एस. एस आजगाँवकर के आशीर्वाद के साथ उनके बेटे डॉ. विजय आजगाँवकर एवं डॉ. एच बी. चंदालिया, डॉ. दीपक दलाल व डॉ. सुरेश मेहतालिया, के मार्गदर्शन में डॉ. सुनील गुप्ता ने मुंबई में मधुमेह चिकित्सा की करीब एक वर्ष तक ट्रेनिंग ली। 1993 मे आजगांवकर ने डॉ. सुनील गुप्ता को सलाह दी कि वे अमेरिका जाएँ और वहाँ भी मधुमेह की ट्रेनिंग ले। डॉ. सुनील गुप्ता ने अमेरिका के वीजा के लिए निवेदन किया तो उनका आवेदन रद्द हो गया। पुनः दो बार और निवेदन किया और सभी आवेदन रद्द हो गये। इस पर क्षुब्ध होकर डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा कि अब वे अमेरिका कभी नहीं जायेंगे, तो डॉ. आजगाँवकर ने कहा धैर्य रखो, एक दिन ऐसा आएगा. जब तुम्हे खुद अमेरिका से बुलावा आएगा, मधुमेह विशेषज्ञ की ट्रेनिंग के पश्चात् शहर आने पर 15 अगस्त 1994 को नागपुर के मानसिक रोग तज्ञ डॉ. गोविन्द बंग की मदद से राधा पॅलेस धंतोली में "डायबिटीज केयर सेंटर" प्रारंभ किया जिसका उदघाटन डॉ. सुनील गुप्ता के मार्गदर्शक डॉ. विजय आजगाँवकर व डॉ. एस. एम पाटिल के हस्ते हुआ। उद्घाटन के दिन ही आहार - प्रदर्शनी व मधुमेह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर इस अभियान की नींव रखी गई। .

शुरू किया भव्य हॉस्पिटल व् रिसर्च सेंटर

13 वर्षों के कठिन परिश्रम के पश्चात् जगह कम पड़ने के कारण 15 अगस्त 2007 में 42. लेंड्रा पार्क, रामदासपेठ इलाके में 3 मंजिला हॉस्पिटल 'सुनिल्स डायबिटीज केयर एंड रिसर्च सेंटर नाम से शुरू किया। इस हॉस्पिटल का शुभारंभ माननिय श्री. नितिन गडकरी (वर्तमान केंद्रीय मंत्री) के हस्ते किया गया विगत 26 वर्षों से डॉ. सुनील गुप्ता अब तक अपनी प्रैक्टिस से दौरान हजारो मधुमेह पीड़ितो की आशा की किरण बने हुए है इस हॉस्पिटल की एक मंजिल पर मधुमेही व उनके रिश्तेदारों की जागरूकता हेतु नियमित शिक्षा सत्र पूर्णतः निशुल्क दिया जाता है। हेलो डायबिटीज के प्रमुख जागरूकता अभियान है, जिसे काफी ख्याति प्राप्त है। आज डॉ. सुनील गुप्ता का नाम संपूर्ण देश व दक्षिण एशिया में प्रेगनेंसी डायबिटीज के निदान के लिए जाना जाता है। ज्यूनियर चेंबर इंटरनेशनल (JCI) द्वारा उन्हें 2001 में “The Outstanding Young Indian Award"(TOI) प्राप्त हुआ तत्पश्चात्, 2002 में डॉ. सुनील गुप्ता को "The Outstanding Young Person of the World'(TOP) से लॉस वेगास अमेरिका में सम्मानित किया गया अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस अवॉर्ड से अब तक अमेरिका के 07 राष्ट्रपतियों व जैकी चेन, माइकल जैक्सन जैसी हस्तियों को पूर्व में सम्मानित किया जा चुका है 123 देशों से चयन प्रक्रिया द्वारा 10 श्रेणियों में 40 वर्ष से कम उम्र के विश्व के केवल 10 व्यक्तियों की इस अवॉर्ड से नवाजा जाता है।

यह अवॉर्ड पाने के लिए डॉ. सुनील गुप्ता को जब अमेरिका से बुलावा आया तो डॉ. आजगाँवकर की वह बात सही साबित हुई जब कभी उन्होंने कहा था कि एक दिन तुम्हें खुद अमेरिका वाले स-सम्मान बुलाएंगे। डॉ. सुनील गुप्ता बताते हैं कि मजेदार बात यह रही कि जब वे उक्त अवॉर्ड पाने के लिए वीजा के लिए आवेदन करने गए तब फिर एक बार मेरा आवेदन रद्द हो गया। बाद में अमेरिका एम्बेसी ने अपनी भूल का अहसास करते हुए अमेरिका का वीजा, स-सम्मान उन्हें आमंत्रित करके जारी किया।

आज 15 अगस्त 2020 तक डॉ. सुनील गुप्ता विगत 26 वर्षों में 2040 कार्यक्रम कर चुके है. अर्थात् हर 5 से 6 दिनों में डायबिटीज एजुकेशन का एक प्रोग्राम आयोजित करते है। उनके इस कार्य में उनके माता - पिता के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती डॉ. कविता गुप्ता, छोटे भाई संगीत गुप्ता, बड़े बेटे श्लोक व छोटे बेटे स्वर का पूरा सहयोग मिलता है। विभिन्न स्कूलों, संस्थाओं के साथ ही गांवों व शहरों तक डॉ. सुनील गुप्ता मधुमेह की जनजागृति में अनवरत जुटे हुए है। जनवरी 2001 में उन्होंने देश की पहली व सबसे बड़ी मधुमेह रैली निकाली थी, जिसमें 30 हजार से अधिक मधुमेही शामिल हुए थे। वैसी ही रैली का आयोजन 2014 में भी उन्होंने किया। डॉ. सुनील गुप्ता खुद व उनका परिवार संगीत प्रेमी है उनका मानना है कि संगीत से व्यक्ति को जो सुकून मिलता है, वह अन्य किसी विधा से नहीं मिलता है। डॉ सुनील गुप्ता की सराहनीय व उत्कृष्ट सेवाओं का प्रतिफल है कि आज उन्हें 'लिमका बुक ऑफ रिकार्ड", "विदर्भ गौरव पुरस्कार (2006) के साथ ही "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित" किया जा चुका है

इसके अलावा उन्हें 2019 में "The Outstanding Services to Diabetes India" award, "Best Diabetes Education Program in India"(2017 & 2014). "Ranjeet Deshmukh Central India Doctor's award in Academic Category "(2015), "Sun-Rise Peace : Vaidyakiya Shiromani Puraskar"(2015), 1 Global Nagpur Award (2014), ICONS of Nagpur, Young Achievers Award, 20132014 Vaidya- Vibhushan Award (2000), International President Award for Diabetes Education (1995&2001) से भी सुशोभित किया गया। मध्य भारत के लिये यह गर्व की बात है कि सुनील डायबिटिज केअर अॅन्ड रिसर्च सेंटर, को विश्व में मधुमेह की सबसे बड़ी संस्था International Diabetes Federation (IDF) ERT "The IDF Centre of Education" & "The IDF Centre of Excellence in Diabetes Care" (2017) से नामांकित किया गया है।डॉ. सुनील गुप्ता शायद मध्यभारत के एकमात्र चिकित्सक है जिन्हें विश्व की 5 सर्वाधिक गौरवपूर्ण फेलोशिप से अलंकृत किया गया । वे फेलोशिप है :-* Fellow of American College of Endocrinologist (FACE)  * Fellow of American College of Physician (FACP)  * Fellow of Royal College of Physician (FRCP, London) * FRCP (Edinburgh)  *FRCP (Glasgow) एवं 6 National Fellowships, 14 National Orations &3 Presidential Oration से पुरूस्कृत होने का सौभाग्य प्राप्त है। उनके 194 रिसर्च पेपर अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय Journals में Articles, Abstract व Book Chapter के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें Diabetes In Pregnancy Study Group In India (DIPSI) का 2021 राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया हैं। सुनिल्स डायबिटीज केयर एंड रिसर्च सेंटर प्रा. लि. के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं डायबिटीज केयर फाऊंडेशन ऑफ इंडिया (नागपुर) के फाऊंडर ट्रस्टी व अध्यक्ष, डॉ. सुनील गुप्ता वर्तमान में RSSDI (रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज) के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष है। इसके पूर्व, अकेडेमी ऑफ मेडिकल सायन्सेस (AMS), डायबिटीज असोसिएशन ऑफ इंडिया (DAI) व IMA-AMS (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन - अॅकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटी) नागपुर के अध्यक्ष रह चुके है। उसी तरह IMA-AMS (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अॅकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटी) के Zonal Chairman मी रह चुके हैं।

हेलो डायबिटीज की मधुमेह जागरूकता अभियान की शृंखला में ऑल इंडिया रेडियो (मुंबई) द्वारा उन्हें सफरनामा कार्यक्रम में साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया गया उसी तरह एवं नागपुर आकाशवाणी में पिछले 15 वर्षों से जीवन के रंग मधुमेह के सग व हेलो डॉक्टर कार्यक्रम के माध्यम से आज भी वे उसके अभिन्न अंग है। उनकी न्यूज व लेख अमेरिका के New York Times, से लेकर देश की India Today Magazine में भी प्रकाशित हो चुके है उनके माधुर्य पूर्ण  स्वभाव के लिए उन्हें लोग "शुगर-नील" अर्थात शुगर को Nil करने वाला सुनील नाम से परिचित करवाते है ।

 

Sunil’s Diabetes Care n’ Research Centre (DCRC) is a core of excellence for the people with diabetes from the last 20 years offering best in class services, facilities and expertise along with educational opportunities and spreading mass awareness ….”A Complete and committed Diabetes Care all under One Roof ”.

DCRC, is renowned in India for its pioneering endeavor in Diabetes Education, treating above 30000 people with diabetes and educating lakhs of people all over the world, making them self dependent.

Other Links :

Dr. Sameer Arbat

MD Pulmonology Fellowship in Interventional Pulmonology, Ancona, Italy

नागपुर के युवा इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. समीर अरबट ऐसे पहले डॉक्टर हैं जिनके पास मध्य भारत का एकमात्र EBUS और क्रायोथेरेपी सेटअप है। उन्हें राष्ट्रीय सम्मेलनों में कई पुरस्कार मिले हैं और उनके कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन हैं। उन्होंने क्रायोथेरेपी, EBUS, एंडोब्रोनचियल डीबुलिंग और थोराकोस्कोपी सहित ५०० से अधिक पारंपरिक प्रक्रियाओं का प्रदर्शन किया है। KRIMS में लीड इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट, चीफ एडिटर रेस-क्यू, डब्ल्यू.ए.बीआई.पी अंतर्राष्ट्रीय संकाय और अंतर्राष्ट्रीय लेखक डॉ. समीर अरबट अनेक सामाजिक संस्था से भी जुड़े है रक्तदान, वृक्षारोपण तंबाखु विरोध मुहीम में उनका सक्रिय योगदान है ।

नागपुर के क्रिम्स हास्पिटल में कार्यरत डॉ. समीर अरबट एक युवा अंतर्राष्ट्रीय पल्मोनोलॉजिस्ट हैं। ये मध्य भारत के ऐसे पहले डॉ हैं, जिनके पास ई-बस तथा कैरोथेरेपी सेट अप है। इन्होंने अब तक के जीवन काल में राष्ट्रीय स्तर के कांफ्रेंस में कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं, इनके नाम से कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रपत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं।  चिकित्सा क्षेत्र में क्रिम्स हास्पिटल में कार्यरत डॉ. समीर अरबट ने बहुत ही कम आयु में ऊंची उड़ान भरी है। अपने पिता डॉ अशोक अरबट की तरह ही डॉ. समीर अरबट का नाम न केवल नागपुर बल्कि पूरे भारत में एक कुशल फुफ्फुस, छाती रोग विशेषज्ञ के रूप में दर्ज हो चुका है। आने वाले समय में विदेश में भी क्रिम्स हास्पिटल की एक सर्वसुविधा युक्त शाखा खोलने की मंशा रखने वाले डॉ समीर अरबट नागपुर शहर को मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों की तरह चिकित्सा क्षेत्र में समृद्ध बनाने की इच्छा रखते हैं। अस्थमा, वायु प्रदूषण, सोने संबंधी बीमारी, तंखाखू सेवन विरोधी जागरूकता तथा रक्तदान शिविर का आयोजन भी करते हैं। इटली के डॉ. स्टीफैनो गैसपेरीनी से फुफ्फुस रोग के उपचार का विधिवत प्रशिक्षण लेकर नागपुर के क्रिम्स अस्पताल में मरीजों को अपनी अच्छी चिकित्सकीय ज्ञान से मरीजों की जीवनदान देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। 

डॉ समीर के पिता डॉ अशोक अरबट मध्य भारत के पहले पल्मोनोलाजिस्ट हैं, इन्हें नागपुर के पहले लंग कैंसर के डॉक्टर के रूप में भी जाना जाता है। अपने पिता को अपना आदर्श मानने वाले डॉ. समीर अरबट अपनी प्रगति में अपने माता-पिता द्वारा दिए गए योगदान को कभी नहीं भूलते। वे कहते हैं कि मेरे पिता डॉ अशोक अरबट ऐसे पहले डॉ. हैं, जिन्होंने नागपुर में पहला कारर्पोरेट अस्पताल सन् १९९७ में शुरु किया। हालांकि इससे पहले डॉ. अशोक अरबट रानी झांसी स्कैवर के पास एक छोटे से कमरे में अपना अस्पताल चलाते थे। अपने पिता से ज्यादा से जयादा से काम करने का हुनर सीखने वाले डॉ समीर कहते हैं कि काम करने की लगन, अनुशासन तथा अपने कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव मुझमें मेरे पिता जी के कारण ही आया है, जो आज भी मेरे काम आ रहा है। 

डां समीर अरबट के अनुसार उनकी मां मीना हर क्षेत्र में पारंगत हैं, वे जितनी अच्छी डॉक्टर हैं, उतनी ही अच्छी गायिका, साहित्यकार और पत्रकार भी हैं। डॉ समीर कहते हैं कि मेरी मां के पास सीखने, समझने के लिए इतना कुछ है कि उसे पूरी तरह जानने के लिए वक्त ही कम पड़ जाता है। डॉ. समीर अरबट १० राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के व्याख्यान में शामिल हुए है। छाती संबंधी रोगों के निदान का एक सबसे खास नाम डॉ. समीर अरबट ने काफी कम समय  में हासिल किया है। 

डॉ. समीर अरबट बताते हैं कि बहन केतकी अरबट ने भी MBA की उपाधि प्राप्त की है। केतकी के नाम पर ही अस्पताल का नाम रखा गया है। क्रिम्स अस्पताल का पूरा नाम केतकी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस हैं।

शिक्षा  

डॉक्टर अशोक तथा डॉक्टर मीना के पुत्र के रूप में समीर अरबट का जन्म १४ अप्रैल, १९८६ को नागपुर में हुआ। सेंटर पॉइंट  स्कूल टोल नाका, सेमिनरी हिल नागपुर से १० की तक की पढ़ाई करने के बाद ११ और १२ वीं परीक्षा शिवाजी महाराज महाविद्यालय नागपुर से की, इसके बाद २००५ -२०११  की कालावधि में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल, सावंगी (वर्धा) से एम.बी.बी.एस. की उपाधि प्राप्त करने के बाद २०११ -१४ की कालावधि में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज तथा आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल वर्धा से एम.डी. की उपाधि अर्जित की। सन् २०१६ में पलमोनोलॉजी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फेलोशिप प्राप्त करने के बाद डॉ. समीर अरबट का नाम बड़ी तेज गति से चिकित्सा क्षेत्र के कुशल डॉक्टरों में शुमार हो गया। 

बचपन से ही डॉ के नाम से होती थी पुकार
अपने माता पिता से चिकित्सा क्षेत्र के हुनर सीखने वाले समीर अरबट जब स्कूली शिक्षा ले रहे थे, उस वक्त वहां के शिक्षक समीर को डॉ. समीर कहकर ही पुकारते थे। बचपन से ही बॉयलॉजी विषय के प्रति विशेष लगाव रखने वाले समीर के बारे में सभी लोग यह कहा करते थे, यह बच्चा बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा। समीर के बारे में गाहे-बगाहे उसके स्कूली जीवन से जो कुछ कहा जा रहा था, वह कालांतर में सच हो गया और आज डॉ समीर अरबट केवल नागपुर ही नहीं, बल्कि विश्व के कुशल डॉक्टरों की सूची में शामिल हो चुके हैं। 

महात्मा गांधी और आंबेडकर से ली प्रेरणा 
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा संविधान निर्माण समिति के सदस्य  बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेकर सभी तबकों के लोगों के लिए कुछ करने की मंशा डॉ. समीर अरबट को भीड़ में एक अलग चेहरा बनाती है। महात्मा गांधी के कर्मवाद को सलफता की कुंजी मानने वाले डॉक्टर समीर यह बात बड़े दावे के साथ कहते हैं कि मेरे पिता डॉ. अशोक अरबट ने जब १९९७ में क्रिम्स अस्पताल की स्थापना की थी तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कर्मवाद को ही अपनी आंखों के सामने रखा था और इसी कर्मवाद को हमने भी आत्मसात किया है। बाबा साहेब के जन्म दिन के दिन खुद का जन्म दिन होने को अपने लिए गौरव की बात मानने वाले डा समीर अरबट मानते हैं कि जागरूकता, मानवता तथा अनुशासन जीवन को संयमित तथा सुरक्षित बनाते हैं। 

आधुनिक सुविधाओं से लैस 
भगवान के प्रति आस्था रखने वाले डॉ. अरबट ने बताया कि क्रिम्स हास्पिटल में पल्मोनोलॉजी तथा टेरोसिस सर्जरी, नैरो सर्जरी, आर्थोपिक सर्जरी, आर्थोस्कोपी, दंत तथा बल्डप्रेशर क्लिनिक, सामान्य तथा लेप्रोस्कोपी सर्जरी, नेमेटोलॉजी, पैडियाटिस, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी, नेप्रोलॉजी, इंडोक्रीमोनोलॉजी, हेमेटोलॉजी, ड्रीमेटोलॉजी, फिसोथेरेपी, गायनोकोलॉजी, ओनोकोलॉजी, इएनटी, इंटरनेशनल रेडियोलॉजी, यूरोलॉजी, डेंटल सर्जरी, मैक्सीलो फेसियल सर्जरी के अलग अलग विभाग हैं। अस्पताल में कार्यरत कुल ३५ डॉक्टरों का समावेश है, इनमें से १० महिला डॉक्टर हैं। महिला डॉक्टरों में डॉ समीर अरबट की पत्नी तुलिका अरबट का भी समावेश है। अस्पताल में मरीज की सेवा सप्ताह के सातों दिन २४ घंटे जारी रहती है। पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी (एक्स रे, सिटी स्कैन), अल्ट्रासोनाग्राफी, २ डी- इसीएचओ, टीएमटी, स्लीम स्टडी, इबीयूएस, बार्नचोस्कॉपी, वीडियो इसीजी, डॉयलेसिस यूनिट, ब्ल्ड बैंक सर्विस, पैथोलॉजी, एबुंलेंस सुविधा, क्रिटिकल केयर तथा ट्रामा सेंटर, सर्जिकल तथा मेडिकल (आइसीयू) कुशल निवासी तथा पैरामेडिकल कर्मचारी, आईडीपी ये सभी विभाग मरीजों की देखरेख तथा उनकी चिकित्सा बड़ी ही सजगता से करते हैं। 

क्रिम्स हास्पिटल की उन्नत चिकित्सा पद्धति का जिक्र करते हुए डॉ समीर बताते हैं कि क्रीम्स अस्पताल में ईबस तथा क्रायोथेरेपी सेटअप की व्यवस्था है, यह व्यवस्था विदर्भ के किसी और अस्पताल में नहीं है। इस तरह की सुविधा मुंबई, दिल्ली चेन्नई के कुछ अस्पतालों में ही है। इस मशीनरी का प्रयोग अब तक ५०० से ज्यादा मरीजों पर किया गया है। विदेशी डॉक्टरों में अनुशासन ज्यादा है, जबकि भारतीय डॉक्टरों में ज्यादा काम करने की क्षमता है। विदेशी लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरुक हैं, जबकि भारतीय लोग अपने स्वास्थ्य की ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, इसलिए विदेशी लोगों की तुलना में भारतीय लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं।

अस्पताल से स्वास्थ्य सेवाएं लेने वाली संस्थाएं 
क्रिम्स अस्पताल से कई संस्थाओं ने चिकित्सा सेवाओं के लिए अनुबंध किया है। अडानी पावर प्राइवेट लि, अशोका लेलैंड, भारत हैवी इलेक्ट्रिक्ल्स लि (BHEL), सेन्ट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS),  सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च (CICR), फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI), महाजेनको, महेंद्रा एंड महेंद्रा, नेशनल बारयू ऑफ सायल सर्विस (NBSS), एनआरसीसी (NRCC), रिजनल रिमोर्ट सेन्सिंग सर्विसेस (RRSSC), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI),  स्टेट बैंक आफ इंडिया (SBI), शापर जी एंड पोलन जी, टाटा मोटर्स, विश्वेश्वरैय्या नेशनल इंस्टीयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नीरा (NEER), ऑडनेंस फैक्ट्री, होटल रेडिसन ब्लू, जिम लैब (कमलेश्वर, (एमआईडीसी), ताल (मिहान) क्रिम्स अस्पताल के जुड़े हैं। 

नागपुर देश का हेल्थ रिसर्च सेंटर बने 
नागपुर हेल्थ रिसर्च सेंटर तो बने यह कामना करने वाले  डॉ समीर अरबट फुफ्फुस के जुड़ी कौन कौन सी बीमारियां होती हैं, उसकी खोज में भी अग्रसर है। चिकित्सा को प्रमाण आधारित विज्ञान मानने वाले डॉ. समीर अरबट का कहना है कि हर अच्छा डॉक्टर अपनी तरफ के मरीज की जान बचाने की पूरी कोशिश करता है, वह भगवान तो नहीं, लेकिन किसी देवदूत से कम नहीं होता। उपचार के दौरान किसी मरीज की मौत पर डॉक्टर को भी उतना ही दुख होता है, जितना उस मरीज के परिजनों को होता है। लंदन, पेरिस, मिलान (इटली) न्यूयार्क (अमेरिका), ढाका (बांग्लादेश) में फुफ्फुस रोग संबंधी रिसर्च पेपर प्रस्तुत करने वाले डॉ समीर अरबट को ढाका (बांग्लादेश) में आगामी ७  तथा ८  सितंबर २०१९  को इंटरनेशनल कांफ्रेंस के लिए आमंत्रित किया गया है। इसके बाद न्यूयार्क (अमेरिका) में २४ , २५ अक्टूबर को विदेशी वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है।  

सामाजिक गतिविधियां
२०१०  से प्रवाह नामक सामाजिक संस्था के बैनर तले रक्तदान, वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित कर चुके डॉ समीर अरबट के सामाजिक कार्यों की सूची बड़ी लंबी है। २०१०  से लगातार नागपुर हिमोफिलिया सोसाइटी की ओर हिमोफिलिया जागरुकता कार्यक्रम हर साल मनाया जाता आ रहा है। जलसंचय के लिए व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करवा चुके डॉ. समीर अरबट के नेतृत्व में हर मंगलवार तथा बुधवार को क्रिम्स अस्पताल में मरीज तथा उनके रिश्तेदारों को दमा तथा एलर्जी से बचाव कैसे किया जाए, इसके बारे में निःशुल्क जानकारी दी जाती है। इसके अलावा प्रवाह के बैनर तले हर वर्ष ३१  मई को तंबाखु विरोध दिवस मनाया जाता है, इसमें लोगों से यह अपील की जाती है कि वे तंबाखु का सेवन न करें। तंबाखु शरीर के अंदर जाकर शरीर को किस तरह से नुकसान पहुंचाती है, इसके बारे में विशेषज्ञ डॉक्टरों की ओर से मार्गदर्शन किया जाता है।  

लेखों के माध्यम से जागरूकता
इस तरह के सामाजिक कार्यों के अलावा डॉ समीर अरबट आकाशवाणी नागपुर के साथ साथ नागपुर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों लोकमत, दैनिक भास्कर, हितवाद में लगातार फुफ्फुस संबंधी रोगों से बचाव के बारे में लेख लिखकर जागरुकता फैलाते हैं। इसके अलावा रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान का कार्यक्रम समय समय पर आयोजित किया जाता है। डॉ. समीर प्रवाह नामक एनजीओ के माध्यम से मरीजों के स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता का संचार भी करते हैं। नागपुर आकाशवाणी तथा विविध भारती के माध्यम से मध्य भारत के कई क्षेत्रों में शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों का संचालन पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। 

भावी योजनाएं
प्रदूषण तथा धूम्रपान पर मागदर्शन करके कई लोगों को अच्छा तथा सुखी जीवन जीने का रास्ता दिखाने वाले डॉ. समीर अरबट ने बताया कि रामदासपेठ की मुख्य शाखा के अलावा मनीष नगर में २०१७  में एक शाखा और खोली गई, इसके अलावा अमरावती के रुख्मिणी नगर में भी क्रिम्स अस्पताल की एक शाखा है। यह शाखा २०१४  से कार्यरत है। इसके अलावा गोंदिया तथा छिंदवाडा में भी क्रिम्स अस्पताल की शाखाएं खोलने की योजना है। डॉ. समीर ने अपनी भावी योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए यह भी बताया कि क्रिम्स ने मालदीव में भी अपनी एक शाखा खोलने की इच्छा है। आने वाले दिनों में विदेश में भी क्रिम्स अस्पताल का विस्तार उनका दिव्वास्वपन है ।

युवाओं के लिए संदेश
पश्चिमी देशों में युवाओं में सन् १९९०  से धूम्रपान करने वालों की संख्या में कमी आ रही है, जबकि भारत में धूम्रपान करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। युवाओं में बढ़ते व्यसन के प्रति चिंतित डॉ. समीर अरबट का कहना है कि पान मसाले, गुटके से संबंधित विज्ञापन टेलिविजन, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित नहीं किए जाने चाहिए। नशीले पदार्थों का निर्माण करने वाली कंपनियां भले ही यह संदेश लिखते हों कि सिगरेट, बीड़ी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, लेकिन इसका सेवन करने वाले उस संदेश की ओर जरा भी ध्यान नहीं देते। डॉ समीर अरबट को इस बात का बेहद अफसोस है कि नागपुर की युवा पीढ़ी खर्रा की इतनी आदि हो चुकी है कि उसे खाये बगैर युवकों का दिनचर्या शुरु नहीं होती। 

Branches
1. KRIMS SUPER SPECIALITY HOSPITAL, 275, Central, Bazar Road, Ramdaspeth, Nagpur-440010
Ph. No. 0712-2451188, 6614565. Mob. 9225249101

2. KRIMS MULTI SPECIALTY HOSPITAL,Lane, opposite kachori lawn,  Manish Nagar, Nagpur-15, (ms)
mob. 8669668566, ph. O712- 6609366, 6604566
 

Other Links:

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https://www.credihealth.com/doctor/sameer-arbat-pulmonologist/overview

https://www.youtube.com/watch?v=0EpcKQk35LE

http://picdeer.org/dr.sameerashokarbat

http://bit.ly/2ZcPY63

https://www.eurekalert.org/pub_releases/2019-04/acoc-non040919.php

https://asthma-allergy2019.com/

http://bit.ly/2ZeBwL1

http://bit.ly/2zhrHMN

Dr.Praween Narayan Mahajan

सुविख्यात कवि लेखक कला और साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर

Rajesh Bapuravji Kakde

राष्ट्रीय जनसुराज पाटी के संस्थापक अध्यक्ष

Madhuri Patle

माधुरी पटले अबाधा फाऊंडेशन फाउंडर

Dr. Alka Mukherjee

Director of Mukherjee Multi-specialty Hospital
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